अब हिस्ट्रीशीट में नहीं लिखे जाएंगे मनमाने तरीके से पारिवारिक नाम.
भोपाल/मंगल भारत। प्रदेश के उन लोगों के लिए अच्छी खबर है, जो भले ही आपराधिक प्रवृत्ति वाली जातियों से वास्ता रखते हैं, लेकिन वे अपराधों से दूर रहकर नए तरीके से आगे बढऩा चाहते हैं।
अब ऐसे लोगों के नाम का विवरण उनके परिवार से संबंधित अपराधी के साथ पुलिस नहीं जोड़ सकेगी। दरअसल प्राय: देखने में आता है कि कुछ खास जातियों के आपराधिक इतिहास को देखते हुए उनके परिजनों के नाम भी पुलिस हिस्ट्री शीट में दर्ज कर देती है। जिसकी वजह से वे बाद में अपराध में उतरने को मजबूर हो जाते हैं। यह संभव हो सका है, सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश से। इस आदेश के बाद पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को इस संबंध में परिपत्र जारी किया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने एक आपराधिक अपील अमानतुल्लाह विरुद्ध पुलिस आयुक्त दिल्ली एवं अन्य में, अपराधियों के इतिहास वृत्त (हिस्ट्रीशीट) तैयार करने में बरती जाने वाली सावधानी के संबंध में पिछले दिनों आदेश पारित किया है। इसी आदेश के परिपालन में यह परिपत्र जारी किया गया है। परिपत्र में कहा गया है कि अपराधियों का हिस्ट्रीशीट तैयार करते समय ध्यान में रखा जाए कि किसी भी पिछड़े समुदायों एवं अनुसूचित जनजातियों के लोगों के साथ-साथ आर्थिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों के नाम केवल इस कारण से कि वे उस जाति, जनजाति अथवा समाज के हैं, हिस्ट्रीशीट में उनकी प्रवृष्टि न की जाए, क्योंकि अक्सर इस प्रकार की धारणाएं ऐसे समाज से जुड़ी हैं, प्रचलित रूढिय़ों के कारण उन्हें पीडि़त बना देती हैं। ये उनके आत्म सम्मान के साथ जीवन जीने के अधिकार को बाधित कर सकती है। इन निर्देशों का पालन न करने की दशा में दोषी पुलिस अधिकारी / कर्मचारी के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
नाबालिग रिश्तेदार का विवरण भी नहीं किया जाएगा दर्ज
हिस्ट्रीशीट तैयार करते समय अपराधी के नाबालिग रिश्तेदार अथवा उसके पुत्र, पुत्री, भाई, बहन का कोई विवरण तब तक दर्ज नहीं किया जाएगा, जब तक की इस बात की साक्ष्य न हो कि संबंधित नाबालिग द्वारा अपराधी को कोई आश्रय दिया है या आश्रय दे सकता है जब वह पुलिस से भाग रहा था। इसके अलावा परिपत्र में कानून का उल्लंघन करने वाले बालक या देखभाल एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक या बाल पीड़ित की पहचान सार्वजनिक करने पर प्रतिबंध होगा।