कोई उच्च पदनाम तो कोई अतिशेष में उलझा.
भोपाल/मंगल भारत। मप्र में शिक्षा विभाग की लापरवाही और भर्राशाही में शिक्षक इस कदर फंस गए हैं कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वे करें तो क्या करें। कहीं शिक्षक उच्च पदनाम तो कहीं अतिशेष के चक्कर में इस कदर उलझ गए हैं कि उससे शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। उस पर शिक्षकों पर बेहतर परीक्षा परिणाम देने का भी दबाव है। उधर, प्रदेश में अतिशेष की क्या स्थिति है इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव ने रिपोर्ट मांगी है। इसके लिए पीएस ने लोक शिक्षण संचालनालय कमिश्नर को निर्देशित किया है। पीएस चाहते हैं कि मौजूदा माह में जिनते अतिशेष हैं। उन्हें खाली पदों पर पदांकन मिले। इसके बाद पूरा फोकस अध्यापन पर किया जाये। क्योंकि दिसंबर में अद्र्धवार्षिक और फरवरी से फायनल परीक्षाएं है।मध्य प्रदेश में किराए के घर
जानकारी के अनुसार शिक्षकों के लिए यह ऐसा चुनौतीपूर्ण समय है कि विभाग कि कैलेंडर अनुसार अध्यापन करवाना है। बच्चों का शत-प्रतिशत परिणाम भी लाना है। इसी बीच थमा उच्च पद प्रभार भी जरूरी है। क्योंकि कई का रिटायर्डमेंट नजदीक है। शिक्षकों की मनाही के बाद राज्य भर में विभाग अतिशेष शिक्षकों के समायोजन की कार्रवाई कर रहा है। इस कारण पूरी अध्यापन व्यवस्था प्रभावित हो गई है। जिन शिक्षकों को अतिशेष घोषित किया गया। उन्हें वर्तमान पदांकित शाला से मीलों दूर भेज दिया गया है। शिक्षकों की परेशानी का कारण यह है कि जहां अभी वह पदस्थ थे। वहां उनका परिवार निवास और बच्चों की पढ़ाई होती थी। अब इन शिक्षकों को नये सिरे से व्यवस्थाएं बनानी पड़ रही हैं।
अधिकारियों के चक्कर काट रहे शिक्षक
शिक्षकों की मानें तो ऐसे समय में अतिशेष प्रक्रिया आने के कारण पूरी अध्यापन व्यवस्था प्रभावित हो गई है। राज्य में विभिन्न विषयों के 25 हजार शिक्षकों को अतिशेष चिन्हित किया गया है। इस बीच प्रदेश के करीब दस हजार वह शिक्षक परेशानी में हैं, जिन्हें उच्च पदनाम मिलना था। इनमें कई ऐसे हैं जिनका रिटायर्डमेट नजदीक है। कुछ बिना पदनाम रिटायर्ड हो भी चुके है। उच्च पदनाम का काम एक प्रकार से इस समय बंद किया गया है। यह शिक्षक में कक्षाएं छोड़ अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। मप्र शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष क्षत्रवीर सिंह राठौर का कहना है कि इस समय पूरे प्रदेश में अध्यापन व्यवस्था प्रभावित है। जिन्हें अतिशेष घोषित किया गया। वह दूसरी जगह पहुंच रहे हैं। वहां भी उन्हें परेशानियां आ रही हैं। इस बीच दस हजार शिक्षकों का उच्च पदनाम अटका दिया गया है। शासकीय शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष उपेन्द्र कौशल का कहना है कि प्रदेश में करीब 25 हजार शिक्षकों को सरप्लस घोषित किया गया है। जबकि पोर्टल में संशोधन नहीं किया गया है। जहां शिक्षकों से च्वाइस फिलिंग करवाई जा रही है। वहां पद खाली नहीं है। कई जगहों पर यह परेशानी आ रही है।
प्राचार्य नहीं करवा रहे ज्वाइन
जानकारी के अनुसार कटनी, उमरिया, राजगढ़, मंदसौर, नीमच, रतलाम, उज्जैन, धार, छिंदवाड़ा, जबलपुर, बालाघाट सहित कई जिले ऐसे हैं, जहां शिक्षकों को अतिशेष चिह्नित कर दूसरे स्कूलों में भेजा गया। कई जगह इन्हें प्राचार्य ज्वाइन नहीं करवा रहे हैं। बालाघाट में ज्वाइनिंग करने शिक्षक जहां गया, वहां विषय का पूर्व से शिक्षक है। छिंदवाड़ा, जबलपुर में भी ऐसा ही मामला आया है। विभाग के सिस्टम में कितनी खामियां हैं। विज्ञान विषय से ही अंदाजा लगाया जा रहा है। राज्य में 125 विज्ञान के ऐसे शिक्षक हैं। जिन्हें सरप्लस बताया गया। अब इन्हें च्वाइस फिलिंग के माध्यम से दूसरी जगह भेजा जा रहा है। खामी देखें कि जहां शिक्षक को जहां पद खाली बताया गया। वह पोस्ट पोर्टल पर भरी बताई जा रही है। यह शिक्षक जिला-जेडी और राज्य कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन इन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा है।