एक साल बाद भी एक लाख महिलाओं को राशि मिलने का इंतजार.
भोपाल/मंगल भारत। गरीब तबके की मजदूर प्रसूताओं की मदद के लिए सात साल पहले शुरु की गई केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना अब प्रदेश में दम तोड़ रही है। हालात यह है कि इस योजना की पात्र महिलाओं को बीते एक साल से कोई मदद नहीं मिल रही है। इसकी वजह से अब इस योजना में पात्र महिलाओं मेें निराशा का भाव पैदा होने लगा है। प्रदेश में करीब एक लाख महिलाएं ऐसी हैं, जो इस योजना का लाभ मिलने का बीते एक साल से प्रतिक्षा कर रही हैं, लेकिन उन्हें नहीं पता की योजना का लाभ कब मिल पाएगा। इस योजना का लाभ न मिलने की शिकायतें अब तो महिलाओं या फिर उनके परिजनों द्वारा सीएम हेल्पलाइन में भी हर दिन बड़ी संख्या में की जा रही है। अब तक योजना के तहत राशि नहीं मिलने की 25 हजार से अधिक शिकायतें सीएम हेल्पलाइन में दर्ज हो चुकी हैं। हसरत यह है कि फिलहाल हर दिन आधा से लेकर एक सैकड़ा तक शिकायतें हर दिन सीएम हेल्पलाइन पर पहुंच रही हैं।
दरअसल, इस योजना के तहत महिलाओं को पहले प्रसव में पांच हजार रुपये तीन किस्तों में प्रदान किए जाते हैं। बताया जा रहा है कि योजना में कुछ बदलाव के साथ ही एनआईसी को इसका साफ्टवेयर संचालन करने के लिए दिया गया था। एनआइसी ने नया साफ्टवेयर तैयार किया, जिसमें नए हितग्राहियों को जोडक़र उन्हें लाभ दिया जा रहा है, लेकिन तकनीकी दिक्कत के चलते पुराने हितग्राहियों को पहले संचालित साफ्टवेयर से एनआइसी में शिफ्ट नहीं किया जा सका है। इसकी वजह से उनके हिस्से की राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
प्रसूति सहायता योजना की राशि भी तीन माह से नहीं मिली: मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं को तीन माह से राशि नहीं मिली है। यह स्थिति पूरे प्रदेश की है। बताया जा रहा है बजट की कमी के चलते राशि नहीं मिल पा रही है। योजना के अंतर्गत असंगठित कामगार महिला श्रमिक को 16 हजार रुपये अलग-अलग किस्त में मिलते हैं।
पुराने हितग्राहियों की किस्तें रुकीं
पुराने हितग्राहियों में कुछ की एक, कुछ को दोनों या फिर तीनों किस्त रुकी हुई हैं। दरअसल, भारत सरकार ने योजना में पात्रता की शर्तों में कुछ बदलाव किया था। पूर्व में यह प्रविधान था का पहले बच्चे में ही योजना का लाभ दिया जाएगा, बाद में यह जोड़ा गया कि दूसरी संतान बालिका है तो भी योजना का लाभ दिया जाएगा। दूसरा, पहले प्रसूता के परिवार की आय का कोई बंधन पात्रता के लिए नहीं था, पर बाद में आठ लाख रुपये की सीमा निर्धारित कर दी गई। इन बदलावों के साथ नए हितग्राहियों को जोडक़र लाभ दिया जा रहा है, पुराने हितग्राहियों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
यह है योजना
योजना के तहत काम करने वाली महिलाओं की मजदूरी के नुकसान की भरपाई करने के लिए मुआवजा देना और उनके उचित आराम और पोषण को सुनिश्चित करना। गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के स्वास्थ्य में सुधार और नकदी प्रोत्साहन के माध्यम से अधीन-पोषण के प्रभाव को कम करना। योजना के तहत राशि लाभार्थी के बैंक खाते में सीधे भेजी जाती है। इसके तहत पहली किस्त के रुप में 1000 रुपए गर्भावस्था के पंजीकरण के समय दिए जाते हैं, जबकि दूसरी किस्त 2000 रुपए की छह महीने की गर्भावस्था के बाद और तीसरी किस्त 2000 रुपए की बच्चे के जन्म के बाद पंजीकृत होने पर प्रदान की जाती है।