मप्र में नक्सलियों की करतूत का इंटेलिजेंस इनपुट.
छत्तीसगढ़ के बस्तर में सुरक्षा बलों की सक्रियता से ठिठके नक्सलियों ने नया रेड कॉरीडोर बनाना शुरू कर दिया है। बस्तर को लालगढ़ में तब्दील करने के बाद नक्सलियों ने लाल आतंक के कॉरिडोर का विस्तार करने के लिए अमरकंटक की पहाडिय़ों का सहारा लिया है। अमरकंटक को नक्सली अपना विस्तार हेड क्वाटर बनाना चाहते हैं। इसके लिए, नक्सली मप्र के सतपुड़ा रेंज में आने वाले मैकाल की पहाडिय़ों से लगे इलाकों को अपने लिए सुरक्षित ठिकाना बना रहे हैं। इन पहाडिय़ों की ओर कवर्धा और बालाघाट, मंडला जिलों की सीमा आती है। इस इलाके में नक्सलियों की आमदरफ्त बढ़ रही है और वे छोटी-बड़ी वारदातें भी कर रहे हैं। नक्सलियों के स्ट्रैटिजिक प्लान में दुर्गम पहाड़ी और घने जंगल से मदद मिल सकती है। अमरकंटक का आधा हिस्सा छत्तीसगढ़ में आता है, जिससे प्रदेश बदलने में आसानी होगी। अमरकंटक के घने जंगल में कई क्षेत्र ऐसे हैं , जहां अब भी आवागमन सुलभ नहीं है। अंबिकापुर, सूरजपुर व बालाघाट से महाराष्ट्र के बीच कॉरिडोर के बीच का अहम क्षेत्र है।
इंटेलिजेंस को मिले इनपुट के अनुसार प्रदेश में प्रभावी नक्सल ऑपरेशन के बाद नक्सली नए ठिकाने की तलाश में हैं। बालाघाट जिले में पिछले 1-2 साल में बड़े नक्सल विरोधी अभियान ने मप्र में नक्सलियों की जमीन हिला दी है। पुलिस सूत्रों के अनुसार 13 से अधिक हार्डकोर नक्सलियों को 8 ऑपरेशन के दौरान पकड़ा जा चुका है। ये वे नक्सली थे, जिन्होंने छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में आतंक मचाने के बाद मप्र के बालाघाट जिले में ठिकाना बना रखा था। अब मप्र पुलिस के एक्शन के बाद नक्सली नए छत की तलाश में हैं। अनूपपुर जिले में अमरकंटक की पहाडिय़ां उनके लिए एक पसंदीदा क्षेत्र साबित हो सकता है। यहां के घने जंगल और दुर्गम पहाडिय़ां उनके लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो मां नर्मदा का उद्ग्म स्थल नक्सल समस्या से घिर जाएगा। पूर्व में भी कई बार अमरकंटक से होकर नक्सलियों के कॉरिडोर की चर्चा रही है। नक्सली अपनी मूवमेंट के लिए दुर्गम रास्तों का इस्तेमाल करते रहे हैं।
कुछ साल पहले से चल रहा है सर्वे
नक्सली मप्र में सुरक्षित स्थान को अपना विस्तार हेड क्वार्टर बनाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने अमरकंटक को चुना है। दरअसल छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र पुलिस ने नक्सलियों के खिलाफ हाल ही में बड़ी कार्रवाई की है। इसीलिए नक्सली वहां से भागकर अमरकंटक से ऑपरेशन ऑपरेट करना चाहते हैं। इंटेलिजेंस को मिले इनपुट के बाद नक्सल प्रभावित जिलों में लगे फोर्स की नजर अमरकंटक पर टिक गई है। नक्सलियों ने साल 2016-2017 से अमरकंटक में विस्तार हेड क्वार्टर खोलने के लिए सर्वे शुरू किया था। इसके बाद चोरी-छिपे वहां उनका मूवमेंट शुरू हुआ। नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी का हेड ऑफिस बस्तर अंचल के अबूझमाड़ में है। अबूझमाड़ का कुछ हिस्सा महाराष्ट्र और कुछ आंध्रप्रदेश में पढ़ता है। विगत वर्षों में बालाघाट में हुए एनकाउंटर में पुलिस को नक्सलियों से दस्तावेज मिले थे, जिसके बाद खुलासा हुआ कि उनकी योजना अमरकंटक में विस्तार हेड क्वार्टर खोलने की है। यदि वे अमरकंटक में विस्तार हेड क्वार्टर खोलने में सफल नहीं हुए तो संभवत: बालाघाट में हेड क्वार्टर खोला जाएगा।
छत्तीसगढ़ से आसान हो सकेगा संपर्क
प्रदेश की प्रमुख नर्मदा नदी के उद्ग्म स्थल के साथ ही अमरकंटक का धार्मिक महत्तव भी है। यहां ऊंची पहाडिय़ों के साथ ही घने जंगल, दुर्गम पहाडिय़ों के अलावा सबसे जरूरी छत्तीसगढ़ से सीधा जुड़ाव है। अमरकंटक की आधी पहाडिय़ां मध्यप्रदेश में हैं तो शेष छत्तीसगढ़ में। नक्सली ऐसे क्षेत्र को पसंद करते हैं जहां से वारदात के बाद आसानी से दूसरे प्रदेश तक पहुंचा जा सके।
बालाघाट में कार्रवाई से घबड़ाए
महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ की सीमा पर प्रदेश के बालाघाट जिले का लोकेशन नक्सलियों के लिए बेहद अहम रहा है। पुलिस की जांच में कई बार स्पष्ट हुआ है कि समीपी प्रदेशों में वारदात के बाद नक्सलियों ने बालाघाट के जंगलों में शरण ली है। बालाघाट में पुलिस ने बीते 5 साल में 20 से ज्यादा नक्सलियों का एनकाउंटर किया है। इन नक्सलियों पर महाराष्ट्र, मप्र, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में 3 करोड़ से ज्यादा का इनाम था। पांच नक्सलियों को गिरफ्तार किया, जिन पर 1 करोड़ से ज्यादा का इनाम घोषित था। इस बीच पिछले दो साल में प्रदेश के विशेष दस्ते ने 8 बार नक्सल क्षेत्रों में दबिश देकर उनके प्लान नाकाम भी किए। यहां 13 नक्सलियों को भी पुलिस ने ढेर किया है। बालाघाट में उनके गुप्त ठीहों पर बढ़ती मूवमेंट के बाद नक्सली नए ठिकाने की तलाश में लगे हैं। आईजी एंटी नक्सल ऑपरेशन अंशुमन सिंह का कहना है कि पुलिस लगातार इन इलाकों में सर्च ऑपरेशन चला रही है। घनें जंगलो का फायदा नक्सली उठाने की कोशिश करते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों की कार्रवाई के चलते नक्सलियों के नेटवर्क को पुलिस ने कमजोर किया है। महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की पुलिस के साथ मिलकर इन इलाकों में ज्वाइंट कैंप और ज्वाइंट ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं।