मप्र से इस बार मोदी कैबिनेट में आधे रह जाएंगे मंत्री

नरेंद्र मोदी 9 जून को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ
लेंगे।

पीएम की शपथ से पहले मंत्रिमंडल को लेकर मंथन चल रहा है। सभी की निगाह मप्र पर है। क्योंकि यहां भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। इसलिए संभावना जताई जा रही है कि यहां से अधिक सांसद केंद्र में मंत्री बनेंगे। लेकिन बहुमत नहीं होने और गठबंधन की सरकार होने के कारण इस बार मप्र के हिस्से में तीन-चार मंत्री पद ही आ सकते हैं। एनडीए के घटक दलों ने कई अहम मंत्रालयों की मांग की है। ऐसे में घटक दलों को साधने के लिए मंत्रिमंडल से पुराने चेहरों को ड्रॉप कर नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है। नए सांसदों को मंत्रिमंडल में शामिल करने के दो फायदे हैं। पहला कैबिनेट मंत्री बनाने की बाध्यता नहीं होगी। दूसरा विभाग को लेकर भी किसी तरह का असंतोष नहीं होगा।
गौरतलब है कि देश में भाजपा की कई मजबूत राज्यों में हार हुई, लेकिन मप्र में पहली बार रिकॉर्ड सभी 29 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की। इस जीत के बाद सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि मप्र से कितने मंत्री बनाए जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि मंत्रिमंडल का फॉर्मूला तैयार हो गया है। एमपी को चार मंत्री मिल सकते हैं। मौजूदा मंत्रियों में सिर्फ ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही रिपीट किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और वर्तमान में नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मोदी 3.0 में कैबिनेट में मंत्री बनाया जा सकता है। एनडीए के घटक दल टीडीपी और जेडीयू ने कृषि मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय की मांग की है। अब ऐसे में शिवराज को कौन सा मंत्रालय मिलेगा, इस पर फैसला नहीं हुआ है। मोदी के तीसरे कार्यकाल में सिंधिया दूसरी बार मंत्री बनेंगे। उनके मंत्रालय पर भी अभी फैसला होना है। मप्र में भाजपा को भले ही ऐतिहासिक जीत मिली हो पर अन्य हिंदी राज्यों में मिली अप्रत्याशित हार ने जीत की चमक कुछ फीकी कर दी है। पिछले दो बार से केंद्र में अपने दम पर पूर्ण बहुमत लाने वाली भाजपा को इस बार गठबंधन की बैसाखियों पर चलना होगा। तय है कि अब फैसले भी सहयोगी दलों को पूरा महत्व देते हुए लेने होंगे। ऐसे में इस बार मप्र से केन्द्र में बनने वाले मंत्रियों की संख्या कम हो सकती है।
पूर्व सांसद दिखेंगे नई भूमिका में
मप्र में लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी 29 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया, लेकिन भाजपा ने जिन आठ सांसदों के टिकट काटे थे, अब वे सांसद नहीं रहे। उन्हें पार्टी में नई भूमिका पाने के लिए इंतजार करना होगा। भाजपा ने 8 सीटों पर मौजूदा सांसदों को नहीं दोहराया था। उनके स्थान पर दूसरे नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा गया था, ये सभी प्रत्याशी चुनाव जीत गए। इन सीटों में वे सीटें शामिल नहीं थीं, जिन पर सांसदों को 2023 में विधानसभा चुनाव लड़ाया गया था और बाद में वे विधायक और मंत्री बन गए थे। उनके स्थान पर नए उम्मीदवारों को भाजपा से टिकट दिया गया था। भाजपा ने जिन आठ सीटों पर अपने उम्मीदवारों को नहीं दोहराया और जो नई भूमिकाओं की प्रतीक्षा कर रहे हैं, उनमें भोपाल लोकसभा सीट भी शामिल है, जहां मौजूदा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर का टिकट काट दिया गया था। इस सीट से आलोक शर्मा को मैदान में उतारा गया था, वे बड़े मार्जिन से चुनाव जीतकर सांसद निर्वाचित हुए है।
सागर लोकसभा सीट पर भाजपा ने मौजूदा सांसद राज बहादुर सिंह के स्थान पर इस बार लता वानखेड़े को मैदान में उतारा था। ग्वालियर में बीजेपी ने विवेक शेजवलकर के स्थान पर भरत सिंह कुशवाहा को मैदान में उतारा था। बालाघाट में भाजपा ने ढाल सिंह बिसेन को हटाकर डॉ. भारती पारधी को मैदान में उतारा था। ऐसे ही धार में छतर सिंह दरबार की पुनरावृत्ति नहीं हुई। भाजपा ने इस सीट से सावित्री ठाकुर को मैदान में उतारा था। विदिशा में रमाकांत भार्गव का टिकट काटकर पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को प्रत्याशी बनाया गया था। गुना में भाजपा सांसद के तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को जिताने के लिए केपी सिंह को किनारे कर दिया गया। रतलाम में गुमान सिंह डामोर के स्थान पर अनिता सिंह चौहान को मैदान में उतारा था। । चूंकि बीजेपी ने मप्र में सभी 29 सीटें जीतीं, इसलिए नए चेहरों को मैदान में उतारने के पार्टी के फैसले पर कोई सवाल नहीं उठा, लेकिन जिन सांसदों के टिकट काटे गए, वे राजनीतिक पुनर्वास का इंतजार कर रहे हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि आने वाले दिनों में इन निवर्तमान सांसदों को पार्टी संगठन में जगह दे सकती है।
आधा दर्जन नाम चर्चा में…
इस बार प्रदेश में रिकॉर्ड जीत के बाद केंद्र में मंत्री बनने के लिए आधा दर्जन से अधिक नामों की चर्चा है। पिछली बार मोदी सरकार में प्रदेश से पांच सांसदों को मंत्री पद से नवाजा गया था। इनमें नरेन्द्र सिंह तोमर, ज्योरािदित्य सिंधिया, प्रहलाद पटेल, वीरेन्द्र कुमार खटीक और फग्गन सिंह कुलस्ते के नाम शामिल थे। नरेन्द्र सिंह तोमर विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा अध्यक्ष बन चुके हैं तो प्रहलाद पटेल भी प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। पिछली बार मंत्री रहे वीरेन्द्र कुमार और फग्गन सिंह इस बार भी चुनाव जीते हैं पर इन दोनों को इस बार मौका मिले, इसकी संभावना ज्यादा नहीं है। इनकी जगह पार्टी किसी और आदिवासी और अजा चेहरे पर विचार कर सकती है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में सबसे पहले जिन दो नेताओं को शामिल किया जाएगा, उनमे प्रदेश में चार बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और पिछली बार के मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम लगभग तय माना जा रहा है। शिवराज सिंह ने विदिशा से जीत का इतिहास रचा है। इस जीत से संदेश साफ है कि उनकी लोकप्रियता का ग्राफ कम नहीं हुआ है। इन दोनों नेताओं के अलावा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी हाईकमान की पसंद हो सकते हैं। पहले विधानसभा और उसके बाद लोकसभा में पार्टी ने जो प्रदर्शन किया, उसने उनका कद केंद्रीय नेताओं की नजर में काफी बढ़ा दिया है। वीडी केन्द्र में मंत्री नहीं बनते तो उनका प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहना भी तय है। इसके अलावा धार से सांसद सावित्री ठाकुर और शहडोल की सांसद हिमाद्री सिंह को भी मौका मिल सकता है। हालांकि मंत्री बनने वालो की लिस्ट मे सतना सांसद गणेश सिंह, मंदसौर से सुधीर गुप्ता भी शामिल है।