प्रदेश में वन महकमा पाने तीन मंत्रियों में मची होड़

शाह, नागर और उइके की बनी हुई है दावेदारी.

भोपाल/मंगल भारत। विजयपुर से विधानसभा चुनाव हारने के बाद वन मंत्री रामनिवास रावत द्वारा दिया गया इस्तीफा आखिर स्वीकार कर ही लिया गया है। राज्यपाल ने दो दिसम्बर को उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया था, जिसकी अधिसूचना सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा गुरुवार को जारी कर दी गई है। माना जा रहा है कि अब उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर किसी निगम मंडल की कमान सौंपी जाएगी। उधर, रावत के इस्तीफे के बाद से ही मोहन सरकार के कई मंत्रियों की नजरें इस बेहद बड़े विभाग की कमान पाने पर लगी हुई हैं। इसके लिए मंत्रियों द्वारा चुनाव परिणाम के बाद से ही अपनी-अपनी दावेदारी शुरु कर दी गई थी। अब यह विभाग किस मंत्री के खाते में जाएगा यह तो फिलहाल तय नहीं हैं, लेकिन जिस तरह से दावेदारी दिख रही है, उसको देखते हुए माना जा रहा है कि इसे मुख्यमंत्री कैबिनेट विस्तार तक अपने पास रख सकते हैं। दरअसल,लोकसभा चुनाव के समय रामनिवास रावत कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे, जिसके बाद उन्हें मोहन सरकार में उपकृत करते हुए मंत्री बना दिया गया था।
उस समय यह विभाग नागर सिंह चौहान के पास था। भाजपा में आने के बाद रावत ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था , लिहाजा उनकी विजयपुर विधानसभा सभा सीट पर बीते माह उपचुनाव हुआ तो वे कांग्रेस के मुकेश मल्होत्रा से चुनाव हार गए थे। 23 नवंबर को चुनाव परिणाम आते ही उनके द्वारा मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया गया था। इसके बाद मुख्यमंत्री विदेश यात्रा पर चले गण् थे। जिससे उनके इस्तीफे पर फैसला नहीं हो पाया। 30 नवंबर को सीएम की राजधानी वापसी के बाद रावत ने उनसे मुलाकात की थी। इसके बाद सीएम ने उनका इस्तीफा राजभवन मंजूरी के लिए भेज दिया था।
फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार नहीं
रावत के इस्तीफे के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की भी अटकलें लगना शुरु हो गई थीं। हालांकि यह संभावना न के बराबर ही हंै। इसकी वजह है फिलहाल ऐसी कोई राजनैतिक परिस्थिति भी नही है। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर मोहन सरकार कोई नई नाराजगी पैदा नहीं करना चाहती है। इसकी वजह है पद कम हैं और दावेदार अधिक होना। रावत के इस्तीफा के बाद अब प्रदेश सरकार में 23 मंत्री बचे हैं। नियमानुसार प्रदेश में मुख्यमंत्री सहित 15 मंत्री ही हो सकते हैं। इस हिसाब से अभी मंत्रिमंडल में तीन नए मंत्री बन सकते हैं। वैसे भी अभी सत्तारुढ़ दल भाजपा में संगठन के चुनाव चल रहे हैं और विधानसभा का शीतकालीन सत्र भी 16 दिसम्बर से शुरू हो रहा है। ऐसे में सीएम अपनी कैबिनेट का विस्तार करेंगे, इसकी संभावना न के बराबर है। यह जरूर हो सकता है कि आने वाले दिनों में सीएम अपने पास रखे कुछ विभाग अन्य मंत्रियों को दे दें, पर यह निर्णय मंत्रियों की कार्यप्रणाली के हिसाब से लिया जा सकता है। सीएम के पास फिलहाल गृह, जेल, खनिज, नर्मदाघाटी विकास, सामान्य प्रशासन, जनसंपर्क समेत कई विभाग हैं।
यह मंत्री हैं दावेदार
वन का विभाग के खाली होते ही इस बात को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है कि यह विभाग किस मंत्री को मिलेगा। रावत के मंत्री बनने से पहले मंत्री नागर सिंह चौहान के पास यह विभाग था। उन्होंने विभाग वापस लिए जाने के बाद अपनी सार्वजनिक रूप से नाराजगी भी जाहिर की थी। हालांकि संगठन के समझाने पर वे मान गए थे। अब एक बार फिर वे मीडिया के सामने वन विभाग में काम करने की इच्छा जता चुके हैं। उनकी दावेदारी स्वभाविक है। उनके अलावा जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह भी इस विभाग के लिए दावेदार बने हुए हैं। वे पूर्व में दो बार विभाग के मंत्री रह चुके है। इसके अलावा जो तीसरा नाम दावेदार के रुप में सामने आ रहा है, वह है पीएचई मंत्री सम्पतिया उइके का । वे पूर्व में सांसद रह चुकी हैं। खास बात यह है कि यह तीनों दावेदार मंत्री अनुसूचित जनजाती वर्ग से आते हैं। फिलहाल यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है कि वे यह विभाग किसी को देते हैं या अपने पा रखते हैं।