6 माननीयों के क्षेत्र में कम मतदान क्यों?

मंथन शुरू: लक्ष्य बढ़ाने का..कम हो रहा मतदान…

मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही भाजपा ने हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने के लिए काम करना शुरू कर दिया था। इसके लिए पार्टी पूरी तरह आश्वस्त थी की इस बार मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा। लेकिन अब तक दो फेज के चुनाव में हुए कम मतदान ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। खासकर मंत्रियों और विधायकों के क्षेत्र में मतदान कम हुआ है। इसलिए पार्टी में मंथन शुरू हो गया है कि आखिरकार माननीयों के क्षेत्र में कम मतदान क्यों हुआ है। वहीं पार्टी ने अगले दो फेज के लिए प्लान बी बनाकर काम करना शुरू कर दिया है। दूसरे चरण की छह लोकसभा सीटें जिन 43 विधानसभा क्षेत्रों में फैली हैं, उनमें 37 भाजपा के और 6 कांग्रेस के विधायक हैं। कम मतदान प्रतिशत को कांग्रेस सरकार के खिलाफ जनता का आक्रोश बता रही है। जबकि भाजपा का दावा है कि कम मतदान प्रतिशत के बावजूद सभी 29 लोकसभा सीटों पर परिणाम भाजपा के पक्ष में ही आएंगे।
उल्लेखनीय है कि भाजपा ने देश में 400 से अधिक लोस सीटों के साथ मप्र की सभी 29 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इसी क्रम में भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व की ओर से प्रदेश भाजपा को हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने का लक्ष्य दिया गया था। प्रदेश भाजपा की ओर से भी दावा किया गया था कि हर बूध और पन्ना प्रमुख 370 अधिक मतों के लक्ष्य के लिए तैयार हैं। लेकिन लोस चुनाव के दोनों चरण में गिरे मतदान प्रतिशत से भाजपा का केन्द्रीय और प्रदेश नेतृत्व चिंतित जरूर है। निश्चित ही लोस चुनाव परिणामों के आधार पर संगठन और सत्ता में इसका असर भी देखने को मिल सकता है। जिस तरह से वोटिंग का आंकड़ा कम हो रहा है, उसने अब भाजपा, सरकार और संघ के शीर्ष नेतृत्व की चिंता बढ़ा दी है। अगर ऐसा ही रहा तो भाजपा अपने लक्ष्य से पीछे रह जाएगी। दूसरे चरण के लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत में आई भारी गिरावट के बाद भाजपा में एक बार फिर से चिंतन-मंथन शुरू हो गया है। संगठन इस बात की गंभीरता से समीक्षा करेगा कि छह लोकसभा सीटें, जहां भाजपा के 37 विधायक, एक उप मुख्यमंत्री, दो कैबिनेट मंत्री, पांच राज्यमंत्री शामिल हैं। ऐसी स्थिति में मतदान प्रतिशत क्यों गिरा? प्रदेश मीडिया प्रभारी भाजपा आशीष अग्रवाल का कहना है कि नाकारा विपक्ष के निराश मतदाता, कार्यकर्ता दोनों वोट डालने नहीं गए। कांग्रेस ने अलोकप्रिय प्रत्याशी दिए, इसलिए विपक्ष का कार्यकर्ता नाराज है। भाजपा मोदी की गारंटी और बूथ शक्ति के आधार पर इस चुनाव में पहले से ज्यादा मत प्रतिशत हासिल करेगी। वहीं कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता का कहना है कि मतदान प्रतिशत कम होने का अर्थ है कि भाजपा का 370 वोट बढ़ाने का नारा विफल हो गया। भाजपा नेताओं की चिंता है कि इतने कम मतदान में हेरफेर असंभव है। इसलिये उन मंत्रियों को हटाने की धमकी दी जा रही है जहां कम वोट पड़ा है। जनता सच के साथ है। रोज बोले जा रहे झूठ के कारण उदासीन है। यह चुनाव आयोग के प्रयासों पर भी सवाल है।
मंत्री-विधायक मैदान में उतरेंगे…
आखिरकार भाजपा ने अपने बी प्लान पर काम करना शुरू कर दिया है। प्रदेश में पहले और दूसरे चरण को देखकर अब भाजपा तीसरे तथा चौथे चरण में किसी प्रकार का जोखिम लेना नहीं चाहती है। भाजपा ने अपने सभी विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र में लगातार दौरे कर जनसंपर्क करने का पैगाम भेजा है। विदित है कि भाजपा ने देश में इस बार 400 पार का नारा दिया है, लेकिन भाजपा के प्रदेश संगठन ने कम मतदान पर चिंता जाहिर की है और मंत्रियों के प्रभार वाले क्लस्टर तथा लोकसभा क्षेत्रों में अब मतदान का प्रतिशत बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। इसी को लेकर अब विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र में जाकर जनसंपर्क करने को कहा गया है। जनसंपर्क में जिस तरह से विधायक ने अपना चुनाव लड़ा था, उसी तरह उन्हें अपने क्षेत्र में जाकर लोगों से मिलना है और उनसे बात करना है। जिस बूथ या क्षेत्र में भाजपा को वोट कम मिलते हैं, वहां उसके कारण पता करके उसका हल भी विधायक और मंत्री को करना होगा। सूत्रों का कहना है कि ये निर्देश पहले ही विधायकों को दिए गए थे, लेकिन किसी ने भी इसमें रुचि नहीं दिखाई और जब चुनावी रणनीतिकार अमित शाह भोपाल आए तो उन्होंने संगठन को आड़े हाथों लिया और जो-जो निर्देश केंद्रीय संगठन द्वारा दिए गए थे, उनका पालन करवाने को कहा गया है। जो फीडबैक अभी तक 12 सीटों से गया है, उसमें कम मतदान को लेकर ही भाजपा को चिंता है। सभी विधायकों से कहा गया है कि अपना जनसंपर्क कार्यक्रम बनाकर संगठन को दें और उसके अनुसार दौरा करके बाद में उसकी जानकारी भी उपलब्ध कराएं। इसके साथ ही क्षेत्र में प्रवास करने के लिए कहा गया है, ताकि कार्यकर्ताओं के बीच संदेश जाए कि उनके जनप्रतिनिधि उनके बीच में हैं। इस दौरान विधायकों को क्षेत्रीय समस्याओं के बारे में भी जानकारी लेना होगी। अगर कहीं कोई कार्यकर्ता नाराज है तो उसे भी मनाना होगा।
शादियों का बहाना बनाया विधायकों ने
पिछले दिनों से चल रही शादियों का बहाना बनाकर विधायकों ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में जनसंपर्क नहीं किया। सभी का कहना था कि शादियों के कारण लोग अपने रिश्तेदारों के यहां चले गए हैं, विशेषकर महिलाएं भी। ग्रामीण क्षेत्र में तो अभी भी शादी-ब्याह में एक सप्ताह से लेकर 15 दिन तक की शादियां होती हैं और लोग उसमें व्यस्त हो जाते हैं। चूंकि अब शादियां भी निपट चुकी हैं, इसलिए विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र में जाना ही होगा, ताकि भाजपा अपना लक्ष्य पूरा कर सके। दो दिन पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों ने भी चुनाव में मतदान को लेकर बैठक ली थी। इस बैठक में अधिकांश विधायक शामिल हुए थे। संघ के पदाधिकारियों ने दो-टूक कह दिया कि अब किसी प्रकार की बहानेबाजी नहीं चलेगी। कहा तो यह जा रहा है कि कुछ विधायकों को खड़ा कर पूछा गया कि उन्होंने अब तक कहां-कहां प्रवास किया और उसका क्या फीडबैक आया। अधिकांश विधायक बगलें झांकते रहे, क्योंकि वे सांसद प्रत्याशी के जनसंपर्क के अलावा क्षेत्र में नहीं गए।
तीसरे और चौथे चरण के मतदान की चिंता
भोपाल सहित ग्वालियर-चंबल और मालवा-निमाड़ की सीटों पर भी यही हालात नजर आ रहे हैं, जहां तीसरे और चौथे चरण में मतदान होना है। तीसरे चरण में मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल, राजगढ़ और बैतूल सहित 9 सीटें हैं, जहां 7 मई को वोट डाले जाएंगे। चौथे, यानी प्रदेश में अंतिम चरण में इंदौर, देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, खंडवा और खरगोन जैसी सीटें शामिल हैं, जहां 13 मई को मतदान होना है। यानी अभी 17 सीटों पर चुनाव होना शेष है। दोनों ही तारीखों में प्रदेश में लू चलने की संभावना बनेगी और भीषण गर्मी के चलते मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाना दोनों ही पार्टियों के लिए मुश्किल हो सकता है। भाजपा ने चुनाव प्रबंधन के लिए बड़ी संख्या में वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की टोली बना रखी है, लेकिन वह टोली भी योजना बनाने तक सीमित है। इसका असर नीचे देखने को नहीं मिल रहा है। हालात यह हैं कि जिस क्षेत्र में जनसंपर्क होता है वहां के कार्यकर्ता ही उस दिन सक्रिय होते हैं। भाजपा आम लोगों को अपने चुनावी कार्यक्रम से जोड़ भी नहीं पा रही है। इसके ऊपर संगठन भी स्थिति का आकलन करने में लगा हुआ है और भोपाल से हर लोकसभा की मॉनीटरिंग की जा रही है, जिसके आधार पर मतदान की रणनीति पर चर्चा की जा रही है।