उपचुनाव में बजता है भाजपा का डंका

भाजपा के आगे हर बार फेल हो जाती है कांग्रेस की रणनीति

भोपाल/मंगल भारत। मप्र में कांग्रेस का बुरा समय खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद 29 लोकसभा सीटों पर पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया। अब अमरवाड़ा उपचुनाव में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। इस बीच कांग्रेस की दर्जनों बैठक और कार्यकर्ताओं से लेकर बड़े नेताओं तक लंबा मंथन का दौर चला, लेकिन नतीजे नहीं बदले। दरअसल मप्र में होने वाले उप चुनावों में भाजपा का डंका बजता है। हाल ही में हुए लोकसभा के चुनाव और उसके बाद उपचुनावों में कांग्रेस ने 10 सालों का सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन मप्र में स्थिति इसके बिल्कुल उलट है। पार्टी यहां हर मोर्चे पर लगातार शिकस्त का सामना कर रही है। पार्टी से नेताओं का मोहभंग हो रहा है। नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं। इस सबके बीच भाजपा के मजबूत संगठन से लड़ना कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती है। कांग्रेस के 3 मौजूदा विधायक अब तक भाजपा का दामन थाम चुके हैं। इनमें से अमरवाड़ा के कमलेश शाह भाजपा की टिकट पर चुनाव अभी जीत गए। वहीं रामनिवास रावत को सरकार ने मंत्री बना दिया गया है।
पांच साल में 24 में उपचुनाव हारी कांग्रेस
पिछले बीस सालों से सत्ता के रथ पर सवार भाजपा अधिकांश उपचुनावों में जीत दर्ज करती रही है। कांग्रेस को उपचुनावों में विजय श्री कम ही अवसरों पर मिली है। हालांकि उपचुनावों में तीसरी ताकत का भी कई सीटों पर बड़ा रोल रहा और इसकी वजह से ही कांग्रेस जीतते-जीतते हार गई। 2018 से अब तक 34 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो चुके हैं, इनमें 24 सीटों पर जीत दर्ज कर भाजपा ने कांग्रेस को कमजोर किया है। इनमें से अधिकांश सीटें वे रही हैं, जिन पर कांग्रेस काबिज थी पर उपचुनाव में वह हार गई। उपचुनाव में भाजपा को मिली विजय चौंकाने वाली नहीं है। राजनीति के जानकार इसी तरह के परिणाम की उम्मीद कर रहे थे। इस उपचुनाव में भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी थी ,तो सत्ता में होने के कारण उसका कार्यकर्ता भी उत्साह में था। 2018 से लेकर अब तक प्रदेश में 34 उपचुनाव हो चुके हैं और भाजपा इनमें हमेशा बढ़त बनाती रही है। सबसे ज्यादा 28 सीटों पर उपचुनाव 2020 में हुआ था जब कमलनाथ की पंद्रह महीने पुरानी सरकार को अल्पमत में आने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था। कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उपेक्षा के चलते अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ दी थी। इसके बाद 22 सीटों पर उपचुनाव तय हो गए थे। इसके बाद तीन और विधायकों ने कांग्रेस छोड़ दी थी और तीन सीटें विधायकों के निधन के कारण रिक्त थीं। इस तरह इस साल सबसे ज्यादा 28 सीटों पर उपचुनाव हुए थे। इनमें अधिकांश सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। दिलचस्प यह था कि कांग्रेस से भाजपा में आने वाले कई विधायक उपचुनाव में पिछले चुनाव से भी अधिक मतों से जीते थे। अमरवाड़ा उपचुनाव के परिणामों ने कांग्रेस को एक बार फिर मंथन पर विवश कर दिया है। इस सीट पर पिछले पांच दशक में अधिकांश बार कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। कमलनाथ के प्रभाव वाली इस सीट पर कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए कमलेश शाह ने एक बार फिर जीत दर्ज की। यह जीत छोटी है पर शाह ने लगातार चौथी बार जीत कर क्षेत्र में अपने प्रभाव का सिद्ध कर दिया है। अमरवाड़ा में कांग्रेस का थोक वोट बैंक माना जाता है। कांग्रेस ने तुरुप चाल चलते हुए आंचलकुंड धाम से जुड़े धीरन शाह को मैदान में उतारा था। उन्होंने शाह को जमकर टक्कर दी पर मजबूत बूथ प्रबंधन के चलते भाजपा ने इस सीट को कांग्रेस से छीन लिया। उपचुनाव के परिणाम से साफ है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का असर इस क्षेत्र में कम हो रहा है। एक महीने पहले ही उनके पुत्र नकलनाथ को भी हार मिली थी।
बुधनी, बीना, विजयपुर उप चुनाव की तैयारी
श्योपुर जिले की विजयपुर, सागर की बीना और सीहोर की बुदनी विधानसभा सीट के उप चुनाव की घोषणा भले ही अभी नहीं हुई है, पर कांग्रेस पूरी तैयारी में जुट गई है। तीनों सीट के लिए प्रभारी नियुक्त करने के बाद कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें की जा रही हैं, जिसमें स्थानीय कार्यकर्ताओं से बातचीत कर उनकी राय ली जा रही है। इस दौरान संभावित प्रत्याशियों के नामों पर भी चर्चा की जा रही है। साथ ही ऐसी कमजोरियों को चिह्नित किया जा रहा है जो जीत में बाधा बन सकती हैं। विजयपुर सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीते रामनिवास रावत के भाजपा में जाने बाद यह सीट रिक्त हुई है। लोकसभा सदस्य बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान के बुदनी सीट से त्यागपत्र देने यह खाली हुई है। बीना से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे भाजपा में शामिल हो गई हैं, इसलिए यहां उपचुनाव होना है। हालांकि, अभी तक उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से त्याग पत्र नहीं दिया है। पार्टी ने विजयपुर सीट के लिए विधानसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, बीना के लिए विधायक लघन घनघोरिया और बुधनी के लिए विधायक जयवर्धन सिंह को प्रभारी बनाया है। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की उपस्थिति में शनिवार को बीना विधानसभा क्षेत्र के सौ से अधिक कार्यकर्ताओं के साथ बैठक हुई। रविवार को विजयपुर क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के साथ ही बैठक कर राय जानी गई। इसके पहले बुदनी की बैठक भी हो चुकी है। पटवारी ने कहा, उप चुनाव को लेकर हम तैयारी कर रहे हैं। प्रत्याशी चयन से लेकर संगठन का मजबूत करने के लिए कार्यकर्ताओं से राय ली जा रही है। अमरवाड़़ा उप चुनाव में मिली जीत के बाद अब विजयपुर और बीना विधानसभा सीट पर उप चुनाव में कांग्रेस से भाजपा में आए विधायकों को ही चुनाव लड़ाया जाएगा। यहां से कांग्रेस विधायक रहते कमलेश शाह ने भाजपा में शामिल होने के बाद इस्तीफा दिया था पार्टी ने उन्हें ही उप चुनाव लड़ाया और कमलेश शाह ने धीरन शा इनवाती को हराकर जीत दर्ज की।