राष्ट्रीय महिला आयोग के पत्र के बाद प्रदेश का प्रशासन हुआ सक्रिय.
भोपाल. मंगल भारत। प्रदेश के विकास के दावों के बीच अब भी पुरानी कुरीतियां जारी हैं। गरीबी दूर करने के तमाम प्रयासों के बाद भी प्रदेश के कई हिस्सों में अब भी गरीबी की वजह से लड़कियों और युवतियों की खरीद फरोख्त की जा रही है। इस पर रोक लगाने के लिए प्रदेश में न कोई पुख्ता सिस्टम है और न ही उस पर रोकथाम के लिए कोई व्यवस्था। इस मामले में प्रशासन की सक्रियता भी नजर नहीं आती है। यही वजह है कि अब इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। आयोग द्वारा मुख्य सचिव वीरा राणा को इस सबंध में एक पत्र लिखा गया है। जिसके बाद महिला बाल विकास विभाग अब सक्रिय हुआ है। महिलओंं की खरीद फरोख्त और उनकी तस्करी रोकने के लिए अब महिला और बाल विकास विभाग ने सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर कहा है, कि वे जिला स्तर पर टॉस्क फोर्स बनाकर इस तरह की गतिविधियों को रोकें। इसके साथ ही ह्यूमन ट्रैफिकिंग का शिकार होने से बचाने के साथ-साथ इन महिलाओं और बालिकाओं के लिए सामुदायिक जागरूकता के कार्यक्रम करने को भी कहा है। दरअसल , सरकार को भी संदेह है कि प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले हो रहे हैं। इसकी वजह से सीमावर्ती और इस तरह के मामलों वो जिलों में स्पेशल मॉनिटरिंग सेल गठित करने के निर्देश दिए गए हैं। कलेक्टरों को महिला और बाल विकास विभाग की तरफ से दिए गए निर्देशों में बालिकाओं, युवतियों और विवाहित महिलाओं के साथ हो रही क्रूरता को रोकने और कार्यवाही करने के लिए कहा गया है। कलेक्टरों की जिम्मेदारी है कि वे बेची जाने वाली और तस्करी का शिकार बन रहीं महिलाओं, बालिकाओं की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए कार्रवाई करें। इसके लिए टॉस्क फोर्स का गठन करने के साथ मॉनिटरिंग सेल भी गठित करने के लिए कहा गया है। इसके लिए गठित किए जाने वाले टॉस्क फोर्स में पुलिस विभाग, महिला और बाल विकास , पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग, शिक्षा, आदिम जाति कल्याण, श्रम, पर्यटन , कौशल विकास, स्वास्थ्य विभाग के अलावा स्वयं सेवी संगठनों की भागीदारी होगी।
कलेक्टरों को यह दिए निर्देश
कलेक्टरों को दिए गए निर्देशों में कहा गया है कि बेची या तस्करी (ह्यूमन ट्रैफिकिंग) की जा रही महिलाओं, बालिकाओं से संबंधित गतिविधियों की मॉनिटरिंग और कार्ययोजना बनाकर कार्यवाही जिला टॉस्क फोर्स करेगी। जिलों में ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों की मैपिंग की जाए तथा चिन्हित क्षेत्रों में मॉनिटरिंग कर कार्यवाही हो। मैपिंग में स्थानीय एनजीओ का सहयोग लिया जा सकता है जिसके माध्यम से ऐसे परिवारों, समुदाय, क्षेत्रों की जानकारी मिल सके। इन्हें पूरी प्रक्रिया में भी शामिल किया जा सकता है। जिले के प्रमुख नम्बर जैसे पुलिस का नम्बर, वन स्टाप सेंटर, महिला हेल्प लाइन आदि नम्बरों का व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए। सभी विभागों के समन्वय से सामुदायिक स्तर पर जागरुकता गतिविधियों का आयोजन किया जाए। समुदाय में इस संबंध में कानूनी प्रावधान महिलाओं, बालिकाओं को बताए जाएं। महिलाओं, बालिकाओं की बिक्री और तस्करी की एक्टिविटीज पर कंट्रोल के लिए सामुदायिक जागरुकता, सामुदायिक मॉनिटरिंग हर हालत में की जाए। स्थानीय स्तर पर पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका प्रभावी होती है। उनके माध्यम से समुदाय स्तर पर जागरुकता संवाद किए जाएं और पंचायत स्तर पर ऐसी गतिविधियों की निगरानी के लिए जवाबदेही तय की जाए। प्रदेश की सीमाओं से सटे हुए जिलों व आदिवासी क्षेत्रों में ह्यूमन ट्रैफिकिंग रोकने के लिए विशेष निगरानी तंत्र गठित किया जाए जिसमें पुलिस से समन्वय की कार्यवाही शामिल रहे।
शिवपुरी जिले का खासतौर पर उल्लेख
राष्ट्रीय महिला आयोग ने पिछले माह मुख्य सचिव वीरा राणा को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में कहा गया था कि तमिल पीपुल्स डेवलपमेंट काउंसिल ने राष्ट्रीय महिला आयोग के समक्ष याचिका लगाकर एमपी के शिवपुरी जिले में लड़कियों और महिलाओं को किराए की पत्नी के रूप में बेचने और इसके लिए बाकायदा एग्रीमेंट किए जाने की जानकारी दी है। इसमें आयोग ने कहा है कि यह अत्यंत गंभीर और संवेदनशील मामला है जिसमें किराए पर पत्नी के रूप में तीसरे व्यक्ति को बेचने के पीछे मुख्य वजह गरीबी बताई गई है। दरअसल, इस जिले में चलने वाली धड़ीचा प्रथा में बहू-बेटियां किराए पर दी जाती है। इसके लिए लगने वाली मंडी में कुंवारी लड़कियों से लेकर दूसरो की पत्नियां तक किराए पर दी जाती हैं। मंडी में पुरुष महिला का चाल-चलन देखकर उसकी कीमत लगाते हैं। अगर किसी पुरुष को कोई लडक़ी या महिला पसंद आ जाती है, तो वो 10 रुपए से लेकर 100 रुपये तक के स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट कर तय समय के लिए महिला को ले जाते हैं। एग्रीमेंट पर दोनों पक्षों की शर्तें भी लिखी होती हैं।
महिलाओं की योजनाओं का लाभ देने के भी दिए निर्देश
कलेक्टरों को दिए गए निर्देशों में कहा गया है कि सभी विभाग महिला हितैषी योजनाओं के भी क्वालिटी वर्क पर फोकस किया जाए ताकि वंचित वर्ग तक हितलाभ हो। आर्थिक संकट के चलते परिवार द्वारा बेची जा रही और ह्यूमन ट्रैफिकिंग की जा रही महिलाओं, बालिकाओं की गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके। विभागों के समन्वय से जिलों की सभी बालिकाओं, युवतियों के सशक्तिकरण के लिए विशेष कार्ययोजना बनाई जाए। महिला और बाल विकास विभाग द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना, जाबाली योजना (सागर व छतरपुर), महिला हेल्पलाइन, वन स्टाप सेंटर, शक्ति सदन, सखी निवास आदि योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, इसके काम की समीक्षा की जाए। जिलों में स्थानीय स्तर पर काम करने वाले शौर्य दल, महिला मंडल, स्व सहायता समूह के सदस्यों के आगे लाकर कुप्रथा के खिलाफ कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाए।