जिद्दी कलेक्टरों ने ताक पर रखा हाईकोर्ट का आदेश

भोपाल/मंगल भारत। मप्र में कई जिलों के कलेक्टर इतने


जिद्दी व्यवहार के हैं कि वे हाईकोर्ट, चुनाव आयोग और अपने वरिष्ठ अफसरों के निर्देश ताक पर रखकर काम करते हैं। ऐसे ही कलेक्टरों ने बोर्ड परीक्षाओं की कॉपी जांच रहे शिक्षकों और वन कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी में लगा दिया है। जबकि मुख्य सचिव वीरा राणा ने सभी कलेक्टरों को निर्देश दिया था कि परीक्षाओं की कॉपी जांच रहे शिक्षकों की चुनाव ड्यूटी न लगाई जाए। वहीं हाई कोर्ट के आदेश एवं मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के स्पष्ट आदेश के बावजूद भी प्रदेश के कई वन मंडलों में वन कर्मचारियों की लोकसभा निर्वाचन के प्रशिक्षण के लिए जिला कलेक्टरों ने चुनाव ड्यूटी लगा दी है। इसका विरोध करते हुए राज्य वन कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री को पत्र सौंप कर मांग की है कि वन कर्मचारियों की चुनाव में लगाई गई ड्यूटी को मुख्य सचिव से तत्काल निरस्त करायी जाए। दरअसल, निर्विघ्न चुनाव के लिये निर्वाचन आयोग सख्त नजर आ रहा है। इसके बाद भी कई कलेक्टरों ने निर्वाचन कार्य से वन अमले को मुक्त करने संबंधी हाईकोर्ट के आदेश को भी ठेंगे पर रख दिया है। कार्यपालिक कर्मचारियों को निर्वाचन कार्य से मिली छूट को नजर अंदाज करने पर स्टेट फॉरेस्ट रेन्ज आफीसर्स ने जिला निर्वाचन अधिकारियों (कलेक्टर) को जिम्मेदार बताकर आपत्ति जताई है। साथ ही कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की चेतावनी भी दी है। बता दें कि बीते 20 मार्च को जबलपुर हाईकोर्ट ने स्टेट फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर्स (राजपत्रित) एसोसियेशन मध्य प्रदेश की याचिका की सुनवाई करते हुए भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों और वन विभाग के क्षेत्रीय वन अमले को चुनाव ड्यूटी से छूट प्रदान की थी। इसके लिये केन्द्रीय निर्वाचन आयोग और स्थानीय निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को इसके लिये निर्देशित किया था। बावजूद इसे नजर अंदाज करते हुए अधिकांश जिला निर्वाचन अधिकारियों ने वन कर्मचारियों को निर्वाचन कार्य के दायित्व सौंप दिये हैं। इससे वन अमले में रोष व्याप्त हो गया है और वह इस आदेश को नहीं मानते हुए चुनाव ड्यूटी में नहीं जाने की बात कह रहे है।
अदालत ने इसलिये दी थी छूट
संपूर्ण क्षेत्रीय वन अमले को गर्मी के मौसम में कठिन वन सुरक्षा की जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। जंगलों में लगने वाली आग और अवैध कटाई को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाने वाले इस अमले की तेंदुपत्ता शाखकर्तन में भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इनको निर्वाचन कार्य में जुटाने से पर्यावरण संरक्षण और वन प्रबंधन पर विपरीत असर पड़ सकता है। इस स्थिति को देखते हुए रेंजर्स एसोसिएशन ने अंतिम चेतावनी पत्र जारी किया है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के साथ यह जिला निर्वाचन अधिकारियों यानी कलेक्टरों को संबोधित कर भेजे गए हैं। जिसमें अध्यक्ष शिशुपाल अहिरवार द्वारा तत्काल चुनाव ड्यूटी से कर्मचारियों को मुक्त करने के लिये कहा गया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट के आदेश का परिपालन नहीं करने पर कंटेम्प ऑफ कोर्ट की चेतावनी दी गई है। प्रदेश के वन क्षेत्रफल के मुकाबले वन अमले की संख्या जहां से कम है। वहीं दूसरी ओर आधे के चुनाव ड्यूटी में चले जाने से जंगलों की सुरक्षा दांव पर लग गई है। आंकलन इसी से किया जा सकता है कि कार्यपालिक श्रेणी के स्वीकृत 1194 वन क्षेत्रपाल पदों के विपरीत 800 कर्मचारी ही काम कर रहे हैं। वहीं इनके सहयोगी उपवन क्षेत्रपाल स्वीकृत पदों से 3 गुना कम है।