मप्र भाजपा अध्यक्ष के लिए आधा दर्जन महिलाओं के नाम
भाजपा को दिसंबर महीने के पहले पखवाड़े में नया अध्यक्ष मिलने की संभावना है। भाजपा ने संगठनात्मक चुनावों की समीक्षा के दौरान सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे दिसंबर के पहले सप्ताह तक अपने राज्यस्तरीय चुनावों की प्रक्रिया पूरी कर लें। पार्टी के भीतर विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है, जिसमें मप्र में महिला वर्ग से नया नेतृत्व लाने का प्रस्ताव भी शामिल है, ताकि सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों को संतुलित किया जा सके। इसके अलावा, सामाजिक संतुलन बनाए रखने के लिए पार्टी सवर्ण समुदाय को भी फिर से प्रमुख भूमिका में ला सकती है। मप्र भाजपा अध्यक्ष बनने के लिए करीब आधा दर्जन महिला नेत्रियों का नाम चर्चा में है। इनमें अर्चना चिटनिस, ऊषा ठाकुर के भी नाम शामिल हैं। जबकि सांसद कविता पाटीदार और ममता नरोलिया के नाम को दमदार माना जा रहा है।
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा। बूथ, मंडल, जिला और प्रदेश स्तर के चुनावों को दिसंबर के पहले सप्ताह तक समाप्त करने की योजना है। इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा। भाजपा के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी हो सकता है जब आधे राज्यों के संगठनात्मक चुनाव पूरे हो चुके हों। इस स्थिति में, 50 फीसदी राज्यों के चुनाव पूर्ण होने के बाद नए अध्यक्ष के चुनाव का मार्ग प्रशस्त होगा।
संघ के करीबी को मिलेगी जिम्मेदारी
महिला नेत्रियों के इतर अगर अन्य संभावनाओं पर नजर डालें तो कई वरिष्ठ भाजपाई भी प्रदेश अध्यक्ष की कतार में हैं। भाजपा की गाइडलाइन अनुसार, दो बार से ज्यादा कोई भी प्रदेश अध्यक्ष के पद पर नहीं रह सकता। जिस वजह से कई नामों पर चर्चा तेज हो गई है। पार्टी संगठन की बागडोर किसी आदिवासी चेहरे को मौका दे सकती है। अगर ऐसा होता है तो फिर पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम सबसे मजबूत दावेदार होंगे। भाजपा दोबारा सवर्ण पर जाती है तो डॉ नरोत्तम मिश्रा, अरविंद भदौरिया, भूपेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। इधर, सुमेर सिंह सोलंकी और कविता पाटीदार के नाम की भी चर्चा है। राजनीतिक विश्लेषकों का इस पर कहना है कि नया प्रदेश अध्यक्ष उसी को बनाया जाएगा। जो कि संघ का करीबी होगा और उसे संगठन कार्यों में अनुभव होगा। ऐसे में संघ के किसी भी करीबी नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। वहीं पार्टी के अंदर खाने से खबर है कि पार्टी इस बार चौंकाने वाला नाम सामने ला सकती है।
जनवरी में मिलेगा अध्यक्ष
सूत्रों के मुताबिक, मध्य दिसंबर से मध्य जनवरी तक खरमास का समय रहता है, इस दौरान कोई शुभ कार्य नहीं किया जाएगा। इस वजह से भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष भी इस अवधि में पदभार संभालने से बचेगा। चूंकि जनवरी में दिल्ली विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, भाजपा के पास नए संगठन को स्थापित करने और चुनाव अभियान को सुचारू रूप से चलाने के लिए अधिक समय नहीं होगा। इस स्थिति में, महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव परिणाम आते ही पार्टी अपने संगठनात्मक चुनावों की प्रक्रिया में तेजी लाएगी ताकि नया संगठन दिसंबर के पहले पखवाड़े के अंत तक कार्यभार संभाल सके। सूत्रों के अनुसार, भाजपा की केंद्रीय सत्ता में मजबूती के साथ संगठन के विस्तार पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
किसी महिला को मिल सकता है मौका
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा इस बात को लेकर चल रही है कि क्या इस पद पर कोई महिला नेत्री का नाम आ सकता है। वैसे भाजपा में कुछ भी असंभव नहीं है और नाम वही फायनल होते हैं, जो चर्चा में। नहीं होते। इस कारण यह सवाल उठ रहा है कि क्या अध्यक्ष पद किसी महिला को मिल सकता है। जो नाम अभी तक सामने आ रहे हैं, उसमें कुछ नाम मंत्री, संगठन चुनाव पदाधिकारी या चुनाव हारी हुई महिला नेत्री का भी नाम है। जबकि राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि किसी मंत्री, संगठन चुनाव पदाधिकारी या चुनाव हार चुकी महिला को अध्यक्ष – पद सौंपा नहीं जाएगा। भाजपा में किसी भी पद को लेकर चर्चा में रहने वाले नामों की जगह वो नाम सामने आता है, जिसकी कोई संभावना नहीं रहती है। जानकार बताते हैं कि नाम ऊपर से आता है, जिस पर सिर्फ मोहर संगठन चुनाव प्रभारियों को लगाना होता है। वैसे कई नामों पर चर्चा चल रही है, जिस पर जल्द फैसला होने की संभावना है। इन नामों में मप्र की दो पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस और उषा ठाकुर दोनों उच्च जाति की राजनीतिज्ञ है, लेकिन इनकी संभावना कम हो गई है। जबकि दो मौजूदा सांसद ओबीसी नेता कविता पाटीदार पहली बार राज्यसभा सांसद और संध्या राय दूसरी बार लोकसभा सदस्य के अलावा पहली बार विधायक बनी रोति पाठक शामिल है। ममता नरोलिया युवा संगठन से जुड़ी होने के कारण उनका नाम कम ही लोग ले रहे हैं। वैसे वीडी शर्मा के कार्यकाल को स्वर्णिम काल माना जा रहा है, लेकिन उनके दो कार्यकाल होने के कारण दूसरे बनाम चर्चा में आए है। महिला का नाम इसलिए आया कि मध्य प्रदेश भाजपा में कमी कोई महिला प्रमुख नहीं रही है, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व को आश्चर्यचकित करने के लिए जाना जाता है। इसलिए भाजपा की कमान किसी महिला के हाथों में होना असंभव नहीं लगता।