शौचालयों तक की करनी पड़ रही है सीएम हेल्पलाइन में शिकायत

स्कूल शिक्षा विभाग के हाल बेहाल …

भोपाल/मंगल भारत। प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग की कार्यशैली नौ दिन चले अढ़ाई कोस की बन चुकी है। हालात यह है कि इस विभाग में अफसर अपनी मनमर्जी से काम करने के इतने आदी हो चुके हैं कि वे उन मामलों पर भी कार्रवाई नहीं करते हैं, जिनकी मानीटरिंग कई स्तर पर आला अफसर करते हैं। यही वजह है कि इस विभाग को सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों के निराकरण में सबसे पीछे रहना पड़ रहा है।
यह मामले भी ऐसे हैं, जिनका निराकरण स्कूल स्तर तक पर भी किया जा सकता है, लेकिन फिर भी उनका निराकरण नहीं किया जाता है, जिसकी वजह से लोगों को सीएम हेल्पलाइन तक का सहार लेना पड़ रहा है। इसके बाद भी यह समस्याएं हल नहीं हो रही हैं। इन शिकायतों में सामने आया है कि प्रदेश के विद्यार्थी स्कालरशिप के बाद सबसे ज्यादा सरकारी स्कूलों के शौचालयों में सफाई नहीं होने से परेशान हैं। प्राथमिक माध्यमिक स्कूलों के समय पर न खुलने और शिक्षकों के न मिलने की शिकायतें भी हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में कर्मचारी स्तर पर समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की समस्याएं सुलझाने के बजाय मामले उलझाने में ज्यादा रुचि लेते हैं। यही वजह हे कि कोर्ट के प्रकरणों की संख्या में भी सबसे ज्यादा है। अब मामला सीएम हेल्पलाइन शिकायतों के निराकरण का है। अकेले राज्य शिक्षा केंद्र में ही बीते 50 दिनों से 1228 शिकायतें लंबित है। प्रदेश में स्कूलों से जुड़ी समस्याओं के अटके रहने में सबसे पहला नंबर दमोह और फिर छतरपुर का है। इस पर नाराजगी जताते हुए राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक धनराजू एस ने सभी जिला शिक्षा केंद्र के जिला परियोजना समन्वयक को पत्र लिखकर स्थिति सुधारने के लिए कहा है। सीएम हेल्पलाइन पर अलग-अलग तरह की शिक्षा संबंधी कुल 1228 शिकायतें ऐसी हैं, जो पिछले 50 दिनों से अधिक समय से लंबित हैं। इनका निराकरण जिला स्तर से किया जाना है। इस वजह से राज्य शिक्षा केंद्र कार्यालय स्कूल शिक्षा विभाग की ग्रेडिंग खराब हो रही है। संचालक ने पत्र के माध्यम से जिला केंद्रों को निर्देशित किया है कि सीएम हेल्पलाइन प्रकरणों पर कार्रवाई समय- सीमा में सुनिश्चित करें।
इस तरह की अधिक शिकायतें
सीएम हेल्पलाइन पर स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख योजनाओं की सबसे अधिक शिकायतें लंबित हैं। इनमें स्कालरशिप एवं नेशनल टैलेंट सर्च कम एक्जामिनेशन योजना संबंधित 451, कक्षा एक से आठवीं तक की शासकीय शालाओं में शिक्षकों के विलंब से आने, अनुपस्थित रहने और बंद होने की 131, शालाओं के भवन निर्माण, स्वच्छ पानी, साफ- सफाई, शौचालयों संबंधी 133, फीस संबंधी 82, शिक्षा महाविद्यालय, डाइट में प्रवेश संबंधी 67 सहित व अन्य 156 शिकायतें लंबित हैं।
किस जिले में कितनी लंबित: प्रदेश के 46 जिलों में सीएम हेल्पलाइन पर स्कूल शिक्षा विभाग की शिकायतें लंबित हैं। इनमें सबसे अधिक छतरपुर जिले की 92, दमोह की 82 और बालाघाट की 68 हैं। जबकि सबसे कम सीधी और अलीराजपुर की एक-एक शिकायतें लंबित हैं। इसके अलावा राजधानी भोपाल की 20, इंदौर की दो, ग्वालियर की चार और जबलपुर की 13 शिकायतें 50 दिन से अधिक समय से लंबित पड़ी हुई हैं।
भोपाल के डीईओ दफ्तर का नहीं खुलता ताला
स्कूल शिक्षा विभाग के मुख्यालय में बैठे आला अधिकारी समस्याओं के सुधार के लिए लाख जतन कर लें, लेकिन राजधानी के हालत बदतर होते जा रहे हैं। भोपाल के मैदानी अमले डीईओ दफ्तर में कार्यालयीन समय में अधिकांशत: ताला ही लटका रहता है। डीईओ अंजनी कुमार त्रिपाठी दफ्तर से अधिकांश समय नदारद रहते है। उदाहरण के लिए बीतें रोज भी उनके कक्ष में ताला लटका हुआ था। इस दौरान कई लोग उनके इंतजार में कई घंटों से बैठे हुए थे। लेकिन वह दफ्तर नहीं पहुंचे। दफ्तर में नहीं रहने कारण अधिकांशत: डीईओ त्रिपाठी द्वारा कलेक्टर की मीटिंग में होना बताया जाता है।