भाजपा की सूची से कांग्रेस में बढ़ी बेचैनी

भोपाल/मंगल भारत। विस चुनाव की तरह ही भाजपा ने

लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले अपनी पहली सूची में प्रदेश की 24 सीटों के प्रत्याशी घोषित कर कांग्रेस पर प्रारंभिक बढ़त बना ली है। भाजपा शेष पांच सीटों पर भी इसी हफ्ते में उम्मीदवारों की घोषणा कर सकती है। भाजपा के प्रत्याशियों की घोषणा से कांग्रेस पर भी अब प्रत्याशी घोषित करने का दबाव बढ़ गया है।
यही नहीं टिकट के दावेदारों में भी बैचेनी देखी जा सकती है। इसके साथ भाजपा उम्मीदवार चुनावी प्रचार की तैयारियों में भी लग गए हैं। उधर, कांग्रेस को अब अपने प्रत्याशी घोषित करने के लिए नए सिरे से कवायद करनी पड़ रही है। दरअसल, मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद से ही कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी। पार्टी का प्रयास था कि वो आचार संहिता से पहले प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दें। जिससे उन्हें तैयारी के लिए समय मिल सके। इसके लिए प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी , लेकिन वह अब भाजपा से पिछड़ गई है। विधानसभा की तरह ही बीजेपी ने कांग्रेस से पहले उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी थी। भाजपा सूची सामने आने के बाद कांग्रेस भी एक दर्जन सीटों पर आचार संहिता से पहले नाम घोषित करने की तैयारी में जुट गई है। इस बात के संकेत प्रभारी महासचिव भंवर जितेन्द्र सिंह ने भी दिए हैं। यह वो सीटें हैं, जहां पैनल में एक ही नाम है। पार्टी सूत्रों की मानें तो 11 सीटों पर एक -एक नामों का पैनल है। यानी यहां पर नाम लगभग तय हैं। इंतजार है तो सिर्फ औपचारिक घोषणा का। बताया जा रहा है कि छिंदवाड़ा, सीधी, जबलपुर, विदिशा, मुरैना, रीवा, मंदसौर, झाबुआ, धार, शहडोल और बैतूल लोकसभा सीटों पर सिंगल नाम सहमति बन गई है। इन सीटों के प्रत्याशियों के नाम दस मार्च तक घोषित किए जा सकते हैं।
भोपाल में तीन नामों का पैनल
बीजेपी ने इस बार भोपाल लोकसभा सीट से पूर्व महापौर आलोक शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। शर्मा स्थानीय प्रत्याशी हैं। इसे देखते हुए कांग्रेस भी इस बार स्थानीय प्रत्याशी दे सकती है। कांग्रेस ने यहां से तीन नामों का पैनल बनाया है। इसमें पूर्व अपर कलेक्टर जीपी माली, जितेन्द्र सिंह और सेवानिवृत्त मेजर जनरल श्याम सुंदर श्रीवास्तव का नाम है। बताया जा रहा है कि पूर्व विधायक जितेन्द्र डागा भी यहां से दावेदारी कर रहे हैं।
गुना में केपी पर नजर
गुना में सांसद केपी यादव का टिकट काट कर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को टिकट दिया गया है। सिंधिया के मैदान में आने के बाद समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं। कांग्रेस अब दमदार चेहरे को यहां से लड़ाने की रणनीति पर काम कर रही है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस यहां से जातीय समीकरण को देखते हुए चौंकाने वाला नाम ला सकती है। इसके अलावा केपी यादव भी कांग्रेस में जा सकत हैं। अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस केपी को प्रत्याशी बना सकती है।