मेहनती कार्यकर्ताओं को मिलेगी जिलों की कमान

पटवारी के निशाने पर हैं निष्क्रिय जिलाध्यक्ष.

भोपाल/मंगल भारत। मध्यप्रदेश कांग्रेस में व्यापक बदलाव किया जा रहा है। प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसके संकेत दे दिए हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार जिन पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों की परफॉर्मेंस संतोषजनक नहीं है, उन्हें बदला जा सकता है। बताया जाता है कि करीब 25 से 30 जिलाध्यक्ष प्रदेश अध्यक्ष के निशाने पर हैं। इनकी जगह पार्टी परिणाम देने वाले और मेहनती कार्यकर्ताओं को मौका देगी। पीसीसी के सूत्रों के अनुसार आधे जिलों के कांग्रेस अध्यक्षों को बदला जा सकता है। इनमें निष्क्रिय जिलाध्यक्षों के साथ ही ऐसे जिलाध्यक्ष भी शामिल हैं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में पार्टी के साथ गड़बड़ी की या जिनके क्षेत्र में कांग्रेस को हार मिली है ऐसे कांग्रेस जिलाध्यक्षों की छुट्टी तय है।
गौरतलब है कि विधानसभा में मिली हार के बाद कांग्रेस का फोकस संगठन को मजबूत करने पर है। इसके लिए लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस में बड़ी सर्जरी की तैयारी की जा रही है। इसमें प्रदेश से लेकर जिला तक बदलाव देखा जाएगा। इस बार पार्टी युवाओं को मौका देगी। इसके संकेत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने दिए हैं। बताया जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस ने प्रदेश पदाधिकारियों के साथ ही जिला अध्यक्षों के नामों को सहमति के लिए एआईसीसी को भेजा है। इस पर सहमति बनने के बाद सूची जारी कर दी जाएगी। इधर, मीडिया से चर्चा करते हुए जीतू पटवारी ने कहा कि कांग्रेस में अब सिर्फ काम करने वालों को पद मिलेगा। जो काम करेगा, उसे सिर माथे पर बिठाया जाएगा। काम नहीं करने वालों के स्थान पर नए लोगों को मौका मिलेगा। अब नई और युवा पार्टी बनाई जाएगी।
जिला स्तर पर नई जमावट
दरअसल, विधानसभा चुनाव के बाद से ही संगठन में बदलाव के स्वर उठने लगे थे। प्रदेश प्रभारी भंवर जितेन्द्र सिंह ने करीब डेढ़ महीने पहले विधायक व विधानसभा प्रत्याशियों की बैठक के बाद प्रदेश कार्यकारिणी भंग कर दी थी। इसके बाद से ही प्रदेश से लेकर जिलास्तर तक नए सिरे से संगठन में जमावट को लेकर तैयारी शुरू हो गई थी। इसके अलावा कांग्रेस के विभाग अध्यक्षों पर भी गाज गिरना तय माना जा रहा है। संगठन स्तर पर महिला कांग्रेस, युवा कांग्रेस सहित अन्य विभाग में भी परिवर्तन देखा जा सकता है। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने 40 से अधिक प्रकोष्ठ बनाए। इतना ही नहीं प्रदेश से लेकर जिले संगठन तक में 500 से अधिक पदाधिकारी बनाए गए। पार्टी ने यह कदम नाराज नेताओं को मनाने के लिए उठाया था, लेकिन चुनाव में पार्टी का यह फार्मूला भी फेल हो गया। रेवड़ी की तरह बांटे गए पदों को लेकर अब सवाल खड़े होने लगे हैं। पीसीसी चीफ भी इस तरह पद बांटने को लेकर आपत्ति दर्ज करा चुके हैं। यही कारण है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए एक बार फिर नए सिरे से संगठन को गढऩेे में पार्टी जुट गई है। प्रदेश में नए सिरे से संगठन की जमावट से पहले ही पदाधिकारियों ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया है। हाल ही में महिला कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष नूरी खान ने अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है।
संगठन की कसावट में जुटे पटवारी
मिशन 2024 पर काम कर रहे प्रदेश कांग्रेस जीतू पटवारी अब संगठन में कसावट लाने में जुटे हैं। संगठन में कसावट के बाद अगला कदम उठाया जाएगा। इसी को देखते हुए सख्त फैसले भी लिए जा रहे हैं। पार्टी सूत्रों की माने तो दो दर्जन जिला अध्यक्षों की रिपोर्ट पार्टी को खराब मिली है। इसमें 19 जिलाध्यक्ष ऐसे हैं, जिनके यहां विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल सका। यानी कि विधानसभा चुनाव में एमपी के ये जिले पूरी तरह से कांग्रेस मुक्त हो गए। विधानसभा चुनाव में ये हार कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है। क्योंकि कई जिले ऐसे हैं, जहां कांग्रेस पूरी तरह से साफ हो गई। इसमें दमोह, कटनी, पन्ना, विदिशा, सीहोर, रायसेन, राजगढ़, शाजापुर, देवास, खंडवा, बुरहानपुर, उमरिया, सिंगरोली, नरसिंहपुर, बैतूल, नीमच और इंदौर जिला शामिल है।