मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। लगभग 10 माह बाद मप्र कांग्रेस
की कार्यकारिणी के गठन के बाद उठे असंतोष को साधने के लिए एक दूसरी लिस्ट भी जारी की गई है। इसमें 84 सचिव और 36 सहसचिव बनाए गए हैं। पॉलिटिकल अफेयर समिति, अनुशासन समिति, डीलिमिटेशन कमेटी का भी ऐलान किया गया है। इस नई नियुक्ति के जरिए कांग्रेस नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश कर रही है। गौरतलब है की पहली सूची को लेकर उठे असंतोष के स्वर को साधने के लिए प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा था कि हम सभी मिलकर प्रदेश में लोकतंत्र, किसान, महिला, मजदूर विरोधी भाजपा सरकार के खिलाफ कड़ा संघर्ष करना चाहते हैं। यह कांग्रेस के प्रत्येक साथी की जिम्मेदारी है। शीघ्र ही प्रदेश सचिव, अनुशासन समिति और राजनीतिक मामलों की सलाहकार समिति की घोषणा की जाना है। इस सूची में शेष रहे साथियों को भी जिम्मेदारी मिलेगी। इसके बाद कांग्रेस की दूसरी सूची में डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की गई है।
गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लगभग 10 माह बाद जीतू पटवारी की टीम घोषित हुई तो असंतोष के स्वर भी फूट पड़े। खास बात यह है कि टीम में वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की छाया साफ दिखाई पड़ रही है। उनके समर्थकों को सबसे ज्यादा पद मिले हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जा चुके एक अन्य वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी के समर्थकों को भी नवाजा गया है लेकिन पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, अजय सिंह और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को खास तवज्जो नहीं मिली। इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे पूर्व सांसद नकुलनाथ को भी इस टीम में जगह नहीं मिली जबकि हर प्रमुख नेता के बेटे, भाई का प्रतिनिधित्व कार्यकारिणी में है। इससे अलग हटकर भी असंतोष है। इंदौर के वरिष्ठ नेता प्रमोद टंडन ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। दूसरा, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता रवि सक्सेना ने तंज कसते हुए फेसबुक पर लिखा है, एक पुरानी कहावत है, जो आज चरितार्थ हो गई अंधामल बांटे रेवड़ी, अपने अपनों को देत। जिन्हें जनता ने पराजित किया, वही बने भाग्य विधाता। इस असंतोष को देखते हुए कांग्रेस ने एक दूसरी सूची भी जारी की है। जिसमें कोशिश की गई है कि सभी समीकरणों को साधा जाए।
इन नेताओं को मिला मौका
अमरपाटन विधायक राजेंद्र कुमार सिंह को अनुशासन समिति का चेयरमैन बनाया गया है। पूर्व मंत्री सुरेंद्र चौधरी, रिटायर्ड आईएएस अजीता वाजपेयी, शेख अलीम और पूर्व विधायक दिलीप सिंह गुर्जर को अनुशासन समिति का सदस्य बनाया गया है। मोहन सरकार ने मध्यप्रदेश के संभाग, जिलों तहसीलों और प्रशासनिक सीमाओं का परिसीमन करने के लिए परिसीमन आयोग का गठन किया है। इसमें दो रिटायर्ड अफसरों की नियुक्ति भी हो चुकी है। इसीलिए कांग्रेस ने प्रशासनिक परिसीमन और विधानसभा-लोकसभा सीटों के परिसीमन को देखते हुए इस कमेटी का गठन किया है। कांग्रेस ने डीलिमिटेशन कमेटी (परिसीमन समिति) का भी गठन किया है। राज्यसभा सांसद और सीनियर एडवोकेट विवेक तन्खा को इस कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, अधिवक्ता जेपी धनोपिया, केके मिश्रा, सेमरिया विधायक अभय मिश्रा, ग्वालियर ग्रामीण विधायक साहब सिंह गुर्जर और रिटायर्ड आईएएस वीके बाथम को इसका सदस्य बनाया गया है।
नई लिस्ट में नाराज नेताओं को जगह
मप्र कांग्रेस की नई कार्यकारिणी घोषित होने के बाद मचे सियासी बवाल के बाद पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। कांग्रेस नाराज नेताओं को मनाने में जुट गई है। इसी कड़ी में मप्र कांग्रेस ने सचिव, सहसचिव और कमेटियों का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस कार्यकारिणी में 84 सचिव की नियुक्ति की गई है। वहीं प्रदेश कार्यकारिणी में 36 सहसचिव बनाए गए है। पॉलिटिकल अफेयर समिति अनुशासन समिति डीलिमिटेशन कमेटी का भी ऐलान किया गया है। इस नई नियुक्ति के जरिए कांग्रेस नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश कर रही है। एक दिन पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने प्रदेश कार्यकारिणी को लेकर सवाल खड़े किए थे। आज जारी लिस्ट में उनका नाम भी देखने को मिला है। वही कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को भी जगह दी गई है। कांग्रेस की दूसरी लिस्ट में 25 सदस्यीय पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी का गठन किया गया है। इसमें कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी जितेंद्र सिंह, जीतू पटवारी, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, उमंग सिंघार, कांति लाल भूरिया, अजय सिंह राहुल, अरुण यादव, विवेक तन्खा, अशोक सिंह, मीनाक्षी नटराजन, कमलेश्वर पटेल, ओमकार सिंह मरकाम, फूल सिंह बरैया, सज्जन सिंह वर्मा, गोविंद सिंह, एनपी प्रजापति, नकुलनाथ, बाला बच्चन, विजय लक्ष्मी साधौ, शोभा ओझा, आरिफ मसूद, तरुण भनोत, प्रवीण पाठक और सत्यपाल सिंह नीटू सिकरवार को शामिल किया गया है।
आगामी रणनीति को देखते हुए मिली जगह
पटवारी की कार्यकारिणी को देख कर पता चलता है कि इसमें चुनाव की राजनीति करने वालों को ज्यादा महत्व दिया गया है। इसमें विधायकों को पद मिले हैं और चुनाव हारने वाले नेताओं को भी, जबकि ये संगठन के लिए ज्यादा समय नहीं दे सकते। पटवारी की कार्यकारिणी में 6 माह पहले कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हो चुके पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी के समर्थकों को जगह दी गई है। तर्क दिया जा रहा है कि पचौरी ने भले ही दल बदल किया हो लेकिन, उनके जो समर्थक भाजपा में नहीं गए, उनको संगठन में लेकर इनाम दिया गया है। विधायक आरिफ मसूद, अमित शर्मा, राजीव सिंह, अवनीश भार्गव को पचौरी का करीबी माना जाता है।