सफारी की जगह लेगी इनोवा व बोलेरो

अब 1350 करोड़ खर्च होंगे डायल 100 पर

भोपाल/मंगल भारत। कानून व्यवस्था की स्थिति में तत्काल मौके पर पहुंचकर लोगों को राहत देने के लिए करीब नौ साल पहले प्रदेश में शुरु की गई डायल 100 सेवा अब पूरी तरह से बदलने वाली है। यह सेवा समय के साथ अपने उद्देश्य से भटकती जा रही है। इसकी वजह है इस सेवा में लगे वाहनों का समय पर उचित रखरखाव नहीं किया जाना। इसके बाद पूरा मामला कानूनी-दांव पेंच में उलझा रहा है। अब इस मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय से प्रकरण का पटाक्षेप हो गया है। अब प्रदेश में डायल 100 का संचालन नई कंपनी को दिया जाएगा। इस सेवा के नए सिरे से टेंडर किए जाएंगे, जिस पर करीब 1350 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। यह राशि मौजूदा खर्च 690 करोड़ से करीब दोगुनी है। यही नहीं इसस सेवा में अब टाटा सफारी की जगह इनोवा के अलावा बोलेरो वाहन का उपयोग किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब माना जा रहा है कि नई कंपनी के चयन के लिए टेंडर बुलाने का काम अगले दो माह में कर लिया जाएगा। फिलहाल प्रदेश में डायल 100 सेवा में एक हजार सफारी वाहनों का उपयोग किया जाता है, लेकिन रखरखाव के अभाव में इनमें से करीब 100-150 वाहन खराब हालत में पहुंच जाने से खड़े रहते हैं। दरअसल इन टाटा सफारी को 2015 में उस समय खरीदा गया था, जब इस सेवा की शुरुआत की गई थी। इन वाहनों के महंगे होने के साथ ही इनका रखरखाव में बेहद महंगा पड़ता है। यही वजह है कि अब इनकी जगह शहरी इलाकों में इनोवा और ग्रामीण इलाकों में बोलेरो गाड़ी का उपयोग किया जाएगा। यह सभी वाहन आधुनिक तकनीक से लैस होंगे। दरअसल अभी इसका संचालन बीवीजी कंपनी द्वारा किया जाता है। इस कंपनी का कार्यकाल 2020 में पूरा हो चुका है, लेकिन वह समय कोरोना का होन की वजह से उसको अगले छह माह तक संचालन करने की अवधि में छह माह की वृद्धि कर दी गई थी। बाद में नया टेंडर बुलाने की जगह उसका कार्यकाल 6-6 माह के लिए बढ़ाया जाता रहा। इसी दौरान टेंडर जारी भी किया गया, लेकिन उसमें कुछ इस तरह की शर्तें डाल दी गईं, जिसकी वजह से कोई नई कंपनी टेंडर डालने ही नहीं आई। इन नई शर्तों की वजह से पुरानी कंपनी भी टेंडर में भाग नहीं ले सकी। इसकी वजह से ही मौजूदा काम कर रही कंपनी पहले उच्च न्यायालय और फिर उच्चतम न्यायालय पहुंच गई। इसकी वजह से दोबारा टेंडर निकालने काम अटक गया। अब इस मामले में फैसला आने की वजह से नए सिरे से टेंडर बुलाने का रास्ता साफ हो गया है। बताया जाता है कि नई शर्तों को हैदराबाद की एक कंपनी ही पूरा कर पा रही है, जिसकी वजह से उसे टेंडर मिलने की पूरी संभावना है। गौरतलब है कि प्रदेश में 100 लगाओ पुलिस बुलाओ योजना के तहत 1 नवम्बर 2015 को पुलिस की डायल 100 एकीकृत प्रतिक्रिया सेवा (ईआरएस) का शुभारम्भ हुआ था। जिसका उद्देश्य था, जन-जन तक तेजी से पुलिस की पहुंच, ताकि अपराध पर अंकुश लग सके। साथ ही किसी भी घटना के दौरान समय पर पुलिस सहायता मिल सके।
लागत बढ़ने की वजह
इस सेवा के लिए दो साल पहले सितंबर 2022 में 690 करोड़ रुपये की निविदा निकाली गई थी, लेकिन समय बढऩे के साथ अब यह राशि 1350 करोड़ रुपये हो गई है। इसके पीछे की वजह सुविधाओं में की जाने वाली वृद्धि को बताया जा रहा है। अब इन वाहनों में तैनात पुलिसकर्मियों को बाडीवार्न कैमरे दिए जाएंगे, जिससे घटनास्थल की रिकॉर्डिंग की सुविधा मिल जाएगी। इसी तरह से जीपीएस के माध्यम से फोन करने वाले की सही लोकेशन ली जाएगी। इसके लिए निजी मैप प्रोवाइडर का सहयोग लिया जाएगा। इसके अलावा काल सेंटर की क्षमता में भी वृद्धि की भी योजना है।
वाहनों की संख्या संख्या होगी दोगुनी
दरअसल प्रदेश में अभी इस सेवा के तहत महज एक हजार वाहनों का ही संचालन किया जा रहा है। अब इसमें वृद्धि कर उन्हें दो हजार किए जाने की योजना है। इसके तहत हर साल दौ सौ नए वाहनों को इसमें शामिल किया जाएगा। पूर्व में कंपनी को यह काम पांच साल के लिए दिया गया था, लेकिन अब काम की अवधि छह साल करने का प्रस्ताव है।