प्रशासनिक व्यवस्था में पहली बार महिलाओं का दबदबा

मप्र में दिख रहा आधी आबादी का दम

भोपाल. मंगल भारत। मप्र बनने के 68 साल बाद प्रदेश में पहली बार आधी आबादी का दम देखने को मिल रहा है। जहां प्रदेश सरकार में पांच महिला मंत्रियों का दम दिख रहा है, वहीं संभवत: प्रदेश में पहली बार 10 जिलों की कमान महिला आईएएस अधिकारियों के हाथ में है। जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव महिला शासक रानी अहिल्याबाई होल्कर और रानी दुर्गावती के पदचिह्नों पर चल पड़े हैं। यही वजह है कि प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था में आधी आबादी का दम दिख रहा है। गौरतलब है कि डॉ. मोहन यादव जब मुख्यमंत्री बने तो वीरा राणा प्रदेश की प्रभारी प्रशासनिक मुखिया थीं। उन्हें निर्वाचन आयोग ने नियुक्त किया था। लेकिन मुख्यमंत्री बनते ही यादव ने पहले उन्हें मुख्य सचिव का ओहदा दिया फिर उन्हें छह माह का एक्सटेंशन भी दिया। आज भले ही वीरा राणा रिटायर हो गई हैं, लेकिन प्रदेश के इतिहास में पहली बार 10 जिलों की कलेक्टर महिला आईएएस अधिकारी है। पहले महिला अधिकारियों को उन जिलों की कमान दी जाती रही है, जो आबादी के मान से दूसरे या तीसरे दर्जे के शहर हैं। महिला अधिकारियों की पोस्टिंग को लेकर चली आ रही यह परंपरा शिवराज सरकार के कार्यकाल में भी जारी रही। शिवराज सरकार ने समय-समय पर महिला सशक्तिकरण के लिए कई फैसले लिए हैं, लेकिन महिला अधिकारियों को बड़े शहरों में पदस्थ नहीं किया। लेकिन मोहन यादव के शासनकाल में प्रशासन में आधी आबादी का दम दिख रहा है।
मंत्रिमंडल में भी महिलाओं का दबदबा
मोहन सरकार में मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्रियों समेत 32 मंत्री हैं। इनमें से 5 महिला मंत्री हैं। जिनमें संपत्तियां उइके लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग, निर्मला भूरिया महिला एवं बाल विकास विभाग, कृष्णा गौर पिछड़ा वर्ग कल्याण, प्रतिमा बागरी (राज्यमंत्री) नगरीय विकास एवं आवास, राधा सिंह (राज्यमंत्री) पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की मंत्री हैं।
बड़े जिलों की भी मिली कमान
प्रदेश में इससे पहले कभी भी 10 जिलों में महिला अधिकारियों को कलेक्टर नहीं बनाया गया है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार अधिकतम 7 जिलों में एक साथ महिला कलेक्टर रहीं हैं। मौजूदा स्थिति में प्रदेश में 55 जिले हैं। इनमें से 10 जिलों में प्रशासनिक मुखिया महिलाएं हैं। पूर्व में संभागायुक्त के लिए महिला अधिकारियों के नाम थे, लेकिन महिलाएं भोपाल, इंदौर के अलावा अन्य संभागों में आयुक्त बनने की इच्छुक नहीं है। वर्तमान में सरकार ने कई बड़े जिलों की कमान महिला आईएएस अफसरों को दी है। कलेक्टरों के अलावा कई अन्य महिला आईएएस प्रमुख जिम्मेदारियां निभा रही हैं। वर्तमान समय में महिलाएं, पुरुषों के कंधे से कंधे मिलाकर चल रही हैं। कई क्षेत्रों में वे, पुरुषों से भी आगे निकल चुकी हैं। प्रशासनिक क्षेत्रों में भी महिलाओं का खासा दखल बढ़ा है। सचिवालय, संचालनालय हो या कलेक्टर कार्यालय। हर जगह भारतीय प्रशासनिक सेवा की महिला अधिकारियों का दबदबा है। वर्तमान में महिलाओं, बच्चों, स्वास्थ्य और टैक्स जैसे महत्वपूर्ण विभागों की कमान भी महिला आईएएस अधिकारी ही संभाले हुए हैं। वर्तमान सरकार में ये महिला अधिकारी मेहनत और समर्पण के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहीं हैं। कुछ विभागों की कमान तो पूर्ण रूप से महिलाओं के कंधों पर है। यह सभी महिला अधिकारी मप्र की प्रशासनिक व्यवस्था का आधार स्तंभ हैं।
10 जिलों में महिला प्रशासक
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के शासनकाल में प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था में महिला अधिकारियों की प्रबल भागीदारी बढ़ रही है। पिछले 10 महीने के भीतर सरकार ने 55 जिलों में 10 जिलों में प्रशासन की कमान महिला अधिकारियों को सौंपी है। इतना ही नहीं इस बीच प्रदेश की प्रशासनिक मुखिया भी महिला ही रहीं। मुख्यमंत्री ने वीरा राणा को 6 महीने का अतिरिक्त कार्यकाल भी दिलाया। जबकि एक साल पहले प्रदेश में सिर्फ 3-4 जिलों में ही महिला कलेक्टर थीं। मुख्यमंत्री की कमान संभालने के बाद ही डॉ. मोहन यादव ने राजा विक्रमादित्य की न्याय प्रणाली और इतिहास में कुशल प्रशासन के लिए जानीं गई शासक रानी अहिल्याबाई और रानी दुर्गावती के शासनकाल की प्रशासनिक व्यवस्था को राज्य के सरकारी तंत्र में लागू करने पर जोर दिया है। यही वजह है कि प्रदेश में महिला कलेक्टरों की संख्या 3 से बढकऱ 10 पहुंच गई है। निकट भविष्य में भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन जैसे बड़े जिलों की कमान महिला अधिकारियों को मिल सकती है।