मध्यप्रदेश में यूसीसी अधर में

एक साल पहले की घोषणा पर अब तक नहीं शुरु हुआ अमल.

भोपाल/मंगल भारत। आज से उत्तराखंड में शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में वहां की सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता (यूसीसी)बिल पेश करने वाली है। विधानसभा और राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा। इस तरह उत्तराखंड जल्द ही यूसीसी लागू करने वाला देश का दूसरा राज्य बन सकता है। इससे पहले गोवा में शुरुआत से ही यह कानून लागू है। वहीं दूसरी तरफ बड़े-बड़े दावे के बावजूद मप्र में यूसीसी अधर में है। प्रदेश में कब इसका मसौदा तैयार होगा, कब विधानसभा में पेश होगा और कब कानून बनेगा यह फिलहाल कोई नहीं जानता। बड़वानी जिले के ग्राम चाचरिया में एक दिसंबर, 2022 को पेसा एक्ट जागरुकता सम्मेलन में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा था, देश में एक समान नागरिक संहिता लागू करने के पक्ष में हूं। प्रदेश में इसके लिए कमेटी बनाई जा रही है। भारत में अब समय आ गया है कि एक समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए। एक से ज्यादा शादी क्यों करे कोई? एक देश में दो विधान क्यों चलें, एक ही होना चाहिए। समान नागरिक संहिता में एक पत्नी रखने का अधिकार है, तो एक ही पत्नी होनी चाहिए।गौरतलब है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मप्र में समान नागरिक संहिता जल्द से जल्द लागू करने की बातें कहीं थी। देश में संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता को लेकर प्रावधान हैं। इसमें कहा गया है कि राज्य इसे लागू कर सकता है। इसका उद्देश्य धर्म के आधार पर किसी भी वर्ग विशेष के साथ होने वाले भेदभाव या पक्षपात को खत्म करना है। वर्ष 2022 के दिसंबर में तत्कालीन कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में कहा था कि समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने के प्रयास में राज्यों को उत्तराधिकार, विवाह और तलाक जैसे मुद्दों को तय करने वाले व्यक्तिगत कानून बनाने का अधिकार दिया गया है। वहीं, केंद्र सरकार ने शीर्ष कोर्ट में दायर अपने एक हलफनामे में कहा था कि देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार का दायित्व है। सरकार ने इसके लिए संविधान के चौथे भाग में मौजूद राज्य के नीति निदेशक तत्वों का ब्यौरा दिया। उसके बाद मप्र में यूसीसी को शीघ्र लागू करने की बात कही गई थी, लेकिन तकरीबन 14 माह बाद मामला अधर में है। नहीं बन पाई कमेटी….लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही एक बार फिर यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मुद्दा गरमाने लगा है। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता पर गठित कमेटी ने यूसीसी के लिए अपना मसौदा सरकार को सौंप दिया है। मध्य प्रदेश की बात करें, तो समान नागरिक संहिता के मामले में मप्र की भाजपा सरकार असमंजस में है। दिसंबर, 2022 में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने यूसीसी को लेकर पहली बार कमेटी गठित करने की घोषणा की थी। चौदह महीने बीतने के बाद भी सरकार इस दिशा में आगे नहीं बढ़ पाई है। विधानसभा चुनाव से पहले गत जून में केंद्र सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे को हवा दी थी, तो मप्र सरकार भी हरकत में आई थी। मंत्री विश्वास सारंग ने कहा था, राज्य सरकार समान नागरिक कानून के लिए कृत संकल्पित है। प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया जाएगा। उन्होंने इसके कानून के ड्राफ्ट के लिए जल्द कमेटी बनाए जाने की बात कही थी। हालांकि अब तक सरकार ऐसी किसी कमेटी का गठन नहीं कर पाई है। इसके बाद 27 जून, 2023 को भोपाल की चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा उठाया, तो फिर ऐसी खबरें सामने आई थी कि प्रदेश सरकार जल्द ही एक्सपर्ट कमेटी का गठन करेगी। अब नई सरकार से उम्मीदविधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में मुख्यमंत्री बदल गए हैं। शिवराज सिंह चौहान के स्थान पर डॉ. मोहन यादव मप्र के मुख्यमंत्री बनाए गए हैं। चूंकि मुख्यमंत्री डॉ. यादव की कार्यशैली पूर्व सीएम शिवराज से हटकर है, इसलिए माना जा रहा है कि जल्द ही समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर सरकार आगे बढ़ सकती है। सीएम सचिवालय के अधिकारियों का कहना है कि यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने गठित होने वाली कमेटी में रिटायर्ड न्यायाधीश, कानूनविद्, रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता आदि को शामिल किया जाएगा। उधर, मप्र सरकार यूसीसी के लिए कमेटी बनाए जाने की घोषणा के बाद से ही इस बात का आंकलन कर रही है कि इस मुद्दे पर उसे कितना सियासी नफा या नुकसान होगा। अन्य राज्यों की तुलना में मप्र में धर्म आधारित राजनीति का उतना बोलबाला नहीं है। सरकार को लगता है कि लोकसभा चुनाव में यूसीसी के मुद्दे से उसे फायदा मिल सकता है, तो वह जल्द कमेटी का गठन सकती है।क्या है समान नागरिक संहितासमान नागरिक संहिता में देश में सभी धर्मो, समुदायों के लिए एक समान, एक बराबर कानून बनाने की वकालत की गई है। आसान भाषा में बताया जाए, तो इस कानून का मतलब है कि देश में सभी धर्मों, पंथों, समुदायों के लिए कानून एक समान होगा। यह संहिता संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत आती है। इसमें कहा गया है कि राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे। यह मुद्दा एक सदी से भी ज्यादा समय से राजनीतिक नरेटिव और बहस का केंद्र बना हुआ है और भाजपा के लिए प्राथमिकता का एजेंडा रहा है। भाजपा 2014 में सरकार बनने से ही यूसीसी को संसद में कानून बनाने पर जोर दे रही है।