बाणसागर परियोजना में 1620 करोड़ का भ्रष्टाचार

भोपाल/मंगल भारत। देश के तीन राज्यों मप्र, उत्तर प्रदेश

और बिहार के साझे की बाणसागर की परियोजना में 1620 करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ है। प्रदेश के सबसे बड़े घोटालों में से एक में 15 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किया गया है। लेकिन अभी तक जल संसाधन विभाग के तीन इंजीनियरों से कुछ राशि की ही वसूली का निर्णय लिया है। ऐसा करके परियोजना में हुए भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कोशिश की गई है।
गौरतलब है कि बाणसागर परियोजना, मप्र में गंगा बेसिन में स्थित सोन नदी पर बनी एक बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है। इस परियोजना की आधारशिला पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने रखी थी। बाणसागर बांध से मप्र, उत्तर प्रदेश और बिहार को जल बंटवारा होता है। यह बांध मप्र में 2,490 वर्ग किमी, उत्तर प्रदेश में 1,500 वर्ग किमी और बिहार में 940 वर्ग किमी के क्षेत्र में सिंचाई करता है। यह मप्र में 425 मेगावाट बिजली उत्पादन भी करता है।
इस तरह किया घोटाला
बाणसागर परियोजना के मुख्य बांध के डाउन स्ट्रीम में एनर्जी डेसिपेशन अरेंजमेंट के रोलर बकेट की क्षति होने पर इसे ठीक कराने के लिए वर्ष 2007 में टेंडर किए गए थे। तत्कालीन समय में टेंडर से अधिक 62.52 प्रतिशत दर आने की वजह से टेंडर निरस्त कर दिया गया। बाद में 2009 में टेंडर करने पर इसकी दर 49.45 प्रतिशत अधिक एसओआर आई। इसे मंजूरी देने से सरकार को 6.89 लाख रुपए की क्षति हुई। इसके अलावा रोलर बकेट के नुकसान पर लमसम टेंडर पर अगस्त 2007 से 2012 तक एपाक्सी ट्रीटमेंट कराया गया। जबकि एपॉक्सी ट्रीटमेंट के कार्यों की दर विभागीय रुपए 3 हजार घनमीटर के स्थान पर एक लाख 35 हजार रुपए घनमीटर के हिसाब से कार्य कराया गया। इससे अधिक दर का प्राक्कलन तैयार किया गया।
बताया जाता है कि परियोजना की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृत 18 मई 2013 को 1620 करोड़ दी गई थी, जिसमें रोलर बकेट ट्रीटमेंट, रिटेनिंग वॉल के निर्माण, गेज डिस्चार्ज साइट आदि कार्यों के लिए 9.49 करोड़ का प्रावधान किया गया, लेकिन इंजीनियरों ने सिर्फ एपॉक्सी ट्रीटमेंट कराने पर ही 11 करोड़ की निविदा स्वीकृत करते हुए 11.36 करोड़ रुपए खर्च कर दिए और स्वीकृत राशि से अधिक पैसा खर्च करने की प्रशासकीय स्वीकृति सरकार से नहीं ली गई।