न उम्र की सीमा हो… न जन्म का बंधन

अब पार्टी ने दी जिलाध्यक्ष और मंडल अध्यक्षों के लिए दस वर्ष की छूट.

प्रसिद्ध गजल गायक जगजीत सिंह की गजल न उम्र की सीमा हो न जन्म का बंधन की लाइनें अब पूरी तरह से भाजपा संगठन पर फिट बैठने लगी है। इसकी वजह है पहले जहां तमाम उम्र्र की बंदिशें लगाए जाने के बाद अब मंडल और जिला अध्यक्ष के लिए आयु सीमा में दी गई छूट। दरअसल इसकी वजह है इस बार अब पार्टी ने अपने चुनावों के बीच आयु सीमा में दस -दस सालों की वृद्धि कर दी है। इस आयु सीमा में दी गई छूट के बाद अब 60 वर्ष तक की उम्र वालों को भी जिले की कमान दी जा सकेगी। पहले यह आयु सीमा 50 साल थी, जबकि मंडल के लिए 45 साल तक के अध्यक्ष पात्र होंगे जिसकी सीमा पहले 35 साल तय की गई थी। उधर, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश ने अनुभव पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि जिला अध्यक्ष के चुनाव में ऐसे व्यक्ति का चुनाव किया जाए, जिसके पास संगठन में काम करने का भी पर्याप्त अनुभव हो। दरअसल, मप्र में वर्ष 2020 में हुए संगठन चुनाव में भाजपा ने मंडल अध्यक्षों के लिए 35 और जिलाध्यक्षों के लिए 50 वर्ष तक की आयु सीमा तय कर दी थी। इसके चलते पार्टी के कई अनुभवी और पुराने कार्यकर्ता संगठन से बाहर होना पड़ा था। पार्टी ने यह प्रयोग संगठन में पीढ़ी परिवर्तन के लिए किया था। बाद में पार्टी को यह अहसास हुआ कि अनुभवी कार्यकर्ताओं का बड़ा वर्ग अपनी उपेक्षा के कारण नाराज हो गया था। चुनाव से पहले उन्हें घर से निकालने के लिए संगठन को पूरा जोर लगाना पड़ा था। भाजपा ने 2020 में पीढ़ी परिवर्तन कर युवाओं को संगठन में मौका देकर पीढ़ी परिवर्तन का संकल्प पूरा किया था। इस कारण मंडल में 35 वर्ष और 50 की उम्र आयु वाले ही जिला अध्यक्ष बन पाए थे। इनमें से कुछ तो भाजपा के लिए बेहद उपयोगी रहे और कुछ को राजनीतिक अनुभव ना होने से चुनाव में पार्टी को संकट भी झेलना पड़ा।
70 से 80 पार वालों को दिया था टिकट
भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2023 से ही आयु सीमा का बंधन समाप्त कर दिया था। मध्य प्रदेश में भाजपा से 11 ऐसे विधायक निर्वाचित हुए हैं, जिनकी आयु 70 से 80 वर्ष तक की है। आशय साफ है कि भाजपा अब संगठन चुनाव में भी उम्र सीमा लागू कर कोई जोखिम उठाना नहीं चाहती है।
वीडी दे चुके हैं चेतावनी
रीवा और शहडोल संभाग की बैठक में शनिवार को जिला निर्वाचन अधिकारी, सह निर्वाचन अधिकारी, पर्यवेक्षक और जिलाध्यक्ष शामिल हुए। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि बीते चुनावों के दौरान जिन्होंने संगठन के खिलाफ काम किया है, उन्हें जिम्मेदारी से दूर रखा जाए। प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने जोर दिया कि चुनावों में किसी के व्यक्तिगत संबंधों पर आधारित पदाधिकारी नियुक्ति से बचा जाए। बैठक में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडेय, प्रदेश प्रभारी महेन्द्र सिंह भी मौजूद रहे। वीडी ने यह भी कहा कि मंडल चुनाव सहमति से, संवाद के आधार पर किए जाएं, ताकि अच्छे नेतृत्व का चुनाव हो सके। महामंत्री शर्मा ने कहा कि हर 10-12 मंडलों के बीच कम से कम दो महिला मंडल अध्यक्ष की नियुक्त हो।
हर जिले में 2 महिलाओं को मंडल अध्यक्ष बनाने का लक्ष्य

भारतीय जनता पार्टी महिला कार्यकर्ताओं की बढ़ती भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए अब नए कदम उठा रही है। पार्टी ने निर्णय लिया है कि अब हर जिले में दो महिलाओं को मंडल अध्यक्ष बनाया जाएगा, जिससे महिलाओं की भागीदारी को और मजबूती मिल सके। इस पहल के तहत, 15 दिसंबर तक मंडल अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी, और इस दौरान पार्टी की ओर से संभागीय बैठकों का दौर भी शुरू हो चुका है। इन बैठकों में पार्टी नेताओं और महिला कार्यकर्ताओं के बीच संवाद बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। प्रदेशभर में भाजपा के मंडलों की संख्या अब 1300 तक पहुंच चुकी है, और इसके आधार पर हर जिले में दो महिला मंडल अध्यक्षों के नियुक्ति से महिला मंडल अध्यक्षों की संख्या 110 तक हो सकती है। भाजपा की यह रणनीति महिलाओं को और अधिक संगठनात्मक भूमिका देने और उनके नेतृत्व को सशक्त बनाने के लिए तैयार की गई है। इसका उद्देश्य न केवल पार्टी के भीतर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना है, बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में पार्टी का योगदान भी सुनिश्चित करना है।