अब कुकुरमुत्तों की तरह नहीं खुल पाएंगे नर्सिंग कॉलेज

सरकार के मान्यता नियमों पर हाई कोर्ट की रोक.

नर्सिंग कॉलेजों का फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद प्रदेश में नर्सिंग डिप्लोमा कोर्स संचालित करने वाले 470 नर्सिंग कॉलेजों की जांच फिर से सीबीआई करेगी। इसके लिए मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने सीबीआई को डिप्लोमा कोर्स वाले 470 कॉलेजों की लिस्ट सौंप दी है। सीबीआई ने इन कॉलेजों की जांच करने सात अलग-अलग टीमें बनाई हैं। यह टीमें जल्द ही डिप्लोमा कोर्सेस वाले नर्सिंग कॉलेजों की जांच शुरू करेगी। उधर, हाईकोर्ट ने सरकार के मान्यता नियमों पर भी रोक लगा दी है। इससे संभावना जताई जा रही है कि प्रदेश में अब कुकुरमुत्तों की तरह नए नर्सिंग कॉलेज नहीं खुल पाएंगे।
दरअसल, प्रदेश में सामने आए नर्सिंग कॉलेजों फर्जीवाड़े से मप्र की साख पर दाग लगा है। बताया जा रहा है कि सरकार की निष्क्रियता और अफसरों की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा हुआ है। इस फर्जीवाड़े की भनक सालों पहले सरकार को लग गई थी। लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिय गया। लेकिन अब सरकार सख्त दिख रही है। सीबीआई की जांच रिपोर्ट में अनसूटेबल घोषित किए गए 66 नर्सिंग कॉलेजों का निरीक्षण करने वाले 111 अफसरों को शो-काज नोटिस जारी किए हैं। सभी अफसरों को इंडियन नर्सिंग काउंसिल और मप्र नर्सिंग काउंसिल के मानकों को पूरा नहीं करने वाले नर्सिंग कॉलेजों की रिपोर्ट मानक स्तर की दिए जाने का कारण पूछा गया है। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के अफसरों ने बताया कि मान्यता के लिए नर्सिंग कॉलेजों का निरीक्षण सरकारी मेडिकल कॉलेजों के असिस्टेंट प्रोफेसर और सरकारी नर्सिंग कॉलेजों की टीचिंग फैकल्टी ने किया था। इसके लिए डायरेक्टर नर्सिंग एवं पैरामेडिकल सर्विसेस ने अलग-अलग नर्सिंग कॉलेज के निरीक्षण के लिए 111 अफसरों को कॉलेजों का निरीक्षण करने भेजा था। इन्हीं अफसरों की निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर उन 66 नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी गई थी, जो सीबीआई जांच में अनसूटेबल मिले हैं। बाद में मप्र हाईकोर्ट के निर्देश पर इन संस्थानों को राज्य सरकार ने बंद करने की कार्रवाई के निर्देश जिला कलेक्टर्स को दिए हैं।
इस साल फरवरी में बदल दिए नियम
गौरतलब है कि नर्सिंग कॉलेजों का फर्जीवाड़ा उजागर होने और मामला हाई कोर्ट में पहुंचने के बाद सरकार ने नर्सिंग कॉलेजों के मान्यता नियमों में फरवरी, 2024 में बदलाव किया, पर ये नियम भी उन्हें लाभ पहुंचाने वाले ही बनाए गए । इंडियन नर्सिंग काउंसिल के अनुसार कालेज शुरू करने के लिए पहले 23 हजार वर्गफीट फ्लोर एरिया की आवश्यकता होती थी, जिसे वर्ष 2024 में आठ हजार वर्गफीट कर दिया गया। राज्य सरकार ने इसके पहले वर्ष 2018 में नियम बनाए थे। इसकी तुलना में वर्ष 2024 में सभी मापदंडों में ढील दी गई थी। लाइब्रेरी, लेक्चर हाल, कंप्यूटर हाल, स्टाफ रूम सहित सभी जगह का क्षेत्रफल कम कर इसे 8150 वर्गफीट किया गया था। यह निर्णय शासन स्तर पर हुआ था। लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की याचिका पर हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। अब कोर्ट ने पुराने नियमों से ही नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने के लिए कहा है। हालांकि, प्रस्ताव में कई ऐसे बिंदु शामिल थे, जिससे नर्सिंग कॉलेजों की गुणवत्ता में सुधार आता, पर सरकार ने उन्हें लागू नहीं किया था। नर्सिंग कॉलेजों में फैकल्टी के लिए आधार सत्यापन अनिवार्य नहीं किया गया है, जबकि मेडिकल कॉलेजों के लिए यह व्यवस्था है।
कई तरह की दे दी गई ढील….
यहां के कॉलेजों में फैकल्टी के रूप में सेवा देने के लिए मप्र नर्सिंग काउंसिल में पंजीयन अनिवार्य नहीं किया। ऐसे में दूसरे राज्यों के नर्सिंग काउंसिल में पंजीकृत फैकल्टी निरीक्षण के दौरान कॉलेजों में अपना नाम दर्ज कराते हैं और बाद में चले जाते हैं। कॉलेज के लिए खुद का भवन भी जरूरी नहीं है। किराये के भवन में भी संचालित हो सकते हैं। नर्सिंग कालेजों से रिश्वत लेने-देने के आरोप में गिरफ्तार 13 आरोपितों में से चार को सीबाआई ने एक मई तक यानी तीन दिन के लिए और पुलिस हिरासत में लिया है। पूछताछ पूरी नहीं होने के कारण रिमांड अवधि बढ़ाई गई है। इनमें सीबीआई का बर्खास्त निरीक्षक राहुल राज ,ओम गिरी गोस्वामी, जुगल किशोर शर्मा और रवि प्रताप सिंह भदौरिया शामिल हैं। भदौरिया के यहां गमी होने के कारण उन्हें एक घंटे के लिए अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति भी न्यायालय ने दी है। बता दें कि सभी आरोपियों को सीबीआई दिल्ली की विशेष टीम ने 20 मई को भोपाल, इंदौर, रतलाम आदि स्थानों से गिरफ्तार किया था। इन्हें 29 मई तक रिमांड पर लेकर पूछताछ के लिए सीबीआई दिल्ली लेकर गई थी। रिमांड पूरी होने के पहले ही सीबीआइ ने नौ आरोपितों को मंगलवार को भोपाल में सीबीआई के विशेष न्यायालय में पेश किया था, जहां से जेल भेज दिया गया। उधर, आरोपित प्रीति तिलकवार, वेद प्रकाश शर्मा, सचिन जैन की ओर से कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया, जिस पर 31 मई को सुनवाई होगी।