मप्र के सीएमओ को बनाया पावरफुल

डॉ. मोहन की पावर पॉलिटिक्स.

डॉ. मोहन यादव ने 13 दिसंबर 2023 को शपथ लेने के बाद मंत्रालय में बैठकर जो पहला आदेश जारी किया, उसमें उनके पावर पॉलिटिक्स की पहली झलक दिखी थी। उसके बाद उन्होंने अधिकारियों को पावर के साथ जिस तरह डिसिप्लिन का पाठ पढ़ाया तो उससे साफ हो गया कि मप्र में अब पावर पॉलीटिक्स देखने को मिलेगी। पावर पॉलिटिक्स को अमलीजामा पहनाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अब मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ)को पावरफुल बनाना शुरू कर दिया है। देश में मप्र का मुख्यमंत्री कार्यालय पहला सीएमओ बन गया है, जिसमें अफसरों की एक संतुलित टीम पदस्थ हुई है। इस टीम में अनुभवी, ऊर्जावान और अलग-अलग विधा के माहिर आईएएस अफसर पदस्थ हैं। डॉ. मोहन के पावर मैनेजमेंट को देखकर हर कोई यह कहने को मजबूर हो रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की तर्ज पर अब सीएम डा. मोहन यादव के मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) को पावरफुल किया जा रहा है। खास बात यह है कि इन अफसरों के पास आईआईटी, आईआईएम, लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ाई का अनुभव है। सीएमओ के अफसरों का यह समूह चिकित्सा, इंजीनियरिंग, अर्थशास्त्र, प्रबंधन, राजनीति, साहित्य जैसे विषयों का जानकार भी है। अभी कुछ अफसरों की सीएमओ में और पदस्थापना हो सकती है। वहीं कुछ की जिम्मेदारियों में बदलाव किया जा सकता है। अगले हफ्ते तक नए सिरे से कामकाज का बंटवारा हो सकता है। अहम ये भी है कि डॉ. राजौरा सीएस पद की दौड़ में भी शामिल हैं।
सीएमओ में पहली बार एसीएस की पदस्थापना
मंत्रालयीन सूत्रों का कहना है की पहली बार एसीएस रैंक के अफसर को सीएम सचिवालय में पदस्थ किया है। वहीं अब सीएम के दो पीएस हो गए हैं। सीएमओ में दूसरे अफसरों की तैनाती में भी अनुभव और युवा जोश का तालमेल करके पदस्थापना की जा रही है। सीएमओ में 1990 बैच के आईएएस अधिकारी एसीएस डॉ. राजेश राजौरा को पदस्थ किया है। एमबीबीएस राजौरा मेहनती, तेजतर्रार और अनुभवी अफसर हैं। अनेक बडे विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। कृषि पीएस रहते 6 कृषि कर्मण मिले। अभी जल संसाधन, एनवीडीए भी संभाल रहे। गृह, उद्योग, उद्यानिकी, परिवहन में रह चुके हैं। अहम ये भी डॉ. राजौरा सीएम पद की दौड़ में भी शामिल हैं। 2009 बैच के आईएएस अविनाश लवानिया अपर-सचिव हैं। भोपाल, उज्जैन कलेक्टर रह चुके हैं। मध्य प्रदेश सडक़ विकास निगम के प्रबंध संचालक भी हैं। मेहनती, कुशल प्रशासक। राजनीतिक परिवार से ताल्लुक होने के बाद भी बेदाग छवि। 1994 बैच के संजय शुक्ल पीएस हैं। शुक्ल की छवि तेज गति से काम करने वाले अफसर की है। महिला बाल विकास की जिम्मेदारी भी संभाल रहे। उद्योग, बिजली, पीएचई, नगरीय प्रशासन सहित अनेक विभागों में रह चुके हैं। भोपाल के कलेक्टर भी रहे। बीते ढाई साल में कई तबादले हुए, लेकिन मेहनत, लगन और परफॉर्मेंस में कमी नहीं आने दी। 1997 बैच के राघवेंद्र सिंह पीएस हैं। सीएम बनने के बाद डॉ. मोहन यादव की पसंद के पहले अफसर बने। इन्हें सीएम ने प्रमुख सचिव बनाया। साफ छवि और अच्छे टीम लीडर। इंदौर में कलेक्टर, बिजली कंपनी सीएमडी, वाणिज्यिकर आयुक्त रहे। उच्च शिक्षा, खमत सहित अनेक विभाग संभाल चुके हैं। अभी उद्योग व लोकसेवा प्रबंधन की जिम्मेदारी भी है। 2010 बैच के चंद्रशेखर वालिम्बे अपर सचिव हैं। उच्च शिक्षा, मैप आईटी, रेरा, राजस्व जैसे विभागों में रह चुके हैं। मेहनती व बेहतर प्रबंधन वाले अधिकारी माने जाते हैं। अदिति गर्ग, उपसचिव, 2015 बैच एमएससी (इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंस) लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स स्वास्थ्य सेवाओं का काम भी है। मेहनती अफसर। महिला बाल विकास, उज्जैन निगम में रही। इंदौर स्मार्ट सिटी सीईओ रहते अवकाश के दिन काम की परंपरा पर सवाल उठा चुकी हैं। 2008 बैच के भरत यादव सचिव हैं। इनकी लोकसभा चुनाव के पहले तैनाती हुई है। नगरीय प्रशासन आयुक्त की जिम्मेदात्री भी है। मुरैना, ग्वालियर में कलेक्टर रह चुके हैं। हाउसिंग बोर्ड, जीएडी विभाग में रहे हैं। रेलवे के टीटी की नौकरी छोडकऱ आइएएस बने थे। 2016 बैच कें अंशुल गुप्ता उप सचिव हैं। अभी सीएम उपसचिव के अलावा राज्य लोकसेवा अभिकरण व समग्र मिशन सहित अन्य कई काम हैं। उज्जैन निगम आयुक्त रह चुके हैं। सिविल सेवा में आने से पहले एलएंडटी, विप्रो में काम करने का अनुभव रहा है।
विकास की नई कहानी लिखने की शुरुआत
जब मुख्यमंत्री के रूप में जब डॉ. मोहन यादव शपथ ले रहे थे तो कई लोगों के मन में आश्चर्य का भाव था। शायद करीब 17 साल से एक ही मुख्यमंत्री को देख रहे वे लोग बदलाव से अनभिज्ञ थे। लेकिन शपथ के साथ ही उज्जवल मप्र के लिए एक नई कहानी लिखने की शुरुआत भी हो चुकी है। जिन लोगों ने नए सीएम के राजनीतिक जीवन और मुख्यमंत्री पद को लेकर तुलना की थी, उनकी योग्यता पर सवाल खड़े किए थे। अब वे लोग भी डॉ. मोहन यादव के कामकाज का गुणगान कर रहे हैं। नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पदभार ग्रहण किए करीब छह महीना हो गया है। मप्र के इतिहास में आज तक के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे सीएम हैं। ऐसे में हर कोई अपेक्षा कर रहा है की मुख्यमंत्री मप्र में विकास की नई कहानी लिखकर रहेंगे।