हर वन रक्षक से की जाएगी ढाई लाख रुपए की वसूली

वनरक्षकों से होगी 165 करोड़ की वसूली


भोपाल/मंगल भारत। अफसरों की लापरवाही अब वन विभाग के छोटे कर्मचारियों पर बेहद भारी पडऩे वाली है। इसकी वजह है कि अब हर वनरक्षक से ढाई लाख रुपए की राशि वसूली की तैयारी कर ली गई है। इसकी वजह से अब विभाग के इन सबसेे छोटे कर्मचारियों में असंतोष फैलना शुरु हो गया है। दरअसल अफसरों की लापरवाही से आठ सालों के दौरान साढ़े छह हजार वनरक्षकों को वेतन का गलत आंकलन कर अधिक वेतन का भुगतान कर दिया गया। अब इस मामले में विभाग के अफसरों को होश आया तो संबंधित अफसरों पर कार्रवाई करने की जगह वन रक्षकों से वसूली का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। इसके तहत वेतन में से 165 करोड़ रुपए से अधिक की वसूली की जानी है। यह अधिक वेतन भुगतान 6 हजार 592 वनरक्षकों को किया गया है। अगर से इसकी वसूली की जाएगी। दरअसल, इस स्थिति की वजह है वनरक्षकों के मूल वेतन (पे बैंड) का गलत आंकलन किया जाना। भर्ती नियम के मुताबिक पे बैंड 5200 देना था, लेकिन दे दिया गया 5680 रुपए। इस तरह की गड़बड़ी 1 जनवरी 2006 से 8 सितंबर 2014 के बीच भर्ती हुए वनरक्षकों की वेतन में हुई है। इस मामले में वित्त विभाग की कड़ी आपत्ति आने के बाद वन विभाग ने इसी माह से वेतन बैंड में सुधार के निर्देश दिए हैं। वसूली के आदेश बाद में जारी किए जाएंगे।
इस तरह से हुआ खुलासा
वर्ष 2006 से पहले नियुक्त वनरक्षक लंबे समय से 5680 वेतन बैंड और 1900 ग्रेड पे की मांग कर रहे हैं। 8 साल 8 महीने में 6 हजार 592 वनरक्षकों को यह लाभ दिया गया है। इसलिए वन विभाग ने बाकी वनरक्षकों को 5680 वेतन बैंड देने का प्रस्ताव शासन को भेज था। वित्त विभाग के अधिकारियों ने प्रस्ताव का परीक्षण किया, तब पता चला कि वनरक्षक भर्ती नियम में 5200 का वेतन बैंड देने का प्रावधान है। जबकि 5680 वेतन बैंड दिया जा रहा है। इसके बाद वित्त अधिकारियों ने प्रस्ताव लौटाते हुए वनरक्षकों के वेतन बैंड में सुधार करने को कह दिया। वित्त विभाग ने सभी कोष लेखा अधिकारियों को भी वेतन निर्धारण के निर्देश दिए हैं। वन विभाग ने भी सभी मैदानी अधिकारियों को, लिख दिया है कि वनरक्षकों का वेतन वित्त विभाग के निर्देशों के अनुसार ही बनाएं।
कर डाली वेतन की गणना गलत
वर्ष 2006 से पहले वनरक्षकों की भर्ती चतुर्थ श्रेणी में वेतन बैंड 2750, ग्रेड-पे 1800 पर की जाती थी, प्रमोशन पर 3050 वेतन बैंड और 1900 ग्रेड पे दिया जाता था। साल 2006 में प्रदेश में 6 वां वेतनमान लागू किया गया। तब वनरक्षकों का वेतन बैंड 5680 और ग्रेड-पे 1900 कर दिया गया। इसकी मांग पुराने वनरक्षक करते आ रहे हैं। उधर, वित्त विभाग का तर्क हैं कि वन विभाग ने वनरक्षकों के वेतन की गणना गलत ढंग से की है। उन्हें वनरक्षक भर्ती नियम के अनुसार 5200 का वेतन बैंड दिया जाना था। जिला कोषालय अधिकारी भी इसी गणना को मानकर बढ़ा हुआ वेतन जारी करते रहे।