तीसरे चरण की आठ सीटों पर सबकी निगाहें

मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। तीसरे चरण में प्रदेश की जिन


आठ सीटों पर मतदान होना है, उनमें से दो सीटें इस चरण में भी ऐसी हैं जिन पर भाजपा को बेहद कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। लगभग यही स्थिति पहले दो चरणों में हुए चुनाव में भी रही है। तीसरे चरण में 7 मई को प्रदेश की जिन सात सीटों पर मतदान होना है उनमें विदिशा, राजगढ़, बैतूल, सागर, गुना, ग्वालियर, मुरैना और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित भिंड सीट शामिल है। इन सीटों पर महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर मोदी का चेहरा, राम मंदिर और हिंदुत्व भारी पड़ रहा है। इनमें से कु छ सीटें तो भाजपा का गढ़ बन चुकी हैं, जिन पर उसकी राह आसान बनी हुई हैं, लेकिन दो सीटें ऐसी हैं, जहां पर कांग्रेस भी अपना दम दिखा रही है। इन दोनों टक्कर वाली सीटों पर राजनीतिक पार्टियां जातिगत फैक्टर के साथ ही वोटरों को साधने का हर जतन कर रही है। इन सीटों पर दो पूर्व मुख्यमंत्री और एक केंद्रीय मंत्री की साख भी दांव पर लगी है।
राजगढ़: राजगढ़ सीट पर भाजपा ने दो बार के सांसद रोडमल नागर को फिर से, तो वहीं कांग्रेस ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को प्रत्याशी बनाया है। यह सीट दिग्विजय सिंह का गढ़ है। नागर के खिलाफ जनता में नाराजगी है। यही वजह है कि भाजपा ने अपनी रणनीति बदलते हुए मोदी के चेहरे के साथ राम मंदिर, हिंदुत्व के मुद्दे को आगे किया है। दिग्विजय सिंह भी पूरा जोर लगा रहे हैं, उन्होंने अपना आखिरी चुनाव का इमोशनल कार्ड खेला है। वे 77 साल की उम्र में पदयात्रा निकालकर लोगों से संपर्क कर रहे हैं। यहां मुकाबला कांटे की टक्कर वाला बना हुआ है।
विदिशा: इस सीट पर भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री और पांच बार सांसद रहे शिवराज सिंह चौहान को मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने पूर्व सांसद भानु प्रताप शर्मा को टिकट दिया है। यहां मोदी के साथ ही राममंदिर भी मुद्दा है। यह सीट भाजपा का गढ़ है। इसके बावजूद शिवराज सिंह लगातार गांव-गांव में घूम कर प्रचार कर रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी भानु प्रताप शर्मा को पार्टी छोडऩे वाले नेताओं के साथ ही बड़े नेताओं के प्रचार के लिए न आने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इस सीट पर चौहान की जीत तो तय है, लेकिन उनके जीत के अंतर को लेकर जरूर कयास लगाए जा रहे हैं। यहां पर प्रचार में भी भाजपा आगे है और शिवराज कह रहे है कि इस बार सबसे अधिक वोट से जीतेंगे।
गुना: गुना संसदीय सीट पर भाजपा ने सांसद केपी यादव का टिकट काट कर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर दांव लगाया है। वहीं कांग्रेस ने भी विस चुनाव के समय भाजपा छोडक़र आने वाले राव यादवेंद्र यादव को उतारा है। यह सीट सिंधिया के प्रभाव वाली मानी जाती है। बीते चुनाव में जरूर उन्हें मोदी लहर में हार का सामना करना पड़ा था। यहां कांग्रेस को भाजपा से नाराज यादव वोटरों पर अधिक भरोसा है। यही वजह है कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में यहां चुनावी सभा में कहा कि गुना को सिंधिया और केपी यादव दो नेता मिलने जा रहे हैं। इससे उन्होंने यादव समाज की नाराजगी दूर करने का प्रयास किया है।
