बुंदेलखंड में… रुक नहीं रहा पलायन

रोजगार की तलाश में लगातार अपना घर-द्वार छोड़ रहे लोग

हाल ही में मप्र सरकार ने राज्य से पलायन होने जैसी खबरों का खंडन किया है। साथ ही कहा है कि लोगों की आय में बढ़ोतरी के चलते मजदूर मिलने में कठिनाई हो रही है। ये दावा राज्य विधानसभा में भाजपा के विधायक राजेश कुमार शुक्ला के प्रश्न के लिखित उत्तर में किसान कल्याण मंत्री ऐदल सिंह कंषाना ने किया है। मंत्री ने कहा कि बुंदेलखंड क्षेत्र में पलायन का कोई सबूत नहीं है। लेकिन खाद्य सुरक्षा विभाग की रिपोर्ट में सरकार के दावे की पोल खुल गई है। रिपोर्ट के अनुसार मप्र के हिस्से वाले बुंदेलखंड से न सिर्फ मजदूरों का पलायन हुआ है, बल्कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत दिया जाने वाला राशन भी अन्य राज्यों में जा रहा है। राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार का कहना है कि अब पहले की तरह पलायन की स्थिति बुंदेलखंड में नहीं है। भाजपा की सरकार में हर वर्ग का ध्यान रखा जा रहा है। अगर कहीं थोड़ा बहुत पलायन हो भी रहा होगा तो वह जल्द रुकेगा। क्योंकि सरकार का ध्यान बुंदेलखंड पर है। जबलपुर में होने वाली बैठक में इसी तरह के मुद्दों पर काम होगा। लोगों को यहीं रोजगार मिले इसे लेकर भी नई योजनाओं को लेकर तैयारियां चल रही हैं।
गौरतलब है कि देश में बुंदेलखंड सबसे पिछड़ा इलाका है। गरीबी, असहायता, उपेक्षा के कारण लोग बड़ी संख्या में यहां से पलायन कर दूसरे राज्यों में रोजी-रोटी के लिए जाते हैं। अब स्थिति यह है कि ये लोग उन्हीं राज्यों में निवास भी करने लगे हैं। मप्र खाद्य सुरक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार बुंदेलखंड के छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, दमोह, पन्ना जिलों के 22,323 रहवासी मजदूरी के लिए दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में रह रहे हैं। इन्हें ओएनओआर (वन नेशन वन राशन कार्ड) के तहत देश के किसी राज्य में आधार कार्ड दिखाकर राशन मिल जाता है। केंद्र से मिलने वाला कोटा यहां से कम कर लिया जाता है।
सबसे अधिक सागर से पलायन
बुंदेलखंड के जिलों में सागर की स्थिति सबसे अच्छी है। लेकिन मप्र खाद्य सुरक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक 8167 लोगों का पलायन इसी जिले में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, छतरपुर से 6148, निवाड़ी से 1360, सागर से 8167, पन्ना से 2371 और टीकमगढ़ से 380 लोगों ने पलायन किया है। इससे यह साफ हो गया है कि शासन और प्रशासन पलायन रोकने के दावों के विपरीत यहां से पलायन जारी है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत हर जिले में तय हितग्राहियों के हिसाब से राशन आता है। जिस जिले में जितने हितग्राही कम होते हैं, उतना राशन संबंधित जिलों से कम कर दिया जाता है। यानी जिस माह जितने हितग्राही कम होंगे उतना राशन अगले माह नहीं भेजा जाएगा। वह संबंधित हितग्राही (जहां वह मजदूरी के लिए गया है) के यहां भेज दिया जाता है। छतरपुर जिले में 2 लाख 96 हजार 353 हितग्राही हैं। इनमें इस माह 6148 हितग्राहियों का राशन छतरपुर नहीं आते हुए संबंधित राज्य की पीडीएस दुकान में भेज दिया जाएगा। छतरपुर जिले के लिए जुलाई माह के लिए करीब 26 हजार क्विंटल गेहूं और 33 हजार 126 क्विंटल चावल आया है। इस आवंटन को जिले भर की 656 राशन दुकानों में खाद्यान्य सप्लाई किया जाएगा है। जहां से हितग्राही अपना अपना राशन लेते हैं। हर रोज कितने लोगों ने राशन लिया इसकी ऑनलाइन फीडिंग भी विभागीय स्तर पर की जाती है। छतरपुर के नागरिक आपूर्ति अधिकारी सीताराम कोठारे का कहना है कि हमारे यहां जितने हितग्राही हैं, उनके हिसाब से राशन आवंटित होता है। यह सही बात है छतरपुर जिले से बड़ी संख्या में हितग्राही दूसरे राज्यों चले गए हैं। जितने हितग्राही कम हो जाते हैं उतनों का राशन कम होकर आता है। छतरपुर कलेक्टर संदीप जीआर का कहना है कि जिले से पलायन करने वालों का डेटा जुटा रहे हैं। इसके लिए सर्वे भी कराएंगे। कार्यक्रमों के माध्यम से स्किल के आधार पर लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाएंगे। इसे लेकर हम प्लानिंग कर रहे हैं।