*शिक्षा जगत को भी बनाया गया कामधेनु गाय जब-जब इच्छा पडे तो दुह लेना है।*
*सीधी चुरहट* जहां पूरे मध्य प्रदेश में एक और जहां स्वास्थ्य विभाग एवं शिक्षा विभाग को लेकर सरकार अपना खजाना खोल कर बैठी हैं लेकिन यह खजाना हवा हवाई की तरह उड़ती जा रही है क्योंकि विद्यालय के लिए मध्य प्रदेश सरकार हो या फिर केंद्र सरकार दोनों ही इन दोनों संस्थाओं को आंख मुद कर फंड मुहैया करा रही है लेकिन यह फंड छात्रों एवं तक ना पहुंचकर शिक्षकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों के तिजोरी भरने का कार्य कर रहे हैं इसका जीता जागता उदाहरण कहीं और नहीं सीधी जिले के चुरहट तहसील अंतर्गत संकुल केंद्र बालक हायर सेकेंडरी स्कूल चुरहट मैं साफ तौर पर देखा जा सकता है इसके लिए हम आपको क्रमबद्ध तरीके से बताएंगे कि किस तरह संकुल केंन्द्र बालक हायर सेकेंडरी स्कूल में अति अनियमितता का केंद्र बन चुका है
प्राचार्य की नियुक्ति पर सवाल? ज्ञात हो कि विभागीय लापरवाही पर जिस शिक्षक को उच्च शिक्षा अधिकारी ने दण्डित किया हो तथा उसका इंक्रीमेंट भी रोक दिया गया हो एसे में उस शिक्षक को प्राचार्य बनाने का क्या औचित्य होता है, इससे साफ जाहिर होता है कि इस मामले में ऊपर से नीचे तक के अधिकारियों की मिलीभगत का जीता जागता प्रमाण है,
दूसरा मामला काफी संगीन और अति गंभीर है आपको बता दें कि मध्य प्रदेश शिक्षा मंडल के नियमानुसार अतिथि शिक्षकों की भर्ती जिनकी डीएड बीएड और डीएलएड होना अनिवार्य किया गया है, और साथ ही प्रतिशत वेस पर अतिथि शिक्षको की भर्तियां हो,लेकिन वर्तमान प्राचार्य अरुण पटेल द्वारा अपने सगे भतीजे दीपक पटेल को वर्ग 3 में पदस्थ किया गया और वह बाकायदा श्रमिक राशि भी मुहैया करा दी गई है, वहीं लेखापाल अभय मिश्रा की पत्नी ज्योति मिश्रा, दीपक पटेल की वर्तमान में पदस्थापन आचार संहिता के अंतर्गत की गई जो नियम विरुद्ध तरीके से की गई और सामने यह भी आ रहा है कि ज्योति मिश्रा कभी स्कूल भी नहीं आती है और बाकायदा उनके खाते में पेमेंट जा रही है आपको जानकर आश्चर्य होगा कि संकुल में ऐसे लगभग 40 से ज्यादा की सूची लोगों की है जो डीएडऔर बीएड के बगैर ही वेतनमान ले रहे हैं आपको जानकारी यह भी आश्चर्य होगा कि नियम एवं आचार संहिता को ताक में रखकर प्राचार्य और लेखपाल ने मौके का फायदा उठाकर इन लोगों की नियुक्ति की है ऐसे में इन लोगों के ऊपर कार्यवाही करना आवश्यक होना चाहिए,अब ध्यान में यह रखना है कि शिक्षा विभाग इन लोगों पर किस तरह की कार्यवाही करता है,
अब हम आते हैं ऐसे मुद्दे पर जिसका सीधा संबंध आम जनमानस से भी जुड़ा हुआ है जहां आम जनमानसकिसी भी प्रकार की चीज जिसे वह खरीदना हो उसमें टैक्स देता है उन टैक्सों के पैसे से इन लोगों का वेतनमान बनता है ऐसे टैक्सों का इस्तेमाल किस तरीके से स्कूल के लोगों द्वारा किया जा रहा है यह एक निंदनीय है, जिसका जीता जागता उदाहरण इसी संकुल में मौजूद है जब रिटायर्ड प्राचार्य स्कूल का प्रभार अरुण पटेल को देकर दे गए थे तब स्कूल के खाते में 12 लख रुपए से अधिक की की राशि बची हुई थी लेकिन ऐसा क्या हुआ की 12 लख रुपए आप 6 महीने के अंदर गटक कर गए, क्या तात्कालिक प्राचार्य के जमाने में कुर्सी एवं टेबल का अभाव था पंखे का अभाव था कि ऑफिस में कोई कमी थी किन चीजों की कमी थी जिसके कारण आपको 12 लाख रुपए तक की राशि को अनियमितता तरीके से खर्च करना पड़ गया इसके बाद भी 7 लाख की राशि पुनः विद्यालय में दी गई उसे भी तोड़ मरोड़ कर उसे भी खयानात की फिराक में बैठे हुए हैं
सबसे बड़ा सवाल तो यह पैदा होता है कि क्या प्राचार्य स्कूल के कार्यों के लिए अपने शिक्षकों को वेंडर बनाया जा सकता है यह एक सवालिया निशान है इस अनियमितता कार्य पर कौन ध्यान देता है जिला शिक्षा विभाग या फिर जिला दंडाधिकारी अधिकारी समझ में यह नहीं आता कि शिक्षकों को वेंडर बनाकर राशि का आहरण कर लिया गया लेकिन किसी को कानों कान खबर तक नहीं लगी ऐसे में प्रशासन के ऊपर सवालिया निशान अपने आप मे खड़ा हो जाता है,
अब आते हैं मुख्य मुद्दे पर लेखपाल अभय कुमार मिश्रा विद्यालय में पहुंचते हैं तो मीडिया को धमकाते हुए बातें करते हैं और यहां तक की मीडिया कर्मियों को फोन लगाकर अनावश्यक तरीके से बात किया जाता हैं, यहां तक यहां तक उन्होंने यह तक का डाला कि मेरा एक बाल तक बांका नहीं कर सकते हो मेरी पहुंच आपको नहीं मालूम कहां तक है,मीडिया अपनी निष्पक्षता का प्रमाण कैसे दे सकेगा यह भी एक सवालिया निशान है ऐसे में इन लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए जिला शिक्षा अधिकारी एवं जिला दंडाधिकारियों को इस पर एक्शन लेना चाहिए अब देखते हैं कि इस पर जिला दंडाधिकारी शिक्षा जगत के नटवरलालों पर दंडात्मक कार्यवाही क्या करेंगे।