मध्यप्रदेश से राजस्थान तक… बनेगा चीता कॉरिडोर

चीता प्रोजेक्ट… सुरक्षा के साथ टेरिटरी का बढ़ेगा दायरा.

श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क से लेकर राजस्थान तक चीता कॉरिडोर बनने जा रहा है। इसे लेकर दोनों सरकारों के बीच सैद्धांतिक सहमति बन गई है। जल्द अनुबंध भी हो जाएगा। बारिश के बाद कुछ चीतों को खुले में छोड़े जाने की प्लानिंग की जा रही है। अक्सर कूनो के चीता से राजस्थान बॉर्डर में प्रवेश कर जाते हैं। इस कॉरिडोर के निर्माण से चीतों की सुरक्षा के साथ टेरिटरी का दायरा भी बढ़ेगा। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने कूनो नेशनल पार्क से राजस्थान के हाड़ौती संभाग के जंगलों को टाइगर रिजर्व को जोडऩेे के लिए कॉरिडोर की घोषणा की है। ऐसे में प्रदेश के जंगलों में और यहां के टाइगर रिजर्व में बाघों के साथ-साथ यहां पर आने वाले समय में चीते भी देखे जाएंगे। बता दें कि मप्र के कूनो नेशनल पार्क में भारत सरकार ने चीते बसाए थे, जो पिछले 6 माह में राजस्थान के बारां जिले के केलवाड़ा में अग्नि और करौली जिले की रणकपुर रेंज में चीता ओमान आ गए थे। कई बार राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व से निकलकर बाग मध्य प्रदेश आ जा चुके हैं। ऐसे में वन्यजीव की सुरक्षा को लेकर एक कॉरिडोर विकसित करना बेहद जरूरी था। कुनो नेशनल पार्क में इस समय 12 चीते और 12 शावक बचे है। इस साल कूनो में 14 शावकों का जन्म हुआ था। इनमें से 2 शावकों की मौत हो चुकी है। वहीं दो चीतों की भी मौत हो चुकी है। इससे अब कुनो में 12 चीते बचे हैं। इन चीतों को अक्टूबर-नवंबर में खुले जंगल में छोड़े जाने की तैयारी है। वहीं भारत में लुप्त हो चुके चीतों को बसाए जाने के प्रोजेक्ट पर एक वेब सीरीज भी बनेगी। इस वेब सीरीज में चीतों को दोबारा बसाए जाने की कहानी बताई जाएगी। वेब सीरीज की शूटिंग कुनो नेशनल पार्क में हो सकती है। सूत्रों के मुतबिक इसकी अनुमति एनटीसीए ने दे दी है। इस वेब सीरीज को सभी भाषाओं में दिखाया जाएगा। इसमें में चीतों को बसाए जाने की चुनौती और संघर्ष को बताया जाएगा। फिल्म की शूटिंग के लिए परी गाइडलाइन का पालन किया जाएगा।
जंगल का दायरा भी बढ़ेगा
राजस्थान सरकार चीता कॉरिडोर बनाने के लिए सहमत है। मप्र वन विभाग इस पर विचार कर रहा है। सहमति बनने के बाद चीता कॉरिडोर बनाया जाएगा। इससे चीते अगर कूनो की सीमा से बाहर जाते हैं, तो उनके घूमने के लिए सुरक्षित वनक्षेत्र रहेगा। चीता कॉरिडोर के साथ कुनो नेशनल पार्क के वनक्षेत्र को भी बढ़ाने की तैयारी है। माधव नेशनल पार्क के 55 हजार हेक्टेयर वनक्षेत्र को कुनों में शामिल किया जाएगा। इससे चीती के लिए पर्याप्त वनक्षेत्र हो जाएगा। चीता कूनों से निकलकर शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क तक किमी क्षेत्रफल पहुंच गए थे, ऐसे में से में माना जा रहा है कि कूनों का वर्तमान लगभग 749 वर्ग किमी। और बढ़ाए जाने की जरूरत है। इसलिए माधव नेशनल पार्क को अभयारण्य बनाने के लिए प्रस्तावित सामान्य वन मंडल के 55 हजार हेक्टेयर (550 वर्ग किमी) जंगल को कूनो पार्क में शामिल किया जाएगा। इससे कूनों का वनक्षेत्र लगभग 1300 वर्ग किमी का हो जाएगा।
दोनों राज्यों के 8 सेंचुरी को जोडऩे का प्लान
भजन सरकार ने प्रदेश के बजट में मध्यप्रदेश के गांधीसागर और राजस्थान के भैंसरोडगढ, चंबल घडिय़ाल को उन्होंने नेशनल पार्क से जोड़ते हुए चीते के विचरण का कॉरिडोर बनाने की घोषणा की है। इस कॉरिडोर में राजस्थान और मध्यप्रदेश के 8 सेंचुरी गांधीसागर, मुकंदरा टाइगर रिजर्व, रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व, रणथंभौर टाइगर रिजर्व, भैंसरोडगढ़ सेंचुरी, चंबल घडिय़ाल सेंचुरी, शेरगढ़ सेंचुरी, कूनो नेशनल पार्क को आपस में कनेक्ट किया जाएगा। मप्र में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए चीतों को इस महीने 17 सितंबर को दो साल पूरे हो जाएंगे। इस बीच कूनों में 8 चीतों की मौत हो चुकी है। कुनी में जन्मे 5 शावकों की भी मौत हो गई है। इस साल दो चीते और 2 शावकों की मौत हो चुकी है। अब दअरसल खुले जंगल में चीतों को छोड़े जाने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा की जरूरत है। चीते बार-बार कुनी की सीमा से बाहर चले जाते हैं। को खुले जंगल में छोड़ा गया था। ये चीते बार-बार कुनी से बाहर राजस्थान तक की सीमा में चले जाते थे। इसके चलते राजस्थान सरकार भी चीता प्रोजेक्ट पर मिलकर काम करना चाहती है। इसी बीच चीतों के लिए सुरक्षित चीता कॉरिडोर बनाने की तैयारी शुरू रू हो गई है। इस कॉरिडोर पर राजस्थान और मप्र का वन अमला चीतों की सुरक्षा के लिए तैनात रहेगा।