अपना प्रथम अनुपूरक बजट पेश करेगी मोहन सरकार

वित्त विभाग कर रहा तैयारी, सभी विभागों से मांगे गए प्रस्ताव.

भोपाल/मंगल भारत।
मप्र विधानसभा का 5 दिवसीय शीतकालीन सत्र 16 से 20 दिसंबर तक चलेगा। विधानसभा सत्र के दौरान राज्य सरकार के अनुपूरक बजट को मंजूरी दी जाएगी। इसके लिए सरकार ने सभी विभागों से प्रस्ताव मांग लिए हैं और वित्त विभाग इसका परीक्षण कर रहा है। मोहन सरकार का यह प्रथम अनुपूरक बजट होगा। अनुमान के अनुसार सरकार का अनुपूरक बजट 10 हजार करोड़ के करीब का होगा। इसके अलावा इस सत्र के दौरान दो से तीन विधेयकों को भी मंजूरी दिलाई जा सकती है। 16 दिसंबर से शुरू होने वाले इस सत्र के दौरान तीन नए विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी। इनमें छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा विधायक कमलेश प्रताप शाह के अलावा 23 नवंबर को घोषित होने वाले बुधनी और विजयपुर विधानसभा उपचुनाव में निर्वाचित होने वाले विधायक शामिल होंगे। सत्र के दौरान गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों और संकल्पों के लिए 20 दिसंबर की तारीख तय की है। अशासकीय विधेयकों की सूचना विधानसभा सचिवालय को 20 नवंबर तक दी जा सकेगी। अशासकीय संकल्प की सूचना 5 दिसंबर तक दी जा सकेगी। वित्त विभाग अनुपूरक बजट की तैयारी में जुट गया है। अनुमान के अनुसार सरकार का अनुपूरक बजट 10 हजार करोड़ के करीब का होगा। अधोसंरचना विकास के कामों के लिए निर्माण विभागों को अतिरिक्त राशि दी जा सकती है। लोक निर्माण, जल संसाधन के साथ अन्य विभागों को अतिरिक्त राशि दी जा सकती है। किसी भी नई योजना के लिए इसमें प्रावधान नहीं होगा, वाहन खरीदी के लिए भी राशि नहीं दी जाएगी। बता दें कि 2024-25 के लिए सरकार का बजट 3.65 लाख करोड़ रुपए से अधिक का है। केंद्रीय करों में हिस्सा भारत सरकार से 1 लाख 14 हजार करोड़ मिलने हैं। राज्य के करो से 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व प्राप्त होने का अनुमानित है। जीएसटी सहित अन्य करों के संग्रहण में अच्छी स्थिति होने के चलते सरकार की आय में वृद्धि होने की संभावना है, इन्हें देखते हुए वित्त विभाग प्रथम अनुपूरक बजट की तैयारी कर रहा है, सभी विभागों से प्रस्ताव मांगे गए। 16 दिसंबर से पांच दिवसीय शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। सत्र में मोहन सरकार अपना पहला अनुपूरक बजट पेश करेगी।
अनुपूरक बजट के प्रस्ताव इन शर्तों पर होंगे मान्य
जानकारी के अनुसार अनुपूरक बजट के प्रस्ताव को मान्य करने के लिए कुछ शर्तें भी तय की गई हैं। इसके अनुसार जिस वित्तीय मद के लिए राज्य की आकस्मिकता निधि से एडवांस राशि जारी की गई है। जिसके लिए वित्त विभाग द्वारा सहमति दी गई है। जिनके लिए भारत सरकार या अन्य एजेंसी ने वित्तीय सहायता या केंद्रांश दिया है। जो वर्तमान वित्तीय मद से अलग न की जा सकती हो तथा अतिरिक्त संसाधन की व्यवस्था विभाग की अन्य योजनाओं में उपलब्ध राशि में कटौती कर नहीं की जा सकने की स्थिति हो। विशेष पूंजीगत सहायता योजना के अंतर्गत जिन विभागों द्वारा भारत सरकार को प्रस्ताव भेजे गए हैं या भेजे जाने हैं, उन विभागों को अलग से बजट लाइन खोलने की आवश्यकता के मद्देनजर स्वीकृति की जरूरत हो। विशेष पूंजीगत सहायता योजना में भारत सरकार से स्वीकृति के बाद यह अतिरिक्त बजट की जरूरत हो या अन्य योजनाओं से बचत की पूर्ति किया जाना संभव न हो।
फंड मर्ज करने वाले प्रपोजल होंगे मंजूर
गौरतलब है कि अनुपूरक बजट प्रस्ताव के लिए वित्त विभाग ने पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए वित्त विभाग ने सभी विभागों से प्रस्ताव मांगे हैं और यह भी तय कर दिया है कि किस आधार पर अनुपूरक बजट के लिए प्रस्ताव लाए जा सकेंगे। जिन विभागों की ओर से अनुपूरक बजट के प्रस्ताव दिए जाएंगे, उन्हें यह बताना होगा कि 31 अक्टूबर तक उनके विभाग द्वारा बजट में किए गए प्रावधान के आधार पर कितनी राशि खर्च की जा चुकी है। वित्त विभाग ने साफ किया है कि अनुपूरक बजट में नए वित्तीय मद के प्रस्ताव शामिल नहीं किए जा सकेंगे, जिनमें राज्य सरकार के वित्तीय संसाधनों से अतिरिक्त डिमांड की जा रही हो। वित्त विभाग ने यह भी साफ कर दिया है कि वाहनों की खरीदी के लिए अनुपूरक बजट में कोई प्रस्ताव नहीं दिए जा सकेंगे। विभाग ने यह भी कहा है कि जिन वित्तीय मदों को प्रतीक प्रावधान के रूप में खोलना है और राशि का इंतजाम अन्य मद से होने वाली बचत से किया जाना है, वे प्रस्ताव आ सकते हैं लेकिन बचत मद की जानकारी देना होगी। इसी तरह अगर किसी योजना में खर्च के लिए राशि मांगी जा रही है और बजट की राशि पहले से मंजूर रकम में समायोजित होना है तो उसके संबंध में विभागों को अलग से ब्योरा देना होगा।
नहीं आएगी कोई नई योजना
पूंजीगत कामों को बढ़ावा देने के कारण विशेष केंद्रीय सहायता भी 11 हजार करोड़ रुपये से अधिक की मिलने का अनुमान है। इसे देखते हुए वित्त विभाग प्रथम अनुपूरक बजट की तैयारी कर रहा है। सभी विभागों से प्रस्ताव मांगे गए हैं। इसमें केंद्रीय योजनाओं के लिए राज्यांश की व्यवस्था प्राथमिकता के आधार पर रहेगी तो पूंजीगत कामों के लिए निर्माण विभागों को आवश्यकता के अनुसार राशि उपलब्ध कराना प्रस्तावित किया गया है। फरवरी में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए भी उद्योग सहित अन्य विभागों के लिए राशि का प्रविधान रखा जाएगा। कोई भी नई योजना अनुपूरक बजट में नहीं आएगी और किसी भी विभाग को वाहन खरीदने के लिए राशि भी नहीं मिलेगी।