अब अगले साल ही नेताओं को मिलेगा ‘कुर्सी’ का सुख

निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्ति पर लगा ब्रेक.

भोपाल/मंगल भारत। मप्र में लंबे समय से राजनीतिक पुनर्वास का इंतजार कर रहे नेताओं को फिर निराशा हाथ लग सकती है। इस निराशा की वजह यह है कि भाजपा ने फिलहाल निगम मंडलों की नियुक्तियों को होल्ड कर दिया है। संभवत: संगठन चुनाव के बाद ही निगम-मंडल और प्राधिकरणों में अध्यक्ष, उपाध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्ति होगी। यानी अब अगले वर्ष 2025 में ही भाजपा नेताओं को राजनीतिक कुर्सी का सुख मिल पाएगा। गौरतलब है कि प्रदेश में लंबे समय से निगम-मंडल, बोर्ड, आयोग और विकास प्राधिकरणों में ताजपोशी का इंतजार कर रहे है। तकरीबन 8 माह बाद नेताओं को उम्मीद जगी थी कि उन्हें निगम-मंडलों में नियुक्ति मिल जाएगी। लेकिन जिस तरह का संकेत मिल रहा है, उसके अनुसार भाजपा नेताओं को अभी और इंतजार करना होगा। भाजपा अब संगठन चुनाव के बाद ही इस मामले में आगे बढ़ेगी। ऐसे में लोकसभा चुनाव के बाद से निगम- मंडल, बोर्ड और प्राधिकरणों में ताजपोशी का सपना पाले बैठे नेताओं को अगले साल तक इंतजार करना पड़ेगा।
अब संगठन चुनाव के बाद नियुक्ति
सत्ता और संगठन ने निगम- मंडल, बोर्ड और प्राधिकरणों में इस साल इन सार्वजनिक उपक्रमों में राजनीतिक नियुक्तियां ना करने का फैसला किया है। यह फैसला भाजपा के दिल्ली में बैठे आला नेताओं से चर्चा करने के बाद लिया गया है। पिछले छह महीने से इन पदों के लिए सक्रिय दावेदारों को सत्ता और संगठन ने साफ संकेत दे दिए हैं कि अब संगठन चुनाव के बाद ही इन पर विचार किया जाएगा। यही वजह है कि पिछले दिनों सरकार ने मंत्रियों को निगम मंडलों का प्रभार देने का फैसला किया था। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में जो नेता किन्हीं कारणों से टिकट से वंचित रह गए थे। वे लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद से ही निगम-मंडल समेत अन्य उपक्रमों में नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। इनमें संगठन से जुड़े प्रदेश पदाधिकारी से लेकर पूर्व सांसद और विधायक भी शामिल हैं। इन नेताओं को उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव संपन्न हो जाने के बाद पार्टी उनके नामों पर विचार करेगी। चुनाव के बाद पार्टी ने इस पर विचार भी शुरू किया और संभाग प्रभारियों से चर्चा कर जिलों से नाम भी निकाले गए। कुछ बड़े नाम स्वभाविक रूप से संगठन की भी नजर में थे।
दो दर्जन नामों पर हो चुकी है चर्चा
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद सत्ता और संगठन ने निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्ति को लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी थी। सूत्रों की मानें तो करीब दो दर्जन नामों को लेकर दिल्ली में केंद्रीय संगठन के आला नेताओं से चर्चा भी की गई पर इसके बाद तय हुआ कि सबसे पहले पार्टी सदस्यता अभियान पर फोकस करेगी। इसके बाद संगठन चुनाव कराए जाएंगे। इसके बाद ही इन नियुक्तियों पर विचार किया जाएगा। भाजपा का सदस्यता अभियान इन दिनों चल रहा है। पार्टी ने इसके लिए विधायकों से लेकर मेयर और अन्य नेताओं को टारगेट दिया है। मध्यप्रदेश में डेढ़ करोड़ सदस्य बनाए जाने का लक्ष्य पार्टी ने लिया है। इस अभियान का पहला चरण 25 सितम्बर को समाप्त हो रहा है, इसके बाद दूसरा चरण शुरू होगा जो 15 अक्टूबर तक चलेगा। सदस्यता अभियान से निपटने के बाद भाजपा संगठन चुनाव में लगेगी। इसमें सबसे पहले बूथ, फिर शक्ति केन्द्र, मंडल और जिलों में चुनाव होंगे। इसके बाद प्रदेश संगठन के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। भाजपा ने यह भी तय किया है कि बूथ से लेकर मंडल तक में पदाधिकारी बनने के लिए कार्यकर्ता को कम से कम सौ सदस्य बनाना होंगे।
परफार्मेन्स आधार पर होगी नियुक्ति
पार्टी ने यह भी तय किया है कि सदस्यता अभियान में किस नेता का कैसा परफार्मेंन्स रहा है, यह उसके पद देने का आधार रहेगा। संगठन सूत्रों की मानें तो साधारण तौर पर नए साल तक निगम मंडलों की नियुक्ति पर विराम है पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से आए नाम अपवाद होंगे। इसके अलावा राज्य महिला आयोग, बाल आयोग समेत कुछ आयोगों में काम की गति को बढ़ाने के लिए इनमें अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की जा सकती है। हालांकि इसमें भी बेहद जरूरी नियुक्तियां ही की जाएंगी। प्रदेश में खाली पड़े निगम-मंडल, बोर्ड, आयोग और विकास प्राधिकरणों में नियुक्ति चाहने वाले नेताओं की लंबी कतार है। जो पिछली सरकार में मंत्री थे, लेकिन इस बार उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी है, वह भी निगम मंडलों में अपनी नियुक्ति चाहते हैं, जिससे क्षेत्र में उनका प्रभाव बना रहें। हालांकि विधायकों को निगम मंडलों में जगह मिले इसकी संभावना कम ही है। हालांकि शिवराज सरकार में दो विधायकों को निगम मंडल की जिम्मेवारी दी गई थी। भाजपा में कांग्रेस से आए कई नेता जिनमें पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, इंदौर के पूर्व विधायक संजय शुक्ला, पाटन के पूर्व विधायक नीलेश अवस्थी, अभी हाल ही में अमरवाडा विधानसभा से भाजपा के टिकट पर जीत कर आप कमलेश शाह, लोकसभा चुनाव के समय भाजपा में आए छिंदवाड़ा में कमलनाथ के सबसे खास माने जाने वाले दीपक सक्सेना के अलावा कई ऐसे नेता हैं, जो लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा में आए थे। उन्हें अभी और इंतजार करना होगा।
सदस्यता अभियान पड़ रहा विधायकों को भारी
उधर, सदस्यता अभियान में पहली बार विधायकों को भी जमकर पसीना बहाना पड़ रहा है। पार्टी ने इस बार हर विधायक को अपने क्षेत्र में कम से कम 15 हजार सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया है। पहले चरण में कई विधायक इस टारगेट में पिछड़ते नजर आ रहे हैं। सदस्यता अभियान का पहला पखवाड़ा 25 सितम्बर को समाप्त हो रहा है और कई विधायकों के क्षेत्र में उनकी तरफ से अब तक पांच हजार सदस्य भी नहीं बने हैं। इसमें ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के कुछ मंत्री और विधायक शामिल हैं। वहीं विध्य में भी कुछ विधायकों का काम अब तक सदस्यता अभियान में संतोषजनक नहीं हो पाया है। केन्द्रीय संगठन और प्रदेश संगठन लगातार इस अभियान की निगरानी कर रहा है।