भाजपा संगठन चुनाव के चलते टली निगम-मंडलों में नियुक्तियां.
मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। पिछले 11 माह से निगम-मंडलों में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष बनने की आस लगाए भाजपा नेताओं को अभी करीब 4 माह तक इंतजार करना पड़ सकता है। इसकी वजह है भाजपा संगठन का चुनाव। पार्टी सूत्रों के अनुसार, संगठन चुनाव को देखते हुए निगम-मंडलों में नियुक्तियां टाल दी गई हैं। मप्र में भाजपा संगठन चुनाव की डेड लाइन के अनुसार 15 दिसंबर तक 1078 मण्डलों के अध्यक्ष घोषित होंगे। 15 जनवरी 2025 तक जिलाध्यक्षों का चुनाव हो जाएगा। जनवरी अंत तक सभी प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी चुनाव हो जाएगा। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि फरवरी 2025 में ही अब निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्ति हो पाएगी।
गौरतलब है कि प्रदेश में मोहन सरकार 11 महीने का कार्यकाल पूरा करने जा रही है। इस बीच भाजपा संगठन की ओर से निगम, मंडलों में खाली पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने की कवायद की गई, लेकिन कुछ ही नियुक्तियां हो पाईं। अब भाजपा संगठन चुनाव की वजह से निगम-मंडलों में नियुक्तियां अगले साल फरवरी तक टल गई हैं। यानी भाजपा के वे नेता जो निगम, मंडल एवं अन्य संस्थाओं में कुर्सी के इंतजार में बैठे हैं उन्हें और इंतजार करना पड़ सकता है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि जो नेता भाजपा की पिछली सरकारों में मंत्री पद का दर्जा प्राप्त कर चुके हैं, उन्हें अब फिर से नियुक्तियां नहीं मिलेंगी। हालांकि कुछ नेता इसमें सफल भी हो सकते हैं। मौजूदा स्थिति में भाजपा के संघ से जुड़े नेता ही सरकार में नियुक्ति के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं। जिन्हें फिलहाल सफलता मिलने की संभावना दिखाई नहीं दे रही है। इतना तय है कि जनवरी तक भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा। इसके बाद ही नेताओं को सरकार में एडजस्ट किया जाएगा।
भाजपा में कई नेता दावेदार
भाजपा में निगम मंडलों के लिए कई नेता दावेदार हैं। 2020 में जिन सीटों पर कांग्रेस के विधायक भाजपा में शामिल हुए थे, उन सीटों पर भाजपा के पूर्व विधायक भी निगम मंडलों के लिए दावेदारी कर रहे हैं। साथ ही पिछले विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव के दौरान भी दूसरे दलों से जो नेता भाजपा में आए थे, वे भी निगम मंडलों में नियुक्ति चाहते हैं। भाजपा संगठन के पास सरकार में नियुक्ति पाने के दावेदार नेताओं की सूची लंबी है। पिछली बार ही तरह इस बार भी संघ की ओर से भी कुछ नेताओं के नाम सामने आएंगे। हालांकि संघ खुले तौर पर किसी भ्ीा नेता का समर्थन या विरोध नहीं करता है। लेकिन संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों की सिफारिश जरूर होती है। सत्ता और संगठन अब तक जिन नामों को तय कर चुके हैं, उनमें पांच संघ व संगठन के बताए जा रहे हैं तो तीन कांग्रेस से आए चेहरे हैं। एक सिंधिया समर्थक नेता की भी लाटरी पहली सूची में ही खुल सकती है। इस सूची में प्रदेश भाजपा के पूर्व कोषाध्यक्ष बैतूल से दोबार के विधायक व पूर्व सांसद हेमंत खंडेलवाल का नाम तय माना जा रहा है तो पूर्व उपाध्यक्ष विनोद गोटिया भी इस सूची में शामिल बताए जा रहे हैं। संघ से जुड़े पूर्व संभागीय संगठन मंत्री को शैलेंद्र बरुआ और आशुतोष तिवारी भी फिर से निगम-मंडल की कुर्सी मिल सकती है। संगठन से हटाने के बाद दोनों को सरकार ने मंत्री पद का दर्जा देते हुए निगम-मंडल में बैठाया था, लेकिन सीएम यादव ने फरवरी में इनकी नियुक्ति भी निरस्त कर दी। निगम मंडल के भरोसे जिन भाजपा नेताओं की नाराजगी दूर की गई है, उनमें बुधनी उपचुनाव के प्रबल दावेदार पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह राजपूत ताजा नाम है। 2005 में सीएम बने शिवराज सिंह चौहान के लिए राजपूत ने ही अपनी विधायकी छोड़ी थी। अभी भी टिकट मांग रहे थे। वहीं विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान करीब आधा दर्जन नेताओं की टिकट काटते समय भी पार्टी ने निगम-मंडल में पद देने का वादा किया था। इनमें प्रदेश मीडिया प्रभारी रहे डॉ. हितेश वाजपेयी व लोकेंद्र पाराशर के अलावा दमदार प्रवक्ता पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया के नाम भी प्रमुख हैं। संगठन पूर्व पूरा होते ही नया क्राइटेरिया बनाकर सदस्यता में अच्छा काम करने वालों को भी मौका मिलना है।
सुरेश पचौरी राज्यपाल के लिए लगा रहे जोर
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोडकऱ समर्थकों को साथ लेकर भाजपा में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी राज्यपाल के लिए जोर लगा रहे हैं। पचौरी लगातार दिल्ली में सक्रिय हैं। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की है। भाजपा सूत्रों ने बताया कि सुरेश पचौरी को राज्यपाल बनाने पर केंद्रीय नेतृत्व सहमत नहीं है। विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान दलबदल करने वाले कांग्रेसी दिग्गजों के साथ ही अपने नाराज नेताओं को मनाने के लिए भी भाजपा ने निगम-मंडल व प्राधिकरणों के पदों का भरोसा दिलाया था। यही वजह थी कि अपनी पार्टी की सरकार आने के बाद भी मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पिछली सरकार द्वारा बनाए गए 46 निगम-मंडलों के अध्यक्ष व उपाध्यक्षों की नियुक्ति निरस्त कर दी थी। ये सब भी अब तक आस लगाए बैठे हैं कि उन्हें सरकार सम्मान वापस करेगी। सूत्रों की मानें तो इनमें से कुछ को सीएम यादव और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी दोबारा पद व रुतबा देने का मन बना लिया है। निगम-मंडलों के लिए बनाई गई छोटी सूची में करीब एक दर्जन चेहरे लगभग तय कर लिये गए हैं। इस सूची में संघ और संगठन का तालमेल बनाया गया है तो कांग्रेस से आकर भाजपा को लोकसभा में क्लीन स्वीप को मौका देने वाले पूर्व कांग्रेसी भी शामिल हैं।
कांग्रेस से आने वाले भी होंगे एडजस्ट
पिछले चुनावों के दौरान दूसरे दलों से बड़ी संख्या में नेता भाजपा में शामिल हुए थे। ऐसे नेताओं को निगम मंडलों में पद देकर उपकृत किया जा सकता है। संगठन स्तर पर इसकी सूची भी तैयार हो चुकी है। कुछ नामों को लेकर अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है। फिलहाल सरकार की नियुक्तियों को लेकर संगठन में चर्चा एवं बैठकों का दौर खत्म है। नए अध्यक्ष के चुनाव बाद इस पर निर्णय होगा। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोडक़र भाजपा को मजबूती देने वाले पूर्व सीएम कमलनाथ के कट्टर समर्थक रहे पूर्व विधायक दीपक सक्सेना प्रमुख हैं। चार बार के विधायक सक्सेना द्वारा छोड़ी गई सीट से ही उपचुनाव जीतकर तत्कालीन सीएम नाथ पहली बार विधायक बने थे। पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी का नाम भी तय माना जा रहा है। इन दोनों के अलावा ग्वालियर से सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल को जगह मिलने की पूरी उम्मीद है। इनका 2023 में टिकट काटा गया था।