उपचुनाव: उत्तर प्रदेश में मतदाताओं को रोकने की शिकायत पर पांच पुलिसकर्मी निलंबित

चुनाव आयोग ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित किया है. आरोप है कि वे राज्य में नौ विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव के दौरान मुज़फ़्फ़रनगर के मीरापुर, कानपुर के सीसामऊ और मुरादाबाद में मतदाताओं को वोट डालने से रोक रहे थे.

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के पांच पुलिसकर्मियों को चुनाव आयोग ने बुधवार को निलंबित कर दिया. शिकायत के अनुसार, वे राज्य में नौ विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव के दौरान मुजफ्फरनगर के मीरापुर, कानपुर के सीसामऊ और मुरादाबाद में मतदाताओं को वोट डालने से रोक रहे थे.

कानपुर जिले की सीसामऊ, अंबेडकर नगर की कटेहरी, मुरादाबाद की कुंदरकी, गाजियाबाद की गाजियाबाद, मिर्ज़ापुर की मझवां, मैनपुरी की करहल, अलीगढ़ की खैर, प्रयाग की फूलपुर और मुजफ्फरनगर की मीरापुर समेत नौ विधानसभा सीटों पर बुधवार को उपचुनाव हुए. सीसामऊ को छोड़कर इन सीटों के मौजूदा सदस्य लोकसभा के लिए चुने गए, इसलिए उन्होंने अपनी विधानसभा सीटें खाली कर दीं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्षी समाजवादी पार्टी ने सत्तारूढ़ भाजपा पर सपा समर्थकों, खासकर बुर्का पहनी महिलाओं को वोट डालने से रोकने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया.

वहीं, भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि बुर्का का इस्तेमाल फर्जी मतदान के लिए किया जा रहा है.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर के मीरापुर विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं पर कथित तौर पर रिवॉल्वर तानने वाले एक पुलिस अधिकारी का वीडियो पोस्ट किया. उन्होंने दावा किया कि यह मीरापुर के ककरौली पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी का है और उन्होंने मतदाताओं को धमकाने के लिए अधिकारी को तत्काल निलंबित करने की मांग की.
वीडियो में एक पुलिस अधिकारी एक हाथ में डंडा और दूसरे हाथ में पिस्तौल लिए हुए है और वोट देने के लिए घर से निकल रही महिलाओं को गोली मारने की धमकी देते हुए दिखाई दे रहे हैं.

एक अन्य वीडियो शेयर करते हुए अखिलेश यादव ने कहा, ‘इब्राहीमपुर में वोट डालने से रोकने के लिए महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार एवं भाषा का प्रयोग करने वाले एसएचओ के ख़िलाफ़ तत्काल निलंबन की कार्रवाई हो.’

निर्वाचन आयोग की कार्रवाई

इन आरोपों के बाद यूपी के मुख्य चुनाव अधिकारी नवदीप रिनवा ने बताया, ‘पांच पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया गया है – कानपुर में दो, मुजफ्फरनगर में दो और मुरादाबाद में एक. निर्देश दिए गए हैं कि सभी मतदाताओं के पहचान-पत्रों की जांच की जाएगी, लेकिन मतदान केंद्र के अंदर मतदान अधिकारी ही ऐसा करेंगे. मतदान केंद्र के बाहर सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के लिए तैनात पुलिस अधिकारी किसी भी पहचान-पत्र की जांच नहीं करेंगे. अगर ऐसी कोई घटना सामने आती है या कोई शिकायत आती है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. चुनाव आयोग ने इन शिकायतों को गंभीरता से लिया है.’

अखबार के अनुसार, इससे पहले अखिलेश यादव ने कहा, ‘भाजपा अपनी हार के डर से प्रशासन का दुरुपयोग कर रही है. वह समाजवादी पार्टी के मतदाताओं को वोट डालने से रोकने के लिए प्रशासन पर दबाव बना रही है.’

उन्होंने मतदाताओं से कहा कि अगर उन्हें एक बार रोका जाता है, तो उन्हें दूसरी और तीसरी बार कोशिश करनी चाहिए, जब तक कि उन्हें वोट डालने की अनुमति न मिल जाए. उन्होंने मतदाताओं को याद दिलाया कि पुलिस उनकी आईडी नहीं जांच सकती.

उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि वे उन सभी लोगों के वीडियो एकत्र करें जो उन्हें मतदान करने से रोक रहे हैं. अवरोध पैदा करने में शामिल पुलिस और प्रशासन के लोगों के नाम और पद पता करें. उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे अधिकारियों को अदालत में ले जाया जाएगा और वे अपनी नौकरी, पीएफ, पेंशन और सम्मान खो देंगे.

दूसरी तरफ, भाजपा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि मदरसों और मस्जिदों में रहने वाले कई बाहरी लोग सीसामऊ, मीरापुर और कुंदरकी में फर्जी मतदान में लिप्त हैं.

मुजफ्फरनगर की मीरापुर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीटों के बारे में- जहां अल्पसंख्यकों की अच्छी खासी आबादी है, राज्य भाजपा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कहा कि, ‘मतदान अधिकारी पर्दा करने वाली महिलाओं को उनकी पहचान की जांच किए बिना मतदान करने की अनुमति दे रहे हैं, जिसके कारण कई पुरुष बुर्का पहनकर फर्जी मतदान कर रहे हैं, जिसे रोका जाना चाहिए.’

बाद में राज्य भाजपा प्रमुख भूपेंद्र चौधरी ने कहा, ‘चुनाव को गुंडों द्वारा किस तरह प्रभावित किया जा रहा है, यह हमारे सामने है… बुर्का पहनकर फर्जी मतदान में लिप्त हैं. वे (सपा) मांग कर रहे हैं कि पुलिस उन्हें चेक न करे, लेकिन पारदर्शी चुनाव के लिए यह आवश्यक है. गुंडागर्दी, अराजकता, फर्जी पहचान और फर्जी मतदान लाल टोपी वालों (सपा का जिक्र करते हुए) की पहचान बन गए हैं.’