बांगरे को भारी पड़ रही है अब राजनैतिक महत्वाकांक्षा

पहला मामला है जब नौकरी छोडऩे के बाद फिर मांगी जा रही है.

भोपाल/मंगल भारत। राज्य प्रशासनिक सेवा की महिला अफसर निशा बांगरे को अब राजनीतिक महत्वाकांक्षा भारी पड़ रही है। वे उन पूर्व अफसरों में शामिल हो चुकी हैं, जो न तो अब अफसर ही रही हैं और न ही नेता ही बन सकी हैं। ऐसे में अब उन्हें पुरानी नौकरी यानि की अफसरी की याद सताने लगी है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव होने के बाद से ही वे सरकार से फिर नौकरी में वापसी चाहती हैं, लेकिन सरकार उनके बारे में कोई फैसला नहीं कर पा रही है। इसकी वजह है पूर्व में इस तरह का कोई उदाहरण नहीं है कि किसी अफसर ने इस्तीफा देने के बाद फिर से नौकरी की मांग की हो और उसे नौकरी पर बहाल किया गया हो। इस वजह से उनको लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सामान्य प्रशासन विभाग निशा बांगरे के आवेदन के बाद से उससे संबधित हर पहलू का अध्ययन कर रहा है। इस पर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव करेंगे। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इससे पहले भी मप्र में भारतीय प्रशासनिक सेवा और राज्य प्रशासनिक सेवा के कई अधिकारियों ने नौकरी छोड़ी है, लेकिन अब तक की पड़ताल में ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है. जिसमें नौकरी छोडऩे के बाद किसी अधिकारी ने सेवा में वापसी के लिए आवेदन दिया हो। निशा बांगरे पहली अधिकारी हैं, जिन्होंने सरकार को आवेदन देकर कहा है कि वे नौकरी में वापस आना चाहती है। दरअसल, निशा बांगरे का आवेदन मिलने के बाद जीएडी के अधिकारी इस बात की पड़ताल में लगे हैं कि इससे पहले भी किसी अधिकारी ने नौकरी छोडऩे के बाद पुन: नौकरी में वापसी के आवेदन दिया था। और यदि आवेदन दिया था, तो सरकार ने उस पर किन नियमों के तहत क्या निर्णय लिया था, लेकिन अब तक ऐसा एक भी केस संज्ञान में नहीं आया है। निशा का प्रकरण अपनी तरह का पहला मामला है। अब शासन को निर्णय करना है कि वह उन्हें नौकरी में वापस ले या नहीं।