मध्यप्रदेश विधानसभा होगी हाईटेक

ई-विधान प्रणाली का खाका तैयार.

भोपाल/मंगल भारत। देश के कई राज्यों की ई-विधान प्रणाली का अध्ययन करने के बाद मप्र विधानसभा ने भी इसका मसौदा तैयार कर लिया है। संभवत: अगले बजट सत्र से मप्र में विधानसभा की डिजिटल कार्यप्रणाली लागू हो जाएगी। इस व्यवस्था पर करोड़ों रुपए का खर्च आएगा। विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने ई-विधान प्रणाली को लागू करने की सहमति दे दी है। फिलहाल ई-विधान प्रणाली के संचालन का दायित्य राष्ट्रीय सूचना केंद्र को सौंपा जाएगा। ई-विधान व्यवस्था का उद्देश्य देश की सभी विधानसभाओं को एक इलेक्ट्रानिक प्लेटफार्म पर लाना है। इससे एक-दूसरे के नवाचार पता लगेंगे और विचारों का आदान-प्रदान भी होगा। इस व्यवस्था लागू होने के बाद विधानसभा की कार्यवाही के दौरान कागज पर खर्च होने वाले करोड़ों रुपए प्रतिवर्ष बचेंगे।
मप्र विधानसभा की कार्यवाही को डिजिटल प्लेटफार्म पर लाने की कवायद लंबे समय से चल रही है। पिछली विधानसभा में भी कई सदस्य एवं अधिकारी दूसरे राज्यों में ई-विधानसभा प्रणाली का अध्यक्ष करने गए थे। मौजूदा विधानसभा में भी दूसरों राज्यों की अध्ययन रिपोर्ट तैयार की गई है। इसके बाद तय हुआ है कि मप्र विधानसभा में भी ई-विधान प्रणाली लागू होगी। विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने भी इसके पक्षधर हैं। वे खुद उप्र एवं अन्य राज्यों की विधानसभा की कार्यप्रणाली का अवलोकन कर चुके हैं। इस संबंध में विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया कि ई-विधान प्रणाली की सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। राष्ट्रीय सूचना केंद्र साफ्टवेयर से लेकर अन्य व्यवस्थाएं करेगा। शीत सत्र के बाद काम तेजी से आगे बढ़ेगा। सदन के भीतर लाइन बिछाने से लेकर हर सदस्य की सीट पर स्क्रीन लगाने एवं अन्य सेट लगाया जाएगा। सदन के भीतर लाइव स्क्रीन की संख्या बढ़ेंगी। साथ ही सदन के बाहर विधानसभा परिसर में भी सदन की कार्यवाही लाइव देखने के लिए स्क्रीन लगाने पर विचार किया जाएगा।
हर विधायक के आसन पर लगेगी स्क्रीन
ई-विधान व्यवस्था लागू होने पर सदन में प्रत्येक सदस्य के आसन के सामने स्क्रीन लगाई जाएगी। प्रश्नकाल के दौरान सभी प्रश्न इसमें नजर आएंगे। सदस्य जिस विषय के बारे में संदर्भ चाहेंगे, वह भी उन्हें एक क्लिक पर आनलाइन मिल जाएगा। ई-विधान व्यवस्था का उद्देश्य देश की सभी विधानसभाओं को एक इलेक्ट्रानिक प्लेटफार्म पर लाना है। इससे एक-दूसरे के नवाचार पता लगेंगे और विचारों का आदान-प्रदान भी होगा। इस व्यवस्था लागू होने के बाद विधानसभा की कार्यवाही के दौरान कागज पर खर्च होने वाले करोड़ों रुपये प्रतिवर्ष बचेंगे।
एक क्लिक पर मिलेगी जानकारी
जानकारी के अनुसार विधानसभा में ई विधान व्यवस्था लागू करने की सभी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है। सब कुछ ठीक रहा तो आगामी बजट सत्र फरवरी-मार्च 2025 से ई-विधान व्यवस्था लागू हो जाएगी। इस व्यवस्था के तहत सदन में प्रत्येक सदस्य के आसन के सामने स्क्रीन लगाई जाएगी। प्रश्नकाल के दौरान सभी प्रश्न इसमें नजर आएंगे। सदस्य जिस विषय के बारे में संदर्भ चाहेंगे, वह भी उन्हें एक क्लिक पर ऑनलाइन मिल जाएगा। ई-विधान का पूरा काम राष्ट्रीय सूचना केंद्र, एनआईसी की देखरेख में होगा। यह व्यवस्था हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों में लागू हो चुकी है। विधानसभा में ई-विधान व्यवस्था को लागू करने की तैयारी काफी समय से चल रही है। विधानसभा अधिकारियों की टीम इस व्यवस्था को देखने कुछ राज्यों का भ्रमण कर चुकी है। इसके बाद इसका खाका तैयार किया गया है। इसके अलावा विधानसभा की कार्रवाही लोकसभा की तर्ज पर लाइव आम आदमी को दिख सके इसके लिए भी केंद्रीय सूचना प्रसारण विभाग के अधिकारियों से बात की जा रही है। बताया जाता है कि दूरदर्शन केंद्र की एक टीम विधानसभा का भ्रमण भी कर चुकी है। विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह को कहना है कि सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। राष्ट्रीय सूचना केंद्र सॉफ्टवेयर से लेकर अन्य व्यवस्थाएं करेगा।
निर्मला की सदस्यता को लेकर मोर्चा खोलेगी कांग्रेस
सागर जिले के बीना विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्मला सप्रे की सदस्यता पर निर्णय करने के लिए कांग्रेस विधायक दल विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर से बात करेगा। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए प्रमाण सहित आवेदन दिया है लेकिन उस पर अभी तक निर्णय नहीं लिया गया है। उधर, सप्रे लगातार भाजपा की बैठकों में भाग ले रही हैं। वर्ष 2023 में कांग्रेस के टिकट पर निर्मला सप्रे बीना विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुई थीं। लोकसभा चुनाव के समय वे भाजपा के संपर्क में आईं और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में मंच भी साझा किया। उन्होंने क्षेत्र के विकास का हवाला देते हुए पार्टी प्रत्याशी के स्थान पर भाजपा के लिए काम किया। भाजपा में शामिल होने की बात भी कही। इसे लेकर कांग्रेस ने उनसे दूरी बना ली। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के दौरान निर्मला सप्रे ने कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया था और वे भाजपा में शामिल हो गई थी।