मुरैना: इस सीट पर भाजपा ने पूर्व विधायक शिवमंगल सिंह तोमर को तो कांग्रेस ने पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू को प्रत्याशी बनाया है। सत्यपाल के भाई सतीश विधायक हैं और भाभी शोभा भी सिकरवार ग्वालियर से मेयर हैं। यहां पर दोनों ठाकुर प्रत्याशियों के होने से वोट बंटना तय है। ऐसे में दलित और ब्राह्मण वोटर्स जीत- हार तय करेंगे। इसे देखते हुए ही भाजपा ने बसपा के पूर्व विधायक बलवीर सिंह दंडोतिया को पार्टी में शामिल कराया है। मुरैना में कांग्रेस के पांच विधायक हैं। हालांकि यहां पर मोदी भी फैक्टर है। ऐसे में मुरैना में भाजपा-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। इस सीट पर 1996 से भाजपा का कब्जा है।
भिंड: आरक्षित भिंड लोकसभा सीट पर भाजपा ने सांसद संध्या राय को तो वहीं कांग्रेस ने विधायक फूल सिंह बरैया को मैदान में उतारा है। भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ जनता में नाराजगी है। वहीं, फूल सिंह बरैया की दलित वोटरों में अच्छी पकड़ है। इसी सीट पर 30 प्रतिशत से ज्यादा दलित और आदिवासी वोटर हैं। यहां पर केंद्र की पीएम आवास समेत अन्य योजनाओं के चलते मोदी को लोग पसंद कर रहे हैं। बरैया दमदार चेहरा होने से चुनाव में बने हुए हैं। इस सीट पर 1989 से भाजपा का कब्जा है। भिंड सीट पर 8 विधानसभा सीटें हैं। जिनमें से चार भाजपा और चार कांग्रेस के पास है।
सागर: इस सीट पर भाजपा ने लता वानखेड़े को तो वहीं, कांग्रेस ने गुड्डू राजा बुंदेला को टिकट दिया है। आठ माह में प्रधानमंत्री ने सागर का तीसरा दौरा किया और भाजपा प्रत्याशी के लिए रैली की। इस सीट पर हिंदुत्व, राम मंदिर और मोदी के चेहरे पर भाजपा वोट मांग रही है। यहां पर भाजपा के सामने कांग्रेस का संगठन बहुत कमजोर है। यह सीट 1996 से भाजपा के पास है। इस सीट की 8 विधानसभा सीटों में से सात भाजपा और एक कांग्रेस के पास है।
ग्वालियर: इस सीट पर भाजपा ने सांसद विवेक शेजवलकर का टिकट काटकर भारत सिंह कुशवाह को तो वहीं, कांग्रेस ने प्रवीण पाठक को प्रत्याशी बनाया है। दोनों ही पिछला विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। भाजपा का गढ़ मानी जा रही, इस सीट पर भाजपा मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है। इसके आगे बेरोजगारी, महंगाई सभी मुद्दे दब गए हैं। पाठक ब्राह्मण और युवा नेता हैं। यहां पर भाजपा 2007 से अब तक लगातार चार चुनाव जीत चुकी है।
बैतूल: आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट पर भाजपा ने सांसद दुर्गादास उइके को तो वहीं, कांग्रेस ने पूर्व प्रत्याशी रामू टेकाम को टिकट दिया है। इस सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हरदा में रैली कर चुके हैं। हरदा की दोनों विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। जिले के कई पदाधिकारी कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इस सीट पर 1996 से भाजपा का कब्जा है। इस सीट के तहत आने वाली विधानसभा सीटों में से 6 भाजपा और दो कांग्रेस के पास हंै।

भोपाल: भोपाल संसदीय सीट पर भाजपा ने सांसद प्रज्ञा सिंह का टिकट काटकर पूर्व महापौर आलोक शर्मा को तो वहीं, कांग्रेस ने अरुण श्रीवास्तव को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर पांच लाख के करीब मुस्लिम वोटर्स है। भाजपा को वोटों के ध्रुवीकरण का फायदा हो सकता है। यही वजह है कि भाजपा ने दो विधानसभा चुनाव हारे आलोक शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। यहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोड शो कर चुके हैं। यहां पर महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मैजिक, हिंदुत्व और राम मंदिर के आगे सब दब गए हैं।