कुपोषित बच्चों की पहचान में बड़ी लापरवाही -जय

सीधी। जिले में महिला बाल विकास की लापरवाही के चलते कुपोषित बच्चों की समय पर पहचान करने एवं उपचार सुनिश्चित करानें में बड़ी लापरवाही बनी हुई है। जबकि कुपोषित बच्चों के उपचार एवं पोषण आहार को लेकर भारी भरकम बजट भी मिलता है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता जय सिंह ने कहा है कि कुपोषित बच्चों की पहचान को लेकर जिला कार्यक्रम अधिकारी पूरी तरह निष्क्रिय है। उनकी लापरवाही से आंगनवाड़ी केंद्र स्तर से भी लापरवाही बनी हुई है। जिला कार्यक्रम अधिकारी जब से पदस्थ हुए हैं कभी फील्ड में भ्रमण में नहीं जाते और न ही उनके द्वारा विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन पर कोई ध्यान दिया जाता।इसी वजह से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा अपने क्षेत्र में भ्रमण कर कुपोषित बच्चों की पहचान का काम औपचारिक रूप से ही किया जाता है। गरीब परिवारों के कुपोषित बच्चों की न तो समय पर पहचान हो पाती और न ही उन्हें उपचार की सुविधा ही मुहैया हो पाती। श्री सिंह ने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताएं कुपोषित बच्चों की पहचान में इसलिए लापरवाह हैं क्योंकि उनको स्वयं उपचार करानें के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ेगा। किसी वजह से सीधी जिले में 0 से 6 वर्ष के बच्चों के वजन एवं ऊंचाई के मापन में भी फर्जी आंकड़े आंगनवाड़ी केंद्रों की ओर से दर्ज करके परियोजना कार्यालयों में जमा कराया जाता है। हकीकत यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित आंगनवाड़ी केंद्र न तो समय पर खुलते हैं और न ही वहां गुणवत्तायुक्त नास्ता बनाने की जरूरत समझी जाती है। अधिकांश आंगनवाड़ी केंद्रों में कार्यकर्ताएं नियमित रूप से जाती ही नहीं हैं। सहायिका के जिम्मे ही आंगनवाड़ी केंद्र का संचालन है।सहायिकाओं द्वारा आंगनवाड़ी केंद्र में नास्ता एवं खाने के वितरण की व्यवस्था देखी जाती है। उस दौरान भोजन की गुणवत्ता नहीं जांची जाती।