ऊर्जा और पशुपालन… विभाग खाली हाथ

चुनावी साल में केंद्र से बजट हासिल करना बना चुनौती

चुनावी साल में राज्य सरकार को केंद्र से बजट हासिल करने में मुश्किल हो रही है। वित्त विभाग के पोर्टल के अनुसार इस वित्तीय वर्ष में कई विभागों को कुछ भी नहीं मिला है। इन विभागों में ऊर्जा और पशुपालन विभाग ऐसे हैं ,जिनको कुछ भी नहीं मिला है। जबकि वित्त विभाग ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है कि राज्य का हिस्सा मिलने पर ही केंद्रीय अंश दिया जाए। गौरतलब है कि केंद्र सरकार से जो राशि मिलती है, उसमें से राज्य के विभागों को 40 प्रतिशत अपनी राशि मिलानी पड़ती है। केंद्र का कहना है कि जब तक 75 प्रतिशत राशि का उपयोग करने संबंधी प्रमाण पत्र नहीं दिया जाता, तब तक अगली किस्त नहीं दी जाएगी। वित्त विभाग ने राशि जारी करने के लिए केंद्र को इसलिए पत्र लिखा है ,क्योंकि विभाग अपने हिस्से की 40 प्रतिशत राशि शामिल नहीं करते हैं। वित्त विभाग के अधिकृत पोर्टल में कई विभागों को केंद्रीय अंश नहीं मिलने की जानकारी है। जबकि विभागों के अफसरों का कहना है कि केंद्रीय अंश मिल चुका है। वित्त विभाग ने निर्देश दिए हैं कि विभिन्न योजनाओं की राशि खर्च करने के पहले वित्त की मंजूरी जरूर लें। सूत्र बताते हैं कि करोड़ों के प्रोजेक्ट्स आगे बढ़ाने के लिए बजट की लगातार डिमांड की जा रही है। वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र सरकार ने राज्य के लिए पचास हजार करोड़ का प्रावधान किया था। इसमें राज्य का हिस्सा 15 हजार करोड़ से ज्यादा है, जबकि केंद्र को 34 हजार करोड़ देना है। इस प्रावधान में राज्य को 28 फरवरी तक 23 हजार 326 करोड़ की राशि प्राप्त हो चुकी है जो कुल राशि का 67 प्रतिशत है।
विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति पर असर
केंद्र सरकार से बजट लेने में इस बार मछुआ कल्याण और लोक निर्माण विभाग टॉप थ्री में हैं। वहीं केंद्र का अंश नहीं मिलने से जनजातीय कार्य विभाग अन्तर्गत कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति पर असर पड़ा है तो पिछड़ा वर्ग कल्याण भी शत प्रतिशत छात्रवृत्ति देने में पीछे है। इसके अलावा ऊर्जा और पशुपालन विभाग को कुछ भी नहीं मिला है। इस समस्या को लेकर फरवरी में विधानसभा सत्र के दौरान विधायकों ने प्रश्न भी लगाए थे। उच्च शिक्षा मंत्री ने मार्च अंत तक निराकरण करने का आश्वासन दिया था लेकिन वित्त विभाग के पोर्टल के अनुसार 29 फरवरी की स्थिति में केंद्र से राशि हासिल नहीं हो सकी। जल जीवन मिशन के प्रबंध संचालक केवीएस चौधरी का कहना है कि जल जीवन मिशन में हमें 11,800 करोड़ (केंद्र-राज्य) की राशि उपलब्ध हो चुकी है। इस राशि का उपयोग भी शत प्रतिशत हो रहा है। वहीं पीडब्ल्यूडी के ईएनसी आरके मेहरा का कहना है कि राज्य शासन ने 11 हजार करोड़ का प्रावधान किया है। वित्त विभाग ने मार्च में जो सीलिंग की थी, उसका पूरा पालन हुआ है। केंद्र से भी राशि उपलब्ध हो रही है।
राशि के अभाव में योजनाएं प्रभावित
चुनावी साल में केंद्र से बजट नहीं मिलने के कारण प्रदेश में योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। फंड के अभाव में गृह विभाग फोरेसिंक साइंस लेबोटरी का अपग्रेडेशन नहीं कर पा रहा है, वहीं निर्भया फंड भी अटका हुआ है। किसान एवं कल्याण विभाग की सॉइल हेल्थ कार्ड योजना और कृषि उपकरणों पर अनुदान रुका हुआ है। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण में उप स्वास्थ्य केंद्रों के नाम के 567.81 करोड़ अटके हुए हैं। वहीं प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत आयुष्मान भारत में 280 करोड़ और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत 2,397.45 करोड़ अटके हैं। जनजातीय कार्य विभाग में कक्षा 9 से 12वीं और कॉलेज स्तर पर पढऩे वाले विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति नहीं मिली।