बांग्लादेश में अस्थिरता के चलते भारत की विकास परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं: विदेश मंत्रालय

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि बांग्लादेश में उथल-पुथल के कारण कुछ परियोजनाओं पर काम रुका हुआ है. एक बार जब हालात स्थिर हो जाते हैं तो हम पड़ोसी देश से बात करेंगे.

नई दिल्ली: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटने के बाद पहली बार भारत ने शुक्रवार (30 अगस्त) को कहा कि वहांं कानून–व्यवस्था की खराब स्थिति के कारण भारत की ‘विकास परियोजनाएं’ प्रभावित हुई हैं.

एक अन्य कार्यक्रम में शुक्रवार को ही विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी बांग्लादेश के घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राजनीतिक परिवर्तन विध्वंसकारी भी हो सकते हैं.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि बांग्लादेश में उथल–पुथल के कारण ‘द्विपक्षीय परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं.’

मीडिया के सवालों के जवाब में जायसवाल ने कहा, ‘हां, बांग्लादेश में उथल–पुथल के कारण हमारी परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं. मैं आपको बता दूं कि बांग्लादेश के साथ हमारी विकास सहयोग गतिविधियों का उद्देश्य बांग्लादेश के लोगों का कल्याण है… प्रधानमंत्री ने भी अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में कहा था कि भारत हमेशा बांग्लादेश की विकास यात्रा का शुभचिंतक रहेगा.’

उन्होंने आगे कहा, ‘कुछ परियोजनाओं पर काम रुका हुआ है. एक बार जब हालात स्थिर हो जाते हैं, सामान्य स्थिति बहाल हो जाती है, तो हम (ढाका से) बात करेंगे, हम अपनी विकास पहलों के बारे में अंतरिम सरकार के साथ परामर्श करेंगे और फिर देखेंगे कि उन्हें कैसे आगे बढ़ाया जाए.’

उन्होंने बताया कि अस्थायी रूप से काम रुकने के चलते वहां विभिन्न विकास परियोजनाओं पर काम कर रहे कई लोगों को वापस लौटना पड़ा है.

जायसवाल ने बताया, ‘फिलहाल बांग्लादेश में सीमित भारतीय वीज़ा सेवाएं उपलब्ध हैं. ये सेवाएं आपातकालीन या चिकित्सा उद्देश्यों के लिए दी जा रही हैं. पूर्ण वीज़ा सेवाएं तभी फिर से शुरू हो सकती हैं जब कानून–व्यवस्था बहाल हो जाए और स्थिति सामान्य हो जाए.’

गौरतलब है कि बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा विकास साझेदार है. पिछले डेढ़ दशक में भारत ने बांग्लादेश को सड़क, रेलवे, शिपिंग और बंदरगाहों सहित विभिन्न क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए लगभग 800 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ऋण (लाइन ऑफ क्रेडिट) दिया है.

ऋण सहायता के अतिरिक्त भारत सरकार बांग्लादेश को अखौरा–अगरतला रेल संपर्क के निर्माण सहित विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए अनुदान सहायता भी प्रदान कर रही है.

भारत सरकार ने बांग्लादेश में छात्रावासों, शैक्षणिक भवनों, कौशल विकास और प्रशिक्षण संस्थानों, सांस्कृतिक केंद्रों और अनाथालयों आदि के निर्माण सहित 77 उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं (एचआईसीडीपी) को वित्त पोषित किया है और अन्य 16 एचआईसीडीपी को लागू किया जा रहा है, सभी 93 परियोजनाओं की लागत 5 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है.

वहीं, पूर्व भारतीय राजनयिक राजीव सीकरी की किताब के विमोचन अवसर पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, ‘बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद से हमारे रिश्ते में उतार–चढ़ाव आते रहे हैं और यह स्वाभाविक है कि हमें मौजूदा सरकार के साथ काम करना होगा. लेकिन हमें वहां हुए राजनीतिक परिवर्तनों को भी स्वीकारना होगा और वे विध्वंसकारी हो सकते हैं.’

बहरहाल, शेख हसीना के प्रत्यर्पण की बढ़ती मांग के बीच पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री की स्थिति और भविष्य पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मीडिया से कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा.

भारतीय कपड़ा उद्योग पर भी पड़ा असर
इस बीच, इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि बांग्लादेश में कपड़ा उद्योग फिर से खड़ा होने का प्रयास कर रहा है, निर्माण इकाइयों को फिर से चालू कर दिया गया है. मौजूद ऑर्डर पूरे करने के लिए कामगार अतिरिक्त घंटे काम कर रहे हैं. लेकिन विदेशी कपड़ों और जूतों के ब्रांड फ़िलहाल ऑर्डर नहीं दे रहे हैं. वे हिंसा कम होने और स्थिति सामान्य होने का इंतज़ार कर रहे हैं.

बांग्लादेश से ऑर्डर में कमी का असर भारतीय कपड़ा उद्योग पर भी पड़ा है, जो बांग्लादेश को कच्चा माल और अन्य संबंधित सामग्री उपलब्ध कराता है. उद्योग से जुड़े लोगों ने बताया है कि बांग्लादेश को भारतीय कपास के निर्यात में गिरावट आनी शुरू हो गई है.

इस महीने की शुरुआत में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा था कि पड़ोसी देश में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच भारतीय कपड़ा उद्योग ‘थोड़ी अनिश्चितता’ का अनुभव कर रहा है.