मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद पिछले करीब एक साल में डॉ. मोहन यादव ने कई ऐसे फैसले लिए, जिन पर चर्चा शुरू हो गई। खास कर पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के उन्होंने अब तक चार बड़े फैसलों को पलट दिया। शिवराज के एक फैसले पर तो करोड़ों रुपये खर्च हुए थे। उसको भी पलट दिया। इसके साथ ही शिवराज सिंह चौहान के समय में राष्ट्रगान की तरह एमपी गान पर भी खड़ा होना जरूरी किया गया था, लेकिन मोहन यादव द्वारा मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभालने के कुछ दिनों बाद ही इस परंपरा को खत्म कर दिया।
भोपाल की सडक़ों और विकास के अन्य कार्यों को लेकर गठित राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौाहन ने 2022 में खत्म कर दिया था। उन्होंने यह निर्णय तब लिया था, जब राजधानी की सडक़ें गड्ढे में तब्दील हो रही थीं और सरकार की फजीहत हो रही थी। नई सरकार में सीपीए के जरूरत फिर से महसूस होने लगी। डॉ. मोहन यादव ने फिर से इसे गठित करने का निर्णय लिया।
सरकारी कार्यक्रम में राष्ट्रगान की तरह एमपी गान पर भी खड़ा होना तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में अनिवार्य किया गया था। इसके बाद सभी सरकारी कार्यक्रमों में एमपी गान बजने लगा था। वहीं, जब मोहन यादव मुख्यमंत्री के रूप में राजधानी में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे तो उनके सामने भी एमपी गान पर लोग खड़े हुए, लेकिन मोहन यादव खड़े नहीं हुए। साथ ही खड़े हुए लोगों को भी उन्होंने बिठवा दिया और कहा कि राष्ट्रगान सबसे बड़ा है तो फिर एमपी गान पर खड़े होने की जरूरत नहीं है।
बीआरटीएस कॉरिडोर हटवाया
केंद्र सरकार के सहयोग से शिवराज सरकार के समय बनाए गए बीआरटीएस कॉरिडोर को मोहन यादव ने हटाने का निर्णय लिया। सबसे पहले भोपाल में बने पूरे बीआरटीएस कॉरिडोर को हटा दिया। इसके कुछ महीने बाद इंदौर से भी बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने की मांग चल रही थी। नवंबर में सीएम ने इंदौर दौरे के दौरान इसकी घोषणा कर दी। हालांकि, इंदौर का मामला कोर्ट में भी चल रहा है, लेकिन सीएम ने कहा कि हम कोर्ट में जवाब देंगे। बीआटीएस हटने से आम जन ने बड़ी राहत की सांस ली है। इससे यातायात बेहद सुगम हुआ है और कई जगह लगने वाली जाम की स्थिति भी समाप्त हो गई है। शिव सरकार में भी इसे हटाने की मांग जोर पकड़ी रही है,लेकिन कोई ध्यान ही नहीं दिया गया।
राज्य परिवहन निगम फिर से होगा शुरू
शिवराज सिंह चौहान के समय ही राज्य परिवहन निगम को भी बंद कर दिया गया था। इसकी वजह से प्रदेश का पूरा शहरी और ग्रामीण परिवहन निजी हाथों में चला गया और सरकारी बसें बंद हो गईं। हालांकि, यह निर्णय पहले ही हो गया था, लेकिन परिवहन निगम शिवराज के कार्यकाल में ही बंद हुआ। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ग्रामीण इलाकों में परिवहन की दिक्कतों को देखते हुए परिवहन निगम को फिर से चलाने का फैसला लिया है। परिवहन निगम बंद करने से ग्रामीण परिवहन की स्थिति बुरी तरह से प्रभावित हुई है। यह फैसला सरकार द्वारा निजी बस संचालकों के हितों में ध्यान रखकर लेने वाला माना जाता है।
अवैध कालोनियों पर चलने लगा बुलडोजर
अवैध कालोनियों पर कार्रवाई करने के मामले भी मोहन यादव का सख्त रुख देखने को मिला है, जबकि शिवराज सरकार में नरमी दिखाई जाती थी, जिसकी वजह से इनकी संख्या तेजी से बढ़ रही थी। जून महीने में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सख्ती दिखाते हुए अवैध कॉलोनियों को हटाने के निर्देश दिये थे। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने सभी एमडीएम से सर्वे कराया था, उसके बाद 6 जून तक सभी अवैध कॉलोनाइजर से जवाब मांगा गया था। इस दौरान 250 करीब कालोनियों की जांच की गई थी, जो अवैध पाई गईं। 24 जून को जिला प्रशासन ने भोपाल की 33 अवैध कॉलोनियों की रजिस्ट्री और नामांतरण पर रोक लगा दी थी। इसके बाद रोलूखेड़ी में कट रही अवैध कॉलोनी को जमींदोज कर दिया। इसके कुछ दिन पहले नीलबड़ में बिना अनुमति कृषि भूमि पर काटी जा रही दो कॉलोनियों को लेकर कार्रवाई की गई थी। गोल्डन पार्क कॉलोनी और सिद्धी विनायक फेज-2, ग्राम सेमरी बाज्यफत में अवैध कॉलोनी वाटिका और ग्राम छापरी में सिद्धी विनायक कॉलोनी में भी कॉलोनी के गेट और सडक़ को तोड़ा गया था।