अब मप्र में देना होगा… फायर टैक्स

फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज बिल तैयार.

मप्र में अब हाउस, वॉटर टैक्स की तरह ही फायर टैक्स भी देना होगा। इसके लिए प्रावधान नए बिल में किया गया है। फायर टैक्स से फायर डिपार्टमेंट के उन अधिकारियों और कर्मचारियों को भी मुआवजा दिया जाएगा, जो राहत एवं बचाव कार्य के दौरान घायल या दुर्घटना का शिकार होंगे। प्रदेश में आगजनी की घटनाओं से निपटने और इन पर नियंत्रण के लिए फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज बिल का ड्राफ्ट तैयार हो गया है। इसके तहत अलग से फायर डायरेक्ट्रेट खोला जाएगा। इसमें विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाएगी। साथ ही फायर टैक्स अधिरोपित किया जा सकता है। शुरुआत में अग्नि दुर्घटना व आपदा की स्थिति से निपटने के लिए संसाधन जुटाने पर 397.54 करोड़ रुपए खर्च किया जाएगा। बिल की खास बात यह होगी कि इमारतों के लिए फायर सर्टिफिकेट लेने के प्रावधान किए जाएंगे। नियमों का पालन न करने वालों से पेनाल्टी की वसूली की जाएगी। आग से निपटने का प्रशिक्षण देने के लिए ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भी खोला जाएगा। इसके साथ ही सेफ्टी फंड भी रखा जाएगा।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सभी राज्यों में अग्नि दुर्घटनाओं की रोकथाम में एकरूपता लाने के मद्देनजर मॉडल फायर एक्ट तैयार कराया है। इसमे जरूरी संशोधन कर लागू करने की तैयारी मप्र में पांच साल पहले से चल रही है। तब भी इसका प्रारूप तैयार कराया गया था। दावे-आपत्ति भी बुलाए गए थे। हालांकि, अमल अब तक नहीं हो पाया। अभी तक केवल राज्य सरकार ने अग्निशमन सेवाओं का जिम्मा पुलिस फायर सर्विस से लेकर नगरीय निकायों को सौंप दिया है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने बिल के प्रावधानों को लागू करने के लिए 397.54 करोड़ रुपए 15वें वित्त आयोग से ग्रांट के तौर पर हासिल करने का प्रस्ताव बनाया है। इसमें 25 फीसदी हिस्सेदारी राज्य शासन की होगी। यह प्रस्ताव सैद्धांतिक सहमति के लिए वित्त विभाग को भेजा गया है। वहां से हरी झंडी मिलते ही
इसे केंद्र सरकार की मंजूरी के लिए बढ़ाया जाएगा।
अब आग लगने पर फायर सेफ्टी एक्ट के तहत होगी कार्रवाई
प्रदेश में तैयार किए गए फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज बिल के ड्राफ्ट में कई प्रावधान किए गए हैं। इसके लागू होने के बाद फायर ब्रिगेड आपातकालीन सेवाओं में शामिल हो जाएगा। अभी तक यह एक बचाव दल की हैसियत से काम कर रहा था।
इस बिल के लागू होने से आग लगने के कारणों की बेहतर ढंग से जांच होगी और जिम्मेदारों के खिलाफ फायर सेफ्टी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज होगा। अगर आग लगने का कारण भवन मालिक की लापरवाही है और उससे जानमाल का नुकसान हुआ है, तो मुआवजा भी उसी से वसूला जाएगा। इसके साथ ही अगर किसी भवन में आग से बचाव के मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है, तो उस स्थिति में विभाग के पास नोटिस देकर जांच करने का पूरा और भवन को खाली करवाकर उसे सील करने का भी अधिकार होगा। इसके अलावा आपातकालीन स्थिति में अगर जिम्मेदार कर्मचारी लापरवाही करते हैं तो उसके विरुद्ध एफआईआर भी दर्ज की जा सकेगी।
कई राज्यों ने कर दिया अमल
मॉडल फायर मेंटेनेंस व इमरजेंसी सर्विस एक्ट, 2019 के मॉडल ड्राफ्ट में जरूरी बदलाव कर कई राज्य लागू भी कर चुके हैं। ऐसे में मप्र के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कुछ महीने पहले नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को पत्र लिखा था। इसमें प्रधानमंत्री की मंशा अनुसार मॉडल टेनेंसी एक्ट, 2019 और फायर व इमरजेंसी एक्ट को जल्द लागू कराने का आग्रह किया था। कहा था कि इससे आम जनता का फायदा होगा। प्रदेश में फायर सेफ्टी के लिए अभी जो व्यवस्था है, उसके अनुसार 15 मीटर से ऊंचे भवन, एक फ्लोर पर 500 वर्ग मी से अधिक निर्माण, 50 से अधिक पलंग-बिस्तर वाले होटल व अस्पताल का उपयोग करने के पहले फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है। फायर सर्टिफिकेट तीन साल के लिए रहेगा, इस दौरान प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 30 जून तक फायर ऑडिट रिपोर्ट पेश करना होगी। फायर ऑफिसर को दस फीसदी रिपोर्ट का रैडम चयन कर औचक निरीक्षण करना होगा। सर्टिफिकेट रिन्यू कराने नए सिरे से आवेदन करना होगा। नई बिल्डिंग के लिए निर्माण की अनुमति के साथ ही फायर सेफ्टी प्लान का अनुमोदन अग्निशमन प्राधिकारी करेगा।