अवैध कालोनियों के रहवासियों व व्यवसायिक उपभोक्ताओं को मिलेगी बड़ी राहत.
भोपाल/मंगल भारत। आमजन को राहत देने के लिए प्रदेश की मोहन सरकार नए-नए फैसले कर रही है। पहले सरकार ने अवैध कॉलोनी में बने मकानों के लिए स्थायी कनेक्शन देने की सुविधा प्रदान की है और अब इंडस्ट्रियल और कामर्शियल कंज्यूमर्स को भी राहत देने के लिए नई योजना शुरु की है। इस नई योजना को नाम दिया गया है उद्योग मित्र योजना। दरअसल पहले अवैध कालोनियों में मकान बनाने वाले उपभोक्ताओं को बिजली के लिए पहले अस्थाई कनेक्शन या फिर बिल्डर के भरोसे रहना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नही है। इसी तरह से अब प्रदेश के हाइटेंशन, एचटी और लो टेशन और बिजली के कामर्शियल उपभोक्ताओं के लिए शुरु की गई इस योजना में उन उपभोक्ताओं को फायदा मिलेगा जिनके विद्युत कनेक्शनों को स्थायी रूप से काटा जा चुका है। इस नई योजना में पुरानी देय राशि का भुगतान कर नए सिरे से बिजली के कनेक्शनों को फिर से शुरु किया जा सकेगा। इयही नहीं इन्हीं कैटेगरी वाले नए आवेदकों को बिजली लाइन डालने, ट्रांसफॉर्मर लगाने और कनेक्शन देने के लिए आने वाली निर्माण लागत के भुगतान में भी राहत मिलने का रास्ता भी खोल दिया गया है। इससे न केवल बिजली कंपनियों की आया में वृद्धि होगी, बल्कि प्रदेश के औद्योगिक विकास में भी मदद मिलेगी।
इस तरह के प्रावधान
योजना में उपभोक्ताओं को स्थायी रूप से काटे गए कनेक्शन पर कुल बकाया, बिजली बिल का कम से कम 20 प्रतिशत भुगतान कनेक्शन जोडऩे के पहले एक मुश्त देना होगा। नए कनेक्शन के मामले में जरूरी अधोसंरचना लागत की राशि का कम से कम 20 प्रतिशत भुगतान आवेदन के साथ देना होगा। शेष राशि का भुगतान मासिक बिल के साथ ब्याज सहित अधिकतम तीन साल में किया जा सकेगा। आवेदक को महाप्रबंधक या सर्किल कार्यालय में आवेदन देना होगा। साथ ही 500 रुपए के स्टाम्प पेपर पर शपथ-पत्र देना होगा कि वह योजना के प्रावधान के अनुसार राशि का भुगतान करेंगे। नए कनेक्शन के लिए आवेदक को ऑनलाइन आवेदन देना होगा।
एक बार ही मिलेगा लाभ
योजना अवधि में कोई उपभोक्ता अपने परिसर का हस्तांतरण किसी अन्य व्यक्ति को करता है, तो तय शर्तों के आधार पर सभी सुविधाएं नये उपभोक्ता को प्राप्त हो सकेंगी। जिस तरह से अवैध कॉलोनी में रहने वालों के लिए कनेक्शन के लिए शासन स्तर पर समिति बनी है। उसी तरह उद्योग मित्र योजना में भी किसी प्रकार के विवाद के निराकरण का काम विभागीय समिति द्वारा किया जाएगा। समिति में अपर मुख्य सचिव ऊर्जा, प्रबंध संचालक एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी और विधि विशेषज्ञ होगे। समिति के संयोजक संबंधित विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध संचालक होंगे। योजना अवधि में प्राप्त होने वाले आवेदनों पर भी विचार किया जाएगा। योजनावधि के अंतिम दिन तक प्राप्त सभी आवेदनों के निराकरण हर स्थिति में 30 दिन के अंदर कर दिया जाएगा।
अब मीटर रीडर का नाम भी बदला
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा निर्णय लिया गया है कि कंपनी कार्यक्षेत्र में बाह्य स्रोत एजेंसी के मार्फत अनुबंधित किए गए मीटर रीडरों को अब विद्युत सहायक पदनाम दिया गया है। कंपनी कार्यक्षेत्र के भोपाल नर्मदापुरम, ग्वालियर तथा चंबल संभाग के 16 जिलों में मीटर रीडर अब विद्युत सहायक कहलाएंगे। कंपनी ने मीटर रीडरों की जिम्मेदारी में भी बढ़ोतरी की है। अब वे लाइनों के रखरखाव एवं कुशल तकनीकी कार्य जैसे राजस्व संग्रह आदि भी कर सकेंगे।