मप्र में अब राजनीतिक नियुक्तियों की बारी

आयोगों को जल्द मिलेंगे अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी.

मप्र में अब राजनीतिक नियुक्तियों का सिलसिला शुरू होगा। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लोकसभा चुनाव के पहले ही संकेत दे दिया था कि चुनाव निपटते ही आयोगों में खाली पड़े पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी। सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद अब जल्द ही प्रदेश संगठन की सलाह पर सरकार खाली पड़ी संवैधानिक संस्थाओं में नियुक्ति करने जा रही है। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। सरकार और संगठन के नेताओं के बीच आयोगों में नियुक्ति को लेकर बातचीत का दौर शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि इसी हफ्ते लंबे समय से खाली पड़े आयोगों समेत अन्य संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की जा सकती है।
गौरतलब है कि नई सरकार के गठन के बाद से राज्य महिला आयोग, बाल अधिकार संरक्षण आयोग, मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग, सूचना आयोग समेत अन्य संस्थाओं में अध्यक्ष से लेकर सदस्यों तक के पद रिक्त पड़े हैं। जिनसे इन संस्थाओं का काम प्रभावित हो रहा है। इन आयोगों में महीनों से प्रकरणों की सुनवाई लंबित पड़ी है। विपक्ष भी इन पदों के खाली रहने को लेकर सवाल उठाता रहा है। अब सरकार जल्द ही इन आयोगों में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करने जा रही है। इन पदों पर नियुक्ति को लेकर विचार मंथन का दौर का दौर शुरू हो गया है। संगठन ने अपने स्तर पर कुछ नाम चयनित किए हैं। प्रदेश से जुड़े वरिष्ठ नेताओं की सलाह के बाद सरकार की ओर से इनकी नियुक्ति कि आदेश जारी हो जाएंगे। फिलहाल पार्टी के केंद्रीय संगठन के फैसलों पर प्रदेश के नेताओं की नजर है। भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का कार्यकाल इसी महीने पूरा हो रहा है। वे केंद्र में मंत्री भी बन चुके हैं। लिहाजा उनका इस्तीफा तय है। प्रदेश के नेताओं को इंतजार इस बात का है कि केन्द्रीय नेतृत्व किसी नेता को सीधे अध्यक्ष मनोनीत करता है या फिर संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू करता है। संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने पर ये नियुक्तियां और ज्यादा समय तक टल सकती है।
निगम-मंडल व प्राधिकरणों में करना होगा इंतजार
लोकसभा की सभी 29 सीटों पर भाजपा का कमल खिलने के बाद निगम-मंडल और आयोग- प्राधिकरण में राजनीतिक नियुक्तियों के लिए दावेदारों की सक्रियता एक बार फिर तेज हो गई है। सरकार ने संवैधानिक दर्जा प्राप्त आयोगों के प्रमुख पदों पर नियुक्तियां शीघ्र करने की तैयारी कर ली है लेकिन निगम-मंडलों में दर्जा मंत्रियों की ताजपोशी के लिए फिलहाल दिल्ली अभी दूर है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने फरवरी में मंत्री और राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त 46 लोगों की नियुक्ति निरस्त कर दी थी। इसके बाद यह तय किया गया था कि आयोग, बोर्ड, और निगम मंडलों में नेताओं की ताजपोशी अब लोकसभा चुनाव के बाद की जाएगी। लोकसभा चुनाव निपटने के बाद संगठन ने तय किया है कि सबसे पहले आयोगों में नियुक्ति की जाएगी ताकि कामकाज प्रभावित न हो। निगम मंडलों की नियुक्तियों के लिए अभी विचार नहीं चल रहा है। हालांकि निगम मंडल से चार महीने पहले हटाए गए नेताओं ने संगठन और सत्ता से जुड़े शीर्ष नेताओं के सामने भी अपनी बात रखी है। इनमें से अधिकांश नेता ऐसे हैं जिन्हें विधानसभा चुनाव के कुछ समय पहले निगम-मंडल या विकास प्राधिकरणों में नियुक्ति दी गई थी, कुछ पदाधिकारी तो सालभर का समय पूरा भी नहीं कर पाए और उन्हें हटना पड़ा। इन नेताओं को संगठन ने भरोसा दिलाया है कि उनकी बात पर विचार किया जाएगा।
पाला बदलने वाले भी दावेदार
चुनाव के दौरान कांग्रेस के कई नेताओं ने भी इसी उम्मीद में निष्ठा बदलकर भाजपा का दामन थाम लिया कि उन्हें निगम-मंडल की कमान मिलेगी। दरअसल, विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस छोडकऱ भाजपा में आए नेताओं को अब अपने राजनीतिक पुर्नवास की चिंता सता रही है। कुछ पूर्व सांसद, पूर्व विधायक संगठन या फिर सरकार की किसी संस्था में पद की चाह रख रहे हैं। पार्टी स्तर पर भी इन नेताओं का सम्मान बनाकर रखने पर विचार किया जा रहा है। इनमें से कई नेताओं की आने वाले समय में निगम मंडलों में ताजपोशी हो सकती है। संगठन इन नेताओं के साथ भाजपा मूल कैडर के कार्यकर्ता को नाराज नहीं करना चाहता। लिहाजा वह चयन के मामले में भी बेहद सावधानी बरत रहा है। पिछले दिनों सीएम की संगठन नेताओं की साथ हुई बैठक में फिलहाल निगम मंडलों की नियुक्तियों को टालने का तय किया गया है। कांग्रेस से आए जिन नेताओं को नियुक्ति मिल सकती है उनमें दीपक सक्सेना, सुरेश पचौरी, गजेन्द्र सिंह राजूखेड़ी, छतर सिंह दरबार, नीलेश अवस्थी जैसे नेताओं के नाम शामिल है। वहीं संघ से जुड़े नेताओं के नाम भी विचार हो रहा है। इनमें से अधिकांश पूर्व संभागीय संगठन मंत्री हैं, इनमें शैलेन्द्र बरूआ, जितेन्द्र लिटोरिया, आशुतोष तिवारी, सत्येन्द्र भूषण सिंह जैसे नेता शामिल हैं।