प्रदेश में तीसरा मोर्चा पूरी तरह से नेस्तनाबूत

भोपाल/मंगल भारत। पड़ोसी राज्य उप्र में लगातार दो चुनावों


में हारने की वजह से सत्ता से बाहर रहने को मजबूर सपा व बसपा के अलावा कई स्थानीय दल इस बार मतदाताओं द्वारा दिए गए जनादेश में पूरी तरह से नेस्तनाबूत कर दिए गए हैं। यह वे दल हैं, जो अपने आप को प्रदेश में तीसरी राजनैतिक शक्ति के रुप में स्थापित करने का सपना पाले हुए थे। यही वजह है कि बीते रोज जब विधानसभा चुनाव के परिणाम आए तो तीसरे मोर्चे वाले दलों को बड़ा झटका लगा है। हालत यह रही कि प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी अपना खाता तक नहीं खेल सकी है। यह वे दल हैं, जो चुनाव के पहले तक अपने आप को प्रदेश में सत्ता की चाबी मानकर चल रहे थे। यही वजह है कि इन दलों के प्रमुख प्रदेश में इस बार चुनावी सभाएं करने से लेकर रोड शो तक करने खूब आए। अगर बसपा की बात की जाए, तो बीते आम चुनाव में बसपा के दो विधायक जीते थे। इनमें पथरिया से राम बाई परिहार और भिंड से संजीव कुशवाह शामिल थे, लेकिन इस बार दोनों ही हार गए। अहम बात यह है कि यह दोनों ही विधायक इस बार मुकाबले से बाहर रहकर तीसरे स्थान पर रहे हैं। बसपा ने इस बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से गठबंधन करते हुए करीब 125 सीटों पर चुनाव लड़ा था। समाजवादी पार्टी ने 68 और आम आदमी पार्टी के 66 प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। सुमावली से बसपा प्रत्याशी कुलदीप सिंह सिकरवार जरुर दूसरे नंबर पर रहे हैं। उन्हें 56500 वोट मिले और वे 16008 वोट से हार गए। कुलदीप शुरुआती राउंड में भाजपा-कांग्रेस दोनों से आगे बने हुए थे। इसी तरह से बसपा का दिमनी सीट पर अच्छा प्रदर्शन रहा। यहां बसपा प्रत्याशी बलवीर दंडोतिया दूसरे नंबर पर रहे। वे भाजपा के नरेंद्र सिंह तोमर से 24461 वोटों से हारे। कांग्रेस यहां तीसरे नंबर पर रही।
राकेश को मिला तीसरा स्थान
मुरैना से राकेश रुस्तम सिंह तीसरे स्थान पर रहे। सबलगढ़ सीट पर बसपा के सोनी धाकड़ तीसरे स्थान पर रहे। लहार से बसपा के रसाल सिंह ने 31348 वोट हासिल कर कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया। यहां कांग्रेस के डॉ. गोविंद सिंह 12397 वोटों से हार गए। आप की प्रदेश अध्यक्ष रानी अग्रवाल सिंगरौली सीट से चुनाव लड़ी थीं। वे चौथे नंबर पर रहीं। बंडा से आप प्रत्याशी सुधीर यादव व कटंगी से प्रशांत मेश्राम तीसरे नंबर पर रहे। निवाड़ी में सपा प्रत्याशी मीरा यादव भी तीसरे नंबर पर रहीं हैं। इसी तरह से एक दो सीटें छोड़ दी जाएं तो गोगापा और जयस भी अपना प्रभाव दिखाने में पूरी तरह से नाकाम रही हैं।
मत प्रतिशत भी गिरा
अहम बात यह है कि इस बार इन सभी दलों का मत प्रतिशत भी गिर गया है। खास बात तो यह है कि आप को प्रदेश में डाले गए नोटा के मतों से भी कम वोट मिले हैं। इसी तरह से बसपा के मतों में भी करीब डेढ़ फीसदी की कमी आयी है। एक समय ऐसा भी सपा व बसपा का प्रदेश में आया था, जब उसके विधायकों की संख्या दो अंकों के करीब तक पहुंच गई थी , लेकिन तब ध्यान नहीं दिया गया, जिससे उसके प्रभाव में कमी आती गई और अब खाता तक नहीं खुल सका है।