लोकसभा चुनाव: युवा बनेंगे गेम चेंजर

मालवा निमाड़ अंचल कीसीटों पर 45 लाख युवा मतदाता जिसके साथ उसकी होगी जय…

भोपाल/मंगल भारत। मप्र की 29 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है। 2019 की अपेक्षा इस बार कम मतदान हुआ है। लेकिन लोगों का मानना है कि युवाओं में बढ़ चढक़र मतदान किया है। ऐसे में कहा जा रहा है की युवा मतदाता इस बार गेम चेंजर की भूमिका में हैं। इस अंचल की सभी सीटोंं पर मिलकार 45 लाख युवा मतदाता है। इन मतदाताओं ने जिसका साथ दिया होगा, उसकी जीत सुनिश्चित मानी जा रही है। उधर, भाजपा और कांग्रेस दोनों का कहना है कि युवा हमारे साथ है।
युवा मतदाताओं का गणित देखा जाए तो प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर 5 करोड़ 63 लाख मतदाताओं में से 18 वर्ष से 19 वर्ष के युवा मतदाताओं की संख्या 16 लाख 2 हजार है, जबकि 20 से 29 वर्ष के मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 36 लाख है। वहीं, 30 वर्ष से 39 वर्ष तक के युवा मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 49 लाख है। यही कारण है कि चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा और कांग्रेस का सबसे अधिक फोकस युवा मतदाताओं पर रहा। यह संख्या चुनाव जीतने और हारने के लिए बहुत बड़ा गणित है। यह संख्या इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि , पिछले लोकसभा चुनाव में कई सीटों में जीत हार का अंतर भी 50 हजार से 1 लाख के बीच रहा है। ऐसे में अगर युवा मतदाताओं ने जिस पार्टी को वोट दिया होगा उसका चुनाव जीतना निश्चित है।
युवा मतदाताओं पर टिका जीत का भरोसा
4 जून को ईवीएम मशीन जनमत के फैसले को उगलना शुरू करेगी। विजयी रथ पर सवार होकर देश की सबसे बड़ी पंचायत में कौन पहुंचेगा यह भी तय हो जाएगा। बहरहाल इंदौर को छोड़ मालवा-निमाड़ की सभी सीटों पर कयासबाजी के दौर जारी है। उम्मीदवारों की हार जीत, वोटों के अंतर, जातिगत आधार पर वोटिंग, महिलाओं के वोट के साथ चर्चा युवा मतदाताओं के रुझान पर भी है। गौरतलब है कि मालवा-निमाड़ में इस आयु वर्ग के 45 लाख से ज्यादा मतदाता है और मतदान को लेकर यही युवा इस बार सबसे ज्यादा उत्साहित भी थे। खास बात यह है कि सूबे के युवा यानी 18 से 29 वर्ष की आयु वाले मतदाताओं पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों का भरोसा टिका हुआ है। इस भरोसे के पीछे नेताओं के अपने-अपने तर्क भी है। सूबे की आठ लोकसभा सीटों पर 18 से 29 वर्ष की आयु वाले मतदाता करीब तीस प्रतिशत हैं। यानी 45 लाख से ज्यादा परिपक्व उम्र वाले या उम्रदराज मतदाताओं से इन युवाओं की सोच अलग होती है। इसका अंदाज हम अपने घरों में होने वाली चर्चा अथवा बहस से भी लगा सकते हैं जिसमें विचारों का मेल नहीं होता। आज का युवा सोशल मीडिया से ज्यादा प्रभावित है। स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर उसके पास जानकारी है और इन मुद्दों पर बेबाकी से राय प्रकट करने में भी युवा देर नहीं करते। लोस चुनाव में हुए मतदान में भी इस वर्ग के विचार मुख्तलिफ हो इससे इंकार नहीं किया जा सकता।
अपने-अपने दावे….
प्रदेश के बड़े वोट बैंक को लेकर पार्टियों के अपने-अपने दावें हैं। वरिष्ठ भाजपा नेता बाबूसिंह रघुवंशी का कहना है कि मालवा-निमाड़ में पिछले चुनाव जैसा ही परिणाम आएगा। भाजपा सभी आठ सीटें जीतेगी और मामूली घटबढ़ के साथ जीत का अंतर भी लगभग उतना रहेगा। उन्होंने कहा कि युवा मतदाताओं में पीएम मोदी का प्रभाव है, राम मंदिर निर्माण सहित केंद्र और राज्य सरकार के काम योजनाओं से युवा उत्साहित तो हैं एक बेहतर भविष्य की उम्मीद भी उसे है। रघुवंशी ने कहा कि सूबे की तीन आदिवासी सीट धार, खरगोन और रतलाम सीट पर युवाओं का वोट प्रतिशत थोड़ा कम हो सकता है, पर इसकी कमी लाड़ली बहनाएं पूरी कर देंगी। शेष पांच सीट पर भाजपा को इस वर्ग का सत्तर प्रतिशत से ज्यादा वोट मिलेगा। वहीं पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा इस चुनाव में बदलाव की बयार बह रही है। मतदाता खास कर युवाओं में केंद्र सरकार खास कर मोदी और भाजपा को लेकर खासा आक्रोश भडक़ा हुआ है। बढ़ती बेरोजगारी, मंदिर-मस्जिद पर फिरकापरस्ती भरी बातें, झूठी घोषणाएं आदि से युवा वर्ग नाराज है। वर्मा ने कहा ये सोशल मीडिया का जमाना है, अगर युवाओं की सोच और उनके विचार जानने हो तो सोशल मीडिया में झांकना होगा। हर प्लेटफार्म पर युवाओं की नाराजगी भरी पोस्ट भरी पड़ी है। तीन आदिवासी सीट पर तो भाजपा को झटका मिलेगा ही अन्य पांच सीटों पर भी परिणाम चौंकाने वाले आ सकते हैं।