जीतू पटवारी की कुर्सी पर… मंडरा रहा है खतरा

उपचुनाव बना करो या मरो की स्थिति वाला .

कांग्रेस को मध्य प्रदेश में लगातार चुनावी हार का सामना करना पड़ रहा है, फिर विधानसभा का चुनाव हो या लोकसभा का। पार्टी आलाकमान ने जीत की आशा में कमलनाथ जैसे दिग्गज नेता को पीसीसी चीफ से हटाकर पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद पर युवा चेहरे पर दाव लगतो हुए जीतू पटवारी को कमान सौंप दी, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है। पटवारी को अध्यक्ष बने लगभग 1 साल पूरा होने जा रहा है इस दौरान लोकसभा के बाद छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा उपचुनाव में कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हो सकी है। यही नहीं वे पार्टी विधायकों के भी दलबदल को रोकने में असफल रहे हैं। अपने डेढ़ दशक के राजनीतिक कैरियर में वे कांग्रेस के ऐसा नेता बनकर जरुर उभरे हैं, जो अल्प समय में फर्श से अर्श पर पहुंचे हैं, लेकिन अब उनकी कुर्सी पर खतरा मंडराता दिख रहा है। दरअसल अगर इस बार उपचुनाव में अगर वे दोनों विधानसभा सीट हार जाते हैं तो यह उनकी हार की हैट्रिक होगी। पटवारी बुधनी और विजयनगर विधानसभा उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंककर हार को जीत में बदलने की कोशिश करने में लगे हुए हैं। राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना है कि पटवारी के लिए यह किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है अगर दोनों सीट हारे तो अध्यक्ष की कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है।
राहुल की करीबी और पिछड़े वर्ग का मिला फायदा
प्रदेश कांग्रेस के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष महज 47 वर्ष के जीतू पटवारी को अध्यक्ष की कुर्सी मिलने का मुख्य कारण राहुल गांधी का करीबी और ओबीसी वर्ग से होना माना जाता है। राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा का उन्हें क्षेत्र में प्रभारी बनाया गया था। पटवारी विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस द्वारा निकाली गई जन आक्रोश यात्रा के भी प्रभारी रहे हैं। कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को हटाकर जीतू पटवारी को अध्यक्ष बनाने वाली कांग्रेस पार्टी प्रदेश में होने वाले दो सीटों के उप चुनाव में जीत की आस लगाए बैठी है। हालांकि जीतू पटवारी भी इन दोनों सीटों पर किसी प्रकार की लापरवाही नहीं कर रहे हैं। चुनाव की तारीख की घोषणा होने से पहले ही दोनों ही सीटों पर पूरी जोर आजमाइश लग रहे थे। अब तारीख की घोषणा होने के बाद पटवारी दोनों ही सीटों पर लगातार दौरा कर रहे हैं और एक-एक बूथ पर फोकस कर रहे हैं। अब उपचुनाव में क्या गुल खिलाते हैं, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन प्रदेश युवा कांग्रेस से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने का सफर तेजी से तय करने वाले जीतू पटवारी का कांग्रेस का राजनीतिक भविष्य आगामी उपचुनाव के परिणाम पर निर्भर करेगा।
डेढ़ दशक में ही फर्श से अर्श पर पहुंचे
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी अपने 15 वर्ष के राजनीतिक सफर में फर्श से अर्श पर पहुंचे हैं। जीतू पटवारी राऊ क्षेत्र से दो बार विधायक रहे हैं। साथ ही 16 महीने कमलनाथ सरकार में मंत्री भी रहे हैं। अपनी मुखरता और हमलावर रूख के लिए मशहूर पटवारी ने अपने समर्थकों का आधार भी पूरे प्रदेश में बनाया है। खाती समाज से ताल्लुक रखने वाले पटवारी के समर्थक दावा करते हैं कि समाज के वोट प्रदेश की 45 फीसदी सीटों पर असर करते हैं। यही कारण है कि उन्हें अध्यक्ष पद सौंपा गया है।
नहीं बना सके नई टीम
पटवारी को प्रदेश कांग्रेस की कमान मिले हुए नौ माह से अधिक का समय हो चुका है, लेकिन वे अब तक अपनी टीम तक गठित नहीं कर सके हैं। इसकी वजह से पार्टी के नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक में मायूसी पैदा हो गई है। प्रदेश कार्यकारिणी के घोषणा को लेकर लगातार कयास लगाया जा रहे हैं। भोपाल से दिल्ली तक मंथन चल रहा है। मध्य प्रदेश प्रभारी जितेंद्र भंवर सिंह भी कई बार बोल चुके हैं कि पदाधिकारियों की लिस्ट तैयार हो गई है जल्द ही घोषणा की जाएगी। प्रदेश में कांग्रेस और गुटबाजी का गहरा नाता हो चला है। दरअसल प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी युवा और महिलाओं को अपनी टीम में अधिक से अधिक जगह देना चाहते हैं। जबकि कांग्रेस के बड़े नेता खुद को या अपने चाहने वालों को कार्यकारिणी में जगह दिलाना चाहते हैं।यही कारण है कि कई नेता जीतू पटवारी से नाराज चल रहे हैं। कई नेता तो खुलकर भी पटवारी के खिलाफ बयान बाजी कर चुके हैं। पटवारी के सामने परीक्षा की घड़ी है कि पार्टी को कैसे मैनेज करते हैं और कार्यकारिणी में सभी का समन्वय बनाते हैं। दरअसल राज्य में किसी दौर में कांग्रेस सत्ता में थी, संगठन भी मजबूत हुआ करता था, मगर वर्ष 2003 के बाद ऐसी स्थितियां बनी कि कांग्रेस लगातार कमजोर होती गई। अब एक बार फिर से कांग्रेस को मजबूत करने में पार्टी के सभी नेता जुटे हुए है।
लगातार चुनाव हार रही कांग्रेस
मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी पहले विधानसभा 2023 में सत्ता से बाहर हुई। 2024 लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीट भी कांग्रेस को हारनी पड़ी। यह पहला मौका था, जब कांग्रेस को सभी सीटें हारनी पड़ी हैं। इस दौरान पार्टी के विधायकों ने भी एक के बाद एक भाजपा को ज्वाइन किया, लेकिन पटवारी इसमें भी असफल साबित हुए। इसके बाद अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में पूर्व सीएम कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा की सीट भी कांग्रेस हार गई। अब एक बार फिर से कांग्रेस जीतू पटवारी को आजमा रही है। 13 नवंबर को बुधनी और विजयपुर विधानसभा उपचुनाव होना है। यहां भी हार का सिलसिला कायम रहा तो पटवारी की कुर्सी खतरे में आनी तय है.