मध्यप्रदेश में पढ़ रहे बुजुर्ग और दे रहे हैं परीक्षा

मोबाइल पर ही होती है पढ़ाई और जियो टैगिंग से की जाती है निगरानी.

भोपाल/मंगल भारत। भले ही देश के अधिकांश हिस्सों के युवा पढ़ाई लिखाई के लिए दूसरे प्रदेशों के बड़े शहरों में जाते है, लेकिन मप्र अब ऐसा राज्य बन गया है, जहां पर बुजुर्ग भी न केवल पढ़ रहे हैं , बल्कि परीक्षा भी दे रहे हैं। इसके लिए प्रदेश में एक मॉडल तैयार किया गया है। यह मॉडल पूरी तरह से हाइटेक है। इसके लिए राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा एक ऐप बनवाया गया है। इसके माध्यम से हर घर की मॉनिटरिंग जियो टैगिंग से की जा रही है। दरअसल प्रदेश सरकार ने 15 वर्ष से अधिक आयु के हर व्यक्ति को पढ़ना-लिखना सिखाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के तहत काम किया जा रहा है। इसमें एजेंसी राज्य शिक्षा केंद्र है। उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत प्रदेश के 55 जिलों में 45 लाख लोगों की परीक्षा ली गई। दो साल में 31 लाख लोग पास हुए। परीक्षा मोबाइल पर हुई। जियो टैगिंग से हर उस घर की मॉनिटरिंग हुई, जहां लोगों ने पढ़ना-लिखना सीखा है। राज्य शिक्षा केंद्र ने इसमें शिक्षकों और स्कूल के विद्यार्थियों की मदद ली है। साक्षरता के लिए देश में यह अपनी तरह का अनोखा प्रयोग है। अधिकारियों के मुताबिक 2027 तक प्रदेश के हर जिले को पूर्ण साक्षर करने की योजना है।
यह हैं प्रदेश में साक्षरता के आंकड़े
देश में कुल साक्षरों की संख्या 4,38,27,193 है, जिसमें 1,79,79,056 महिलाएं और 2,58,48,137 पुरुष हैं। वर्ष 2011 में मध्य प्रदेश की साक्षरता दर 70.6 प्रतिशत है, जबकि वर्ष 2001 में यह 63.7 प्रतिशत थी। पिछले दशक के दौरान मध्य प्रदेश की साक्षरता दर में 6.9 प्रतिशत अंकों की वृद्धि हुई है।राज्य का सर्वाधिक साक्षरता वाला जिला जबलपुर (81.1 प्रतिशत) है, जबकि सबसे कम साक्षरता दर अलीराजपुर (36.1 प्रतिशत) जिले में है।
अब दूसरे राज्य भी अपनाएंगे
इस मॉडल को देश के दूसरे राज्य भी अपनाएंगे। इसके लिए अगले सप्ताह एक समीक्षा कार्यशाला होने जा रही है। इसमें 11 राज्यों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
अभी 2011 के आधार पर काम
अधिकारियों के मुताबिक कार्यशाला में बताया जाएगा कि किस तरह से प्रदेश में साक्षरता बढ़ाने के लिए तकनीक और मानवीय संसाधन का उपयोग हो रहा है। प्रदेश में साक्षरता प्रतिशत के सही आंकड़े जनगणना में सामने आएंगे। अभी 2011 के आंकड़ों को आधार बनाया गया। उस समय हुई जनगणना के मुताबिक प्रदेश में एक करोड़ 35 लाख निरक्षर थे। वर्ष 2022 से नए सिरे पर काम शुरू किया गया था।