शंभू बॉर्डर पर फिर तनाव, हरियाणा पुलिस ने किसानों पर दागे आंसू गैस के गोले

शंभु बॉर्डर पर 8 दिसंबर को एक बार फिर हालात तनावपूर्ण हो गए जब हरियाणा पुलिस ने ‘दिल्ली चलो’ मार्च कर रहे किसानों के जत्थे पर आंसू गैस के गोले छोड़े. किसान एमएसपी की गारंटी समेत अपनी अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

नई दिल्ली: किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने शंभू बार्डर पर मिर्च स्प्रे और आंसू गैस का इस्तेमाल किया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार (8 दिसंबर) की इस घटना से पंजाब-हरियाणा सीमा पर स्थिति एक बार फिर तनावपूर्ण हो गई है.

शुक्रवार (6 दिसंबर) को भी हरियाणा पुलिस ने किसानों पर इसी तरह की कार्रवाई की थी, जिसमें 15 किसान घायल हो गए थे और किसानों को अपना प्रदर्शन रोकना पड़ा था.

रविवार की दोपहर 101 किसानों के जत्थे ने अपना मार्च फिर से शुरू किया. पहले हरियाणा पुलिस ने किसानों को शांत करने के लिए उन्हें पानी की बोतलें, चाय और बिस्किट दिए.

पुलिस लगातार किसानों को वापस जाने के लिए समझा रही थी. जल्द ही किसानों और पुलिस के बीच की बातचीत बहस में बदल गई. किसान सवाल करने लगे कि हरियाणा पुलिस उन्हें दिल्ली जाने से क्यों रोक रही है.

पुलिस का कहना था कि किसान राष्ट्रीय राजधानी में विरोध प्रदर्शन करने के लिए नहीं जा सकते क्योंकि उनके पास दिल्ली पुलिस की मंजूरी नहीं है.

इसी दौरान कुछ किसानों ने कंक्रीट बैरिकेड से लोहे की जाल को खींचने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने पेपर स्प्रे और आंसू गैस के गोले छोड़े.

लाइव कवरेज कर रहे मीडिया कर्मी भी धुंए से प्रभावित हुए और किसानों के साथ भागते नजर आए. किसानों के यूनियनों के मुताबिक, तीन किसान – मेजर सिंह, दिलबाग सिंह गिल और कर्नल सिंह लांग – आंसू गैस के गोले से घायल हो गए और उन्हें सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराया गया. कई बुजुर्ग किसानों ने सीने में दर्द की शिकायत भी की.

शंभू बार्डर पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. किसान नेता बलदेव सिंह जीरा ने पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि हरियाणा सरकार को किसानों को दिल्ली जाने से रोकने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने इसे तानाशाही बताया है.

किसानों की मुख्य मांग, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी दर्जा दिलवाना है, जो लंबे समय से केंद्र सरकार और किसानों के बीच विवाद का विषय रहा है.

किसानों का कहना है कि मोदी सरकार ने 2021 में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद एमएसपी को कानूनी दर्जा देने का वादा किया था, लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया.