भाजपा के चक्रव्यूह में कमलनाथ अकेले

छिंदवाड़ा में नहीं होंगी राहुल-प्रियंका की रैलियां.

मप्र में भाजपा प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों को जीतने के लक्ष्य पर काम कर रही है। पार्टी का सबसे अधिक फोकस छिंदवाड़ा सीट पर है। कमलनाथ का गढ़ बन चुकी छिंदवाड़ा सीट को जीतने के लिए भाजपा ने इस बार ऐसा चक्रव्यूह रचा है, जिससे कांग्रेस के विधायक, महापौर, पार्षद सहित कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हो चुके हैं। वहीं अब पार्टी के स्टार प्रचारक राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी वहां रैली नहीं करेंगी। ऐसी स्थिति में कमलनाथ भाजपा के चक्रव्यूह में अकेले पड़ गए हैं। उनके सामने अपना गढ़ बचाने की चुनौती है। इस बार लोकसभा चुनाव में मप्र की छिंदवाड़ा सीट हॉट सीट बन गई है। दरअसल, भाजपा की मप्र की सभी 29 लोकसभा सीट जीतने के दावे में सबसे बड़ा रोड़ा छिंदवाड़ा सीट है। इस सीट से कांग्रेस के कमलनाथ 9 बार सांसद रहे और उनके बाद बेटे नकुलनाथ यहां से सांसद हैं, लेकिन इस बार भाजपा ने छिंदवाड़ा सीट को नाक का सवाल बना लिया है। गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में मप्र की 29 सीटों में से एकमात्र छिंदवाड़ा सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। यहां से नकुलनाथ सांसद निर्वाचित हुए थे। इस बार नकुलनाथ फिर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। भाजपा ने युवा नेता विवेक बंटी साहू को छिंदवाड़ा से प्रत्याशी घोषित किया है। भाजपा को क्लीन स्वीप करने के लिए कांग्रेस के छिंदवाड़ा रूपी अभेद्य गढ़ को भेदना जरूरी है। छिंदवाड़ा की राजनीति को करीब से देखने और समझने वाले भी मानते हैं कि इस बार कमलनाथ या कांग्रेस के लिए छिंदवाड़ा में मुकाबला एकतरफा नहीं रहने वाला है। नकुलनाथ 2019 में सांसद बने जरूर लेकिन उनकी जीत का अंतर महज 37 हजार 536 मतों का रहा था। इस आंकड़े से भाजपा को बल मिल रहा है।
अबकी बार जीत का टारगेट
सिर्फ एक बार (1998 का उप चुनाव) को छोडक़र 1952 से छिंदवाड़ा लोकसभा सीट कांग्रेस के कब्जे में है। कमलनाथ छिंदवाड़ा से नौ बार सांसद निर्वाचित हुए हैं, जबकि एक बार उनकी पत्नी अलका नाथ और एक बार उनके पुत्र नकुलनाथ की यहां से जीत मिली है। 1998 के उप चुनाव में कमलनाथ भाजपा प्रत्याशी सुंदरलाल पटवा से चुनाव हार गए थे। वर्ष 2018 में एमपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद कमलनाथ ने पहली बार विधानसभा का उप चुनाव लड़ा और जीतकर दिल्ली की जगह प्रदेश की राजनीति शुरू की। 2019 के चुनाव में छिंदवाड़ा से नकुलनाथ प्रत्याशी बने और चुनाव में जीत दर्ज की। हमेशा मिशन मोड में रहने वाली भाजपा ने छिंदवाड़ा लोकसभा सीट को जीतने के लिए 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही काम करना शुरू कर दिया। इस दौरान पार्टी के लगभग सभी बड़े नेताओं ने छिंदवाड़ा का दौरा किया है और मतदाताओं को साधने की कोशिश की है। इन्हीं कोशिशों के आधार पर मप्र में भाजपा इस लोकसभा चुनाव में क्लीन स्वीप के इरादे में मैदान में उतरी है। यही वजह है कि भाजपा ने कांग्रेस के कब्जे वाली एकमात्र छिंदवाड़ा सीट को जीतने के लिए आर-पार की लड़ाई छेड़ दी है। पूर्व सीएम कमलनाथ भी अपनी पारंपरिक सीट को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे है। खास बात यह है कि एक तरफ जहां भाजपा के दिग्गज नेताओं से लेकर सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने छिंदवाड़ा में डेरा डाल रखा है, वहीं कमलनाथ अकेले ही भाजपा का मुकाबला कर रहे हैं। अब तक कांग्रेस का कोई बड़ा नेता छिंदवाड़ा नहीं पहुंचा है।
भाजपा का पूरा फोकस छिंदवाड़ा पर
मप्र में पहले चरण की सीटों पर प्रचार के लिए कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी और पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की सभाएं फाइनल हो गई हैं। राहुल गांधी आठ अप्रैल को मंडला में कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में जनसभा को संबोधित करेंगे, जबकि प्रियंका गांधी 17 अप्रैल को बालाघाट और सीधी में जनसभाएं करेंगी। राहुल और प्रियंका गांधी की छिंदवाड़ा में अभी तक कोई रैली प्रस्तावित नहीं है। भाजपा ने छिंदवाड़ा की कमान पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को सौंप रखी है। विजयवर्गीय पिछले 15 दिन से छिंदवाड़ा में है और चुनाव तक वे वहीं रहेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी लगातार छिंदवाड़ा के दौरे कर रहे हैं। कांग्रेस की बात करें, तो कमलनाथ के अलावा उनके बेटे व कांग्रेस प्रत्याशी नकुलनाथ और उनकी पत्नी प्रियानाथ चुनाव प्रचार में जुटे हैं। देश या प्रदेश का अन्य कोई बड़ा नेता अब तक चुनाव प्रचार करने छिंदवाड़ा नहीं पहुंचा है।
अपने दे चुके हैं झटका
छिंदवाड़ा में एक तरफ भाजपा पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में ताल ठोक रही है। उधर, मप्र में कांग्रेस नेताओं के पलायन का सिलसिला जारी है। भाजपा का सबसे ज्यादा फोकस छिंदवाड़ा सीट पर है। छिंदवाड़ा से कांग्रेस महापौर विक्रम अहाके, अमरवाड़ा से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह समेत कमलनाथ के कई करीबी नेता पार्टी छोडक़र भाजपा में शामिल हो गए हैं। छह अप्रैल को छिंदवाड़ा समेत पूरे प्रदेश में बड़ी संख्या में कांग्रेस नेताओं के भाजपा में शामिल होने की चर्चा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा रणनीति के तहत कांग्रेस नेताओं को अपने पाले में ला रही है। वह कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनांचल तोड़ने के साथ ही मतदाताओं के बीच कांग्रेस को लेकर निगेटिव नैरेटिव सेट करना चाहती है। वही वजह है कि एक के बाद एक कांग्रेस नेताओं को भाजपा में शामिल किया जा रहा है।