चुनावी घोषणाओं से अन्नदाता असमंजस में

नहीं ले रहे हैं धान बेचने में रुचि.

भोपाल/मंगल भारत। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा भले ही इस माह के पहले ही दिन से धान की खरीदी शुरु कर दी गई है, लेकिन शुरुआती दस दिनों के बाद भी किसान धान बेचने के मामले में कोई रुचि नहीं ले रहे हैं। इसकी वजह है भाजपा का चुनावी घोषणा पत्र,जिसमें अधिक दाम पर धान खरीदी की घोषणा की गई थी। इसकी वजह से किसान समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी के लिए बनाए गए अधिकांश खरीदी केन्द्रों पर किसान नाम मात्र के लिए पहुंच रहे हैं। लिहाजा पहले हफ्ते में महज दो हजार क्विंटल धान की खरीदी ही हो सकी है।
इस बार सरकार द्वारा प्रदेश में 50 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है। इस बार चुनावी घोषणा पत्र में भाजपा ने अपने चुनावी संकल्प पत्र में धान 3100 रुपए प्रति क्विंटल खरीदने का वादा किया है, जबकि धान का अभी समर्थन मूल्य 2183 रुपए है। इस तरह सरकार धान खरीदी पर किसानों को प्रति क्विंटल 917 रुपए का बोनस देगी। विधानसभा चुनाव का परिणाम आए सात दिन का समय हो चुका है, लेकिन अभी तक नई सरकार गठित नहीं हो सकी है। ऐसे में धान की खरीदी 2183 रुपए या 3100 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से किए जाने को लेकर स्थिति को लेकर गफलत बनी हुई है। अधिकारी भी इस बारे में कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। हालांकि वे यह मान रहे है कि भाव को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होने से खरीदी केंद्रों पर धान की आवक कम हो रही है। यदि जल्दी धान के भाव को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हुई, तो निर्धारित समय सीमा पर धान की खरीदी नहीं हो पाएगी। इस बार सरकार द्वारा धान की खरीदी 31 जनवरी तक की जानी है। इस मामले में भारतीय किसान संघ के भोपाल के पूर्व जिला अध्यक्ष मिश्रीलाल राजपूत का कहना है कि सरकार को संकल्प पत्र में की गई घोषणा के अनुसार 3100 रुपए प्रति क्विंटल धान की खरीदी को लेकर स्थिति स्पष्ट करना चाहिए। किसानों के समर्थन की वजह से ही भाजपा प्रचंड बहुमत से चुनाव जीती है।
50 लाख मीट्रिक टन की होनी है खरीदी
भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए जारी अपने संकल्प पत्र में किसानों के लिए अहम घोषणाएं की थी। संकल्प पत्र में धान 3100 रुपए प्रति क्विंटल और गेहूं 2700 रुपए प्रति क्विंटल खरीदने की घोषणा की गई थी। सरकार ने इस साल समर्थन मूल्य पर का 50 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया है। यदि सरकार 2183 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से धान की खरीदी करती है, तो किसानों को कुल 10 हजार 915 करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा और यदि सरकार संकल्प पत्र के वादे के अनुसार 3100 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से धान की खरीदी करती है, तो उसे किसानों को 15 हजार 500 करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा। इस तरह सरकार को किसानों को बोनस के रूप में करीब 4585 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान करना होगा।