मध्य प्रदेश में जिला योजना समिति होगी सशक्त

प्रभारी मंत्री करेंगे फैसले, अब तक कलेक्टर थे शक्तिशाली

भोपाल/मंगल भारत। प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान विशेष अधिकारों से लैस कलेक्टरों को अब हर निर्णय मंत्री की मंजूरी के बाद ही लेना होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में मंत्रियों को उनके प्रभार के जिले सौंपे हैं। अब जिला स्तर पर कौन सा विकास कार्य पहले किया जाएगा और कौन सा बाद में, इसका निर्णय प्रभारी मंत्री करेंगे। कलेक्टरों और कमिश्नरों के पास अब तक जो स्वतंत्रता थी, वह प्रभारी मंत्रियों के सक्रिय हस्तक्षेप के बाद समाप्त हो गई है।
नई व्यवस्था के तहत जिला योजना समिति प्राथमिकताओं को निर्धारित करेगी, और विकास योजनाओं की स्वीकृति का अधिकार प्रभारी मंत्रियों के पास होगा। इस नई प्रणाली का उद्देश्य जिले के विकास कार्यों में राजनीतिक नेतृत्व और जवाबदेही को बढ़ावा देना है। अब कलेक्टरों को किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय से पहले प्रभारी मंत्री से परामर्श करना होगा, जिससे विकास कार्यों में अनुशासन और संगठनात्मक तालमेल सुनिश्चित होगा। पिछले डेढ़ साल में, जब प्रभारी मंत्री नहीं थे, कलेक्टर और कमिश्नर ही जिले की पूरी व्यवस्था संभाल रहे थे। अब, प्रभारियों की नियुक्ति के बाद, जिला सरकार की प्रणाली फिर से लागू हो गई है। अब प्रत्येक तीन माह में जिला योजना समिति की बैठक आयोजित की जाएगी। इस समिति में 10 से 20 सदस्यों को शामिल किया जाएगा। पहले प्रभारी मंत्री न होने की वजह से कलेक्टर और कमिश्नर ही सभी कार्यों का संचालन कर रहे थे, लेकिन अब विधायकों से सभी विधानसभा क्षेत्रों के लिए आगामी चार वर्षों का विजन डॉक्यूमेंट तैयार करवाया गया है। सरकार इन विकास कार्यों के लिए 100 करोड़ रुपये खर्च करेगी। फंड की व्यवस्था सांसद और विधायक निधि के अलावा जन सहभागिता और राज्य सरकार के बजट से की जाएगी। इसी तरह से विधायकों से सभी विधानसभा क्षेत्रों का आगामी चार वर्ष का दृष्टि पत्र बनवाया जा रहा है। इसके आधार पर कामों की प्राथमिकता निर्धारित होगी। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में सरकार 100 करोड़ रुपये व्यय करेगी, जिसकी व्यवस्था सांसद और विधायक निधि के अलावा जन सहभागिता और राज्य सरकार के बजट से की जाएगी।अब व्यवस्था के विकेंद्रीकरण के लिए जिला योजना समितियों सक्रिय किया जा रहा है। इसमें प्रभारी मंत्री की भूमिका अहम रहेगी। समिति जिले की प्राथमिकता के आधार पर जिले की योजना बनाएगी। ऐसे कार्य, जिन पर निर्णय जिला स्तर पर ही लिया जा सकता है, उन पर समिति ही अंतिम निर्णय कर लेगी।
समिति रखेगी नजर
वहीं, ऐसे काम जिसके लिए अनुमति शासन स्तर पर लेना अनिवार्य होगा, उसकी अनुशंसा समिति द्वारा कर दी जाएगी। इसके साथ ही केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन पर नजर समिति द्वारा रखी जाएगी। निरीक्षण के अधिकार समिति के सदस्यों को रहेंगे। सूत्रों का कहना है कि सामान्य प्रशासन विभाग ने जिला योजना समिति के संबंध दिशा निर्देश का प्रारूप भी तैयार कर लिया है, जिसे मुख्यमंत्री की अनुमति के बाद जारी किया जाएगा।
तबादलों में भी मंत्री की राय होगी अहम
विवकास कामों के अलावा जिले के अंदर अफसरों और कर्मचारियों की पदस्थापना और तबादलों में भी कलेक्टरों की मर्जी नहीं चलेगी। अब किसी भी नई पदस्थापना से पहले कलेक्टरों को जिला प्रभारी मंत्री से अनुमोदन लेना होगा।