कांग्रेस को बड़ा झटका देने के लिए.. मोदी व शाह के दौरे का इंतजार

नाथ परिवार को अकेला करने की तैयारी, दिग्विजय भी निशाने पर.

भाजपा के निशाने पर बने कमलनाथ के अभेद किले छिंदवाड़ा में अब पार्टी को प्रधानमंत्री व केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे का इंतजार है। इसके लिए भाजपा के रणनीतिकारों ने बड़ी तैयारी कर रखी है। पार्टी सूत्रों की माने तो भाजपा उनके दौरे के दौरान कम से कम दो कांग्रेस विधायकों को पार्टी की सदस्यता दिला सकती है। यह विधायक कमलनाथ के करीबी बताए जा रहे हैं। इस बार प्रदेश की इस सीट पर प्रदेश से लेकर केंद्र तक के भाजपा नेताओं की खास निगाहें लगी हुई हैं। इसका ही असर है कि इस बार भाजपा ने चुनाव शुरु होते ही कमलनाथ के इस गढ़ के कई मजबूत पाओं को ध्वस्त कर कमलनाथ को अब तक कई बड़े झटके दे दिए हैं। बीते एक हफ्ते में कमलनाथ को एक के बाद एक 4 बड़े झटके लग चुके हैं। जैसे-जैसे पहले चरण की चुनावी तारीख 19 अप्रैल करीब आती जा रही है , वैसे-वैसे कमलनाथ को और भी झटके देने की तैयारी है। इसके अलावा भाजपा ने अलग-अलग चरण के चुनाव वाली सीटों पर भी कांग्रेस को झटके देने की तैयारियां तेज कर दी हैं। छिंदवाड़ा के अलावा प्रदेश के दूसरे हिस्से के कांग्रेस विधायक एवं नेता भाजपा के संपर्क में है। ऐसे में पूरी संभावना है कि हर चरण के चुनाव से पहले कांग्रेस के और भी नेता दलबदल कर भाजपा में शामिल होंगे। दरअसल यह पूरी कवायद भाजपा के रणनीतिकार लोकसभा चुनाव में भाजपा के मिशन 29 को पूरा करने के लिए कर रहे हैं। पिछले चुनाव में भाजपा ने छिंदवाड़ा छोडक़र सभी सीटें जीती थीं। ऐसे में इस बार भाजपा की पूरी कोशिश छिंदवाड़ा जीतने का है। जिस तरह से कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़ रहे हैं, उसको देखते हुए छिंदवाड़ा में भाजपा की काफी संभावना बनती जा रही हैं। बीते हफ्ते कमलनाथ के बेहद करीबी विधायक कमलेश शाह अमरवाड़ा सीट से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के पसंदीदा छिंदवाड़ा महापौर विक्रम अहाके भी भाजपाई बन चुके हैं। सूत्रों की मानें तो छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र के कई दो और विधायक इन दिनों पूरी तरह से भाजपा में शामिल होने का मन बना चुके हैं। इनमें से एक आदिवासी वर्ग के तो एक पिछड़ा वर्ग के विधायक बताए जा रहे हैं। दरअसल यह प्रदेश की ऐसी लोकसभा सीट थी , जिसके तहत आने वाली सभी सातों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को जीत मिली थी।
सबसे पहले जफर ने दिया झटका
कमलनाथ को सबसे पहला झटका उनके सबसे भरोसेमंद साथी रहे सैयद जफर ने दिया था। कमलनाथ जब मुख्यमंत्री थे, तब जफर उनके बेहद करीबी लोगों में से एक थे। इसके बाद कमलनाथ के ही साथ ही पूर्व मंत्री एवं विधायक दीपक सक्सेना ने उनका साथ छोड़ दिया। सक्सेना के बेटे ने भोपाल आकर समर्थकों के साथ भाजपा की सदस्यता ली। कमलनाथ के साथियों का टूटने का सिलसिला यहीं नहीं थमा। पिछले हफ्ते विधायक कमलेश शाह भी भाजपा में शामिल होकर कमलनाथ कैंप से बाहर हो चुके हैं।
राजगढ़ सीट पर भी भाजपा का फोकस
प्रदेश की दूसरी सीट राजगढ़ है, जिस पर भाजपा का फोकस है। इस सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। विधानसभा चुनाव परिणामों के हिसाब से देखें तो इस सीट पर भाजपा का प्रभाव दिखता है , लेकिन खुद दिग्विजय सिंह के चुनाव मैदान में उतरने से भाजपा के लिए कड़ा मुकाबला हो गया है। इस सीट के तहत आने वाली आठ विधानसभा सीटों में से फिलहाल छह पर भाजपा विधायक हैं, जबकि दो पर कांग्रेस के विधायक हैं।
छिंदवाड़ा में कमलनाथ का सबसे कठिन दौर
मौजूदा हालात में छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की हालत बेहद खराब होती जा रही है। जिस तरह से उनके समर्थक एक के बाद एक साथ छोड़ रहे हैं। उसके बाद उनकी राजनीतिक हालत ऐसी हो गई, जैसी कभी नहीं हुई। 1997 में जब कमलनाथ लोकसभा का उपचुनाव हारे थे, तब भी उनके समर्थकों ने इस तरह से साथ नहीं छोड़ा था। जिस तरह से आज छोड़ रहे हैं । खास बात यह है कि कमलनाथ पर भाजपा की ओर से हमले उनके पूर्व समर्थकों की ओर से ही किए जा रहे हैं।