स्कूल शिक्षा विभाग के मंसूबों पर फिरा पानी

सीएम राइज स्कूलों के लिए 17 हजार करोड़ देने को तैयार नहीं वित्त विभाग.

मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। मप्र में निजी स्कूलों को शिक्षा, सुविधाओं और संसाधनों के मामले में टक्कर देने के लिए शुरू किए गए सीएम राइज स्कूलों का निर्माण कार्य चल रहा है। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने 17,000 करोड़ रुपए की आवश्यकता बताई है और सरकार से इस बजट की मांग की है। लेकिन वित्त विभाग ने स्कूल शिक्षा विभाग के प्रस्ताव को निरस्त करतेे हुए नया प्रस्ताव मांगा है। मप्र के हर क्षेत्र में गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने कुल 9200 सीएम राइज स्कूल बनाने की योजना बनाई है।
इसका उद्देश्य बच्चों को ज्ञान, कौशल और नागरिकता के संस्कार देने के साथ ही, भारतीय संस्कृति और संस्कारों की शिक्षा देना है। प्रदेश में जिला, विकासखंड, संकुल और गांवों के समूह स्तरों पर सीएम राइज स्कूल प्रस्तावित हैं। प्रत्येक सीएम राइज स्कूल में 2000 से 3000 विद्यार्थी होंगे। तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जुलाई, 2023 में शाजापुर के गुलाना में प्रदेश के पहले सीएम राइज स्कूल का लोकार्पण किया था। गौरतलब है की प्रदेश में 300 सीएम राइज स्कूलों का निर्माण होना है। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजकर करीब 17 हजार करोड़ रुपए मांगे थे। यह राशि आगामी तीन साल में मांगी गई थी। लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग के मंसूबों पर वित्त विभाग ने पानी फेर दिया है। दरअसल, प्रस्ताव का बारीकी से परीक्षण करने के बाद वित्त विभाग ने कहा कि स्कूलों के निर्माण पर खर्च होने वाली राशि बहुत ज्यादा है। वित्त विभाग ने यह कहते हुए स्कूल शिक्षा विभाग को प्रस्ताव वापस भेज दिया कि निर्माण लागत कम कर नया प्रस्ताव तैयार करें और दोबारा भेजें। दरअसल, मप्र सरकार पर कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है। चालू वित्तीय वर्ष में सरकार 20 हजार करोड़ का रुपए का कर्ज ले चुकी है। सरकार ने अक्टूबर में आखिरी बार 5 हजार करोड़ रुपए कर्ज लिया था। मप्र सरकार पर 31 मार्च, 2024 की स्थिति में 3 लाख 75 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था। कर्ज की राशि अब बढक़र 4 लाख करोड़ के करीब पहुंच गई है।
370 सीएम राइज स्कूलों का किया जा रहा निर्माण
गौरतलब है कि सीएम राइज स्कूल योजना सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं में से एक है। सीएम राइज स्कूलों का निर्माण मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की प्राथमिकता में है। वे स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में इसके संकेत दे चुके हैं। प्रदेश में पहले चरण में 370 सीएम राइज स्कूलों का निर्माण किया जा रहा है। इनमें से स्कूल शिक्षा विभाग के 295 और जनजातीय कार्य विभाग के 75 सीएम राइज स्कूल शामिल हैं। इनमें से आधा दर्जन स्कूल बन चुके हैं और 22 सीएम राइज स्कूल भवन का निर्माण कार्य पूर्णता की ओर है। वर्तमान में सीएम राइज स्कूलों में 4 लाख 75 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। सीएम राइज स्कूलों में अच्छा बुनियादी ढांचा, हर छात्र के लिए परिवहन सुविधा, शत-प्रतिशत शिक्षक और अन्य कर्मचारी, स्मार्ट क्लास और डिजिटल लर्निंग, हिंदी के साथ अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई, अच्छी तरह से सुसज्जित प्रयोगशालाएं, समृद्ध पुस्तकालय, व्यावसायिक शिक्षा और अभिभावकों की सहभागिता आदि पर जोर दिया जा रहा है।
एक स्कूल के निर्माण पर 50 से 55 करोड़ की लागत
स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वित्त विभाग को भेजे प्रस्ताव के मुताबिक एक सीएम राइज स्कूल के निर्माण पर 50 से 55 करोड़ की लागत आएगी। इसमें करीब 5 करोड़ रुपए का फर्नीचर भी शामिल है। वित्त विभाग ने प्रस्ताव का परीक्षण करने के बाद कहा है कि यह व्यावहारिक नजर नहीं आ रहा है। सिविल इंजीनियरों और विशेषज्ञों के साथ बैठकर फिर से प्रस्ताव तैयार किया जाए। ऐसा प्रस्ताव तैयार करें कि एक स्कूल की निर्माण लागत 20 से 25 करोड़ रुपए आए। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का मानना है कि प्रोजेक्ट में लोक निर्माण विभाग की भागीदारी होने के कारण कुछ हद तक निर्माण लागत ज्यादा हुई है। पीडब्ल्यूडी में निर्माण कार्य की प्रक्रिया इतनी पेंचीदा है कि उससे लागत बढ़ती है। यदि स्कूल निर्माण की लागत कम करना है, तो सीएम राइज स्कूल के मॉडल में बदलाव से लेकर निर्माण से जुड़े अन्य सभी पहलुओं पर नए सिरे से काम करना होगा